निजी स्कूलों में गरीब बच्चों को प्रवेेश नहीं देने पर घिरे मंत्री
रायपुर ! शिक्षा का अधिकार कानून का तहत गरीब बच्चों से निजी बड़े स्कूलों में प्रवेश नहीं देनें का मामला गुरूवार से सत्तापक्ष के विधायक देवजी भाई पटेल ने उठाया उन्होने आरोप लगाया

रायपुर ! शिक्षा का अधिकार कानून का तहत गरीब बच्चों से निजी बड़े स्कूलों में प्रवेश नहीं देनें का मामला गुरूवार से सत्तापक्ष के विधायक देवजी भाई पटेल ने उठाया उन्होने आरोप लगाया कि विधानसभा से लगे डीपीएस व एनएच गोयल जैसे निजी स्कूलों से अधिकरियों की मदद से छूट दी गई है उन्होने शिक्षा विभाग के बीच अधिकारियों व निजी स्कूल संचालकों के बीच साठ-गाठ का आरोप लगाते हुए कहा कि एक हजार की जगह पॉच हजार रूपये की फीस ली जा रही है । शिक्षा से कमाई का जरिया बना लिया गया है मंत्री केदार कश्यप ने अपने जवाब में कहा प्रदेश में शिक्षा के अधिक ार के तहत निजी स्कूलों में 1 लाख 77 हजार बच्चों को प्रवेश दिया गया है । भाजपा सदस्य देवजीभाई पटेल ने ध्यानाकर्षण सूचना के जरिए यह मामला उठाते हुए कहा कि जिला रायपुर,दुर्ग,बिलासपुर, रायगढ़ जैसे बड़े शहरों में शैक्षणिक सन् 2016 में निजी स्कूलों में 25000 गरीब बच्चों को आरटीई के तहत प्रवेश दिया जाना था जो मात्र 5000 की सीमा भी पार नहीं कर पाया। वहीं हाल शैक्षणिक सत्र 2017 विभागीय उदासीनता के चलते अब तक 10000 भी आवेदन नहीं भर पाये। निजी स्कूल संचालक शिक्षा को एक व्यवसाय बनाकर करोड़ों की कमाई कर अपने स्टैंडर्ड का डंका पीट रहे हैं। रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, रायगढ़ जिले में स्थित राष्ट्रीय/ अंतरराष्ट्रीय स्तर स्कूलों को तो 2 वर्ष पहले से ही आरटीई की बाध्यता से मुक्त कर रखा है। वहीं प्रदेश के लगभग 70 निजी स्कूलों को अल्प संख्यक का दर्जा देने की आड़ में इस कानून से छूट दे रखी है, जिससे सरगुजा जिले के गरीब बच्चों को निजी स्कूलों की प्रवेश संख्या प्रतिवर्ष घटती जा रही है। शैक्षणिक सत्र 2016 में ही प्रवेश संख्या 2.80 लाख कम हो गयी। विभाग के किसी भी जिम्मेदार अफसर को ना गरीब बच्चों की चिंता है ना सरकारी स्कूल संचालन की। प्रदेश गरीब परिवार के बच्चों को भी आरटीई के तहत प्रवेश दिलाने की तर्ज पर ही सुरक्षा बल के जवान जो नक्सली मुठभेड़, आतंकवादी गतिविधियों के चलते दिवंगत हो गये, ऐसे शहीद परिवार की सबसे बड़ी समस्या बच्चों की पढ़ाई राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के ऐसे प्रस्तावों को अधिकारी देखने तैयार नहीं है।
शिक्षा मंत्री ने अपने जावा में कहा - यह कहना सही नहीं है कि शैक्षणिक सत्र 2016-17 में रायपुर दुर्ग बिलासपुर एवं रायगढ़ के निजी स्कूलों में 25000 गरीब बच्चों को आरटीई के तहत प्रवेश दिया जाना था जो मात्र 5000 की सीमा भी पार नहीं कर पाई। वास्तविक स्थिति यह है कि इन जिलों में वर्ष 2016-17 में कुल आरक्षित 16570 सीटों के विरूद्ध 13368 छात्रों को प्रवेश दिया गया हैे। इन जिलों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अभी तक 20003 आवेदन प्राप्त हो चुके है। रायपुर दुर्ग बिलासपुर एवं रायगढ़ जिले में स्थित राष्ट्रीय/ अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्कूलों को 2 वर्ष पहले से ही आरटीई की भारत सरकार के निर्देशों के अनुसार अल्पसंख्यकों को ही नियमानुसार छूट दी गई है। सरकारी स्कूलों में प्रवेशित बच्चों की संख्या विगत कुछ वर्षों से घटी है शासकीय शालाओं में अधोसंरचना विकास तथा पर्याप्त शिक्षकों की व्यवस्था करने के निरंतर प्रयास किये जा रहे है। स्कूलों में प्रवेश दिलाने हेतु प्रतिवर्ष शाला प्रवेश अभियान तथा अन्य शासकीय योजनाओं का संचालन भी सतत रूप से किया जा रहा है। नक्सल मुठभेड़ अथवा आतंकवादी गतिविधियों के चलते हुए शहीदों के परिवारों के बच्चों को शिक्षा के अधिकार कानून के तहत प्रवेश देने का प्रावधान नहीं है।


