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सात बार कांग्रेस, पांच बार भाजपा दर्ज कर चुकी है जीत

 राजस्थान के भरतपुर में सात बार जीत हासिल कर जहां कांग्रेस ने अपना प्रभुत्व दिखाया

सात बार कांग्रेस, पांच बार भाजपा दर्ज कर चुकी है जीत
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भरतपुर। राजस्थान के भरतपुर में सात बार जीत हासिल कर जहां कांग्रेस ने अपना प्रभुत्व दिखाया वहीं भारतीय जनता पार्टी भी ज्यादा पीछे नहीं रही और अब तक पांच बार अपना परचम लहरा चुकी है।

भरतपुर संसदीय क्षेत्र में अब तक हुए सोलह लोकसभा चुनावों में सात बार कांग्रेस के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है जबकि पांच बार भाजपा एवं दो बार जनता पार्टी तथा दो बार निर्दलीयों ने बाजी मारी।

पूर्व विदेश मंत्री कुंवर नटवर सिंह ने वर्ष 1984 एवं 1998 में दो बार एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री राजेश पायलट ने वर्ष 1980 में कांग्रेस उम्मीदवार तथा राज्य के पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने 1989 में जनता पार्टी तथा वर्ष 1999 एवं 2004 में भाजपा प्रत्याशी के रुप में चुनाव जीता था। पूर्व पर्यटन मंत्री कृष्णेन्द्र कौर (दीपा) ने भी वर्ष 1991 में भाजपा प्रत्याशी के रुप में चुनाव जीता। इसके बाद पूर्व महारानी दिव्या सिंह ने भी वर्ष 1996 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की।

कांग्रेस ने वर्ष 1957 में हुए दूसरी लोकसभा चुनाव में अपना खाता खोला और राजबहादुर सिंह ने चुनाव जीता। इसके अगले चुनाव वर्ष 1962 तथा 1971 के चुनाव में भी राजबहादुर विजयी रहे। उन्हें केन्द्र में मंत्री भी बनाया गया। इनके अलावा 2009 में पन्द्रहवीं लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के रतन सिंह जीते जबकि 2014 में भाजपा प्रत्याशी बहादुर सिंह कोली ने चुनाव जीतकर अपना राजनीतिक प्रभुत्व कायम किया।

इस सीट पर 1977 में राम किशन ने जनता पार्टी उम्मीदवार के रुप में जीत हासिल की। यहां से दो निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी अपनी जीत दर्ज कराई, जिनमें 1952 में गिर्राज सरन सिंह तथा 1967 में चौथे लोकसभा चुनाव में पूर्व महाराजा बृजेन्द्र सिंह शामिल है।

भरतपुर में लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में छह मई को मतदान होगा। कांग्रेस ने अभिजीत जाटव को टिकट देकर इस बार नया चेहरा चुनाव मैदान में उतारा है। इस संसदीय क्षेत्र में सात विधानसभा क्षेत्र आते हैं जहां गत विधानसभा चुनाव में चार सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की जबकि भाजपा का एक भी प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत पाया। दो पर बहुजन समाज पार्टी एवं एक पर राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) का उम्मीदवार जीता। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने रालोद के साथ गठबंधन किया था और कांग्रेस को 199 सीटों के चुनाव में 99 सीटें मिली तो रालोद सरकार बनाने में सहायक बना।


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