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राजधानी रायपुर में 53 तालाबों का अस्तित्व खत्म

रायपुर ! राजधानी में तालाबों को बचाने प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे है। सरोवर धरोहर योजना सरकार संचालित कर रही है।

राजधानी रायपुर में 53 तालाबों का अस्तित्व खत्म
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सरकारी रिकार्ड में कुल 227 तालाब थे अब 175 बाकी
रायपुर ! राजधानी में तालाबों को बचाने प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे है। सरोवर धरोहर योजना सरकार संचालित कर रही है। ताकि पेयजल संकट से बचा जा सके। रायपुर को तालाबों की नगरी कहा जाता था। यहां 227 तालाब थे। शासन-प्रशासन ने इन्हें सहेजने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। इसका परिणाम यह हुआ कि रायपुर के 53 तालाब सूख गए या भूमाफियाओं की भेंट चढ़ गए। अब केवल 175 तालाब है। जिससे आज पेयजल व निस्तारी के लिए हाहाकार मचा है, आज भी सडक़ चौड़ीकरण व सार्वजनिक उपयोग के नाम पर कई तालाबों को खत्म करने की साजिश रची जा रही है। ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है, तालाबों पर अतिक्रमण किसी भी स्थिति में नहीं होना चाहिए।
राजधानी में पिछले कुछ वर्षों से पेयजल संकट गहराता जा रहा है। बोर के स्त्रोत लगातार नीचे जा रहे है। शासन-प्रशासन का ध्यान इस ओर तब गया जब तालाब पट गए और पानी के लिए संकट पैदा हो गया। तालाबों के जरिए ही प्राकृतिक रुप से वाटर हार्वेस्टिंग होता था। तालाबों को बचाने किसी ने ध्यान नहीं दिया। जमीन कारोबार से जुड़े लोगों और भूमाफियाओं की मिलीभगत से रायपुर के कई तालाबों का अस्तित्व समाप्त हो गया है। उनकी जगह आज काम्पलेक्स व कालोनी नजर आ रही है।
रायपुर नगर निगम से रकाजस्व विभाग से जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार शहर में कुल 227 तालाब थे। इनमें निजी तालाबों की संख्या 29 है। कंकाली तालाब को निस्तारी के लिए दिया गया है। शासन में उद्योग विभाग को तीन तालाब आबंटित किया है। दो तालाब को लेकर विवाद में फिलहाल मामला अदालत में चल रहा है। वहीं 53 तालाबों का अस्तित्व लगभग समाप्त हो गया है। इसी तरह कई निजी तालाबों को उनके मालिकों ने प्लाटिंग कर बेच दिया है। आज वहां पर नगर बस गया है। पहले इसकी संख्या अधिक थी लेकिन अब केवल 29 निजी तालाब रह गए है। इन पर भी भूमाफियाओं की नजर है। मठपुरैना स्थित सरजूबांधा तालाब 1.774 हेक्टेयर में था वह पूरी तरह से पट गया है। रायपुरा स्थित कालारीन तालाब 0.121 एकड़ में था वह सूख गया है। इसी क्षेत्र में कोटा डबरी तालाब था 1.473 हेक्टेयर में फैला यह तालाब पूरी तरह से पट गया है। अटारी स्थित नया तालाब 2.399 हेक्टेयर में था। यह तालाब भी सूख गया है। इसी तरह जरवाय-हीरापुर स्थित मुकुडिया तालाब सूख गया है। गोगांव के पचरी तालाब 0.486 हेक्टेयर में है। शासन ने उद्योग विभाग को आबंटित किया है। गोगांव के ही दर्री तालाब व बिरही तालाब का पानी सूख गया है। यही हाल सड्डू व ब्लान्डी का है। छोटा तालाब, सड्डू, डबरी व निस्तारी तालाब सूख गए है। अमलीडीह का डबरी तालाब व फुण्डहर का रामबांधा कोसूखा तालाब बताया गया है। गोगांव स्थित तालाब को भी शासन ने उद्योग विभाग को आबंटित किया है।
चिरहुलडीह स्थित चौबे कालोनी तालाब व नूनहा तालाब पट गया है। पंडरीतराई स्थित पैठू तालाब व ढोडगी तालाब पूरी तरह से पट गया है। शंकर नगर (खमरहारडीह) का खंतो तालाब 1.619 हेक्टेयर व मठैया तालाब 0.599 हेक्टेयर भी पट चुका है। शंकर नगर मुख्य मार्ग पर स्थित डबरी तालाब 0.331 हेक्टेयर जमीन का शासन ने पुलिस चौकी बनाने के लिए आबंटित किया है। यहीं पर स्थित और नया तालाब 1.214 हेक्टेयर दलदल में तब्दील हो गया है। खम्हारडीह में डबरी तालाब खसरा नं्बर 501, 502 रकबा 2.999 हेक्टेयर पट चुका है। यहीं पर ट्रस्ट तालाब था। 0.793 हेक्टेयर में फैला इस तालाब को पाट कर रविशंकर गार्डन बनाया गया है। इसी तरह यहां के सगर बुद्घिया तालाब खसरा नंबर 474 निजी तालाब है इसे पाटकर मकान बनाया गया है। टिकरापारा में पचपेढ़ी तालाब 1.275 हेक्टेयर में है। दलदल में तब्दील हो गया है। यहीं पर स्थित छुईया तालाब भी पूरी तरह दलदल हो गया है। टिकरापारा में नाऊन डबरी खसरा नंबर 224, रकबा 1.761 हेक्टेयर पट गया है।
रायपुर खास (आमापारा) कारी तालाब खसरा नंबर 133 रकबा 3.141 हेक्टेयर दलदली हो गया है। रायपुर खास में ही गंज डबरी, जोरापारा स्थित हाण्डी तालाब व रामसागर पारा का रामसागरी तालाब भी पूरी तरह से पट गया है। रजबंधा से लगा डबरी तालाब रकबा 1.433 हेक्टेयर व रजबंधा तालाब खसरा नंबर 571 रकबा 7.975 हेक्टेयर भी पट गया है। राजधानी का सबसे बड़ा सब्जी मार्केट भी बैण्डी तालाब को पाटकर बनाया गया है। इसी तरह श्याम टाकीज के बाजू डबरी को पाट दिया गया है। यहां पर स्टेडियम बनाया गया है, सखाराम दुबे स्कूल के पीछे स्थित तुर्की तालाब भी दलदल बनकर रह गया है। राजकुमार कालेज के अंदर स्थित दर्री तालाब खसरा नंबर 1024 रकबा 1.396 हेक्टेयर सूखा तालाब बन गया है। ईसी तरह बंधवापारा पैठू व खदान तालाब (सुंदर नगर समिति के अंदर) खसरा नंबर 1160 रकबा 1.777 हेक्टेयर (दोनों) दलदली हो गए है। रायपुर खास क्षेत्र में स्थित पहाडी तालाब दंतेश्वरी तालाब तथा गजराज बांधा के खोल डबरी भी पूरी तरह से पट गई है। हनुमान नगर तालाब (कालीबाड़ी) को पाटकर कालोनी बना दिया गया है।
नगर निगम के राजस्व विभाग में रायपुर खास के नाम से दो खनती तालाब के नाम का उल्लेख है। दोनों ही तालाब पट गए है। पहले खनती तालाबका खसरा नंबर 136/1 रकबा 1.684 हेक्टेयर है, दूसरे खनती तालाबका खसरा नंबर 400 है। यह 5.922 हेक्टेयर में था यह भी पट गया है। इसी तरह कुकरी तालाब, खसरा नंबर 256 रकबा 1.214 हेक्टेयर, जोरा तालाब खसरा नंबर 412, रकबा 1.716 हेक्टेयर भी अस्तित्व में नहीं है, इन्हें भी पाट दिया गया है। पुरानी बस्ती स्थित छुईया तालाब खसरा नंबर 1278, रकबा 1.101 हेक्टेयर, बगीचा तालाब खसरा नंबर 1910, रकबा 7.665, उच्छवा तालाब खसरा नंबर 457, रकबा 1.242 हेक्टेयर धोबनीन तालाब खसरा नंबर 987 रकबा 1.882 हेक्टेयर, पोतदार तालाब खसरा नंबर 466 रकबा 1.202 हेक्टेयर भी केवल कागजों में दर्ज है, ये तालाब पूरी तरह से पट गए हैं।


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