छत्तीसगढ़ : नई आबकारी नीति पर विधानसभा में कामरोको प्रस्ताव ,मंत्री के जवाब से विपक्ष असंतुष्ट
रायपुर ! नई आबकारी नीति का विरोध करते हुए कांग्रेस सदस्यों ने विधानसभा में आज कामरोको प्रस्ताव लाकर चर्चा कराने मांग की। सत्तापक्ष ने इसका विरोध किया।

कांग्रेस का कामरोको प्रस्ताव अग्राह्य
रायपुर ! नई आबकारी नीति का विरोध करते हुए कांग्रेस सदस्यों ने विधानसभा में आज कामरोको प्रस्ताव लाकर चर्चा कराने मांग की। सत्तापक्ष ने इसका विरोध किया। स्थगन की ग्राह्यता को लेकर दोनों पक्षों के बीच विवाद हुआ जिसका कारण सदन की कार्रवाई दो बार स्थगित करनी पड़ी। आबकारी मंत्री अमर अग्रवाल ने शासन की ओर से जवाब दिया। कांग्रेसी सदस्य उनके जवाब से संतुष्ट नहीं थे। स्थगन ग्राह्य कर चर्चा कराने की मांग पर अड़े रहे। शासन का जवाब आने पर आसंदी ने कामरोको प्रस्ताव अग्राह्य कर दिया। इससे कांग्रेसी सदस्य उत्तेजित हो गए। सरकार के खिलाफ सदन में नारेबाजी और हंगामा करने लगे जिससे कार्रवाई बाधित हुए।
गुरूवार को प्रश्नकाल की कार्रवाई शुरू होते ही कांग्रेस ने नई आबकारी नीति पर चर्चा कराने मांग की। भूपेश बघेल ने यह मामला उठाते हुए कहा स्थगन प्रस्ताव को ग्राह्य किया जाए। उन्होंने कहा सरकार अब शराब दुकान खोलने की तैयारी कर रही है प्रदेश भर में इसका विरोध हो रहा है। महिलाएं और सामाजिक संगठन सडक़ पर आकर आंदोलन कर रहे हैं, अरूण वोरा ने कहा शराब सेवन से प्रतिवर्ष अंबेडकर अस्पताल में 50 हजार से अधिक मरीज भर्ती हो रहे हैं, फैसले को दुर्भाग्यजनक बताते हुए इसे वापस लेने सरकार से मांग की। आबकारी मंत्री ने कहा मोतीलाल वोरा के मुख्यमंत्रीकाल में दुर्ग में सरकार ने शराब दुकान चलाई थी। कांग्रेस के ही धनेन्द्र साहू, अमरजीत भगत, सत्यनारायण शर्मा व विमल चोपड़ा ने भी नई शराब नीति का विरोध किया।
प्रश्नकाल के बाद विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल ने कांग्रेस के द्वारा लाए गए कामरोको प्रस्ताव की जानकारी दी। भूपेश बघेल व अन्य के द्वारा लाए गए स्थगन प्रस्ताव पर कहा गया कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद 15 फरवरी को नई आबकारी नीति को मंजूरी दी गई है इसके तहत अब सरकार स्वयं शराब दुकानों का संचालन कार्पोरेशन के माध्यम से राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित 542 दुकानों को हाईकोर्ट के आदेश पर रिहायशी इलाकों में खोला जा रहा है इसके लिए दुकानों का निर्माण हो रहा है। इसके विरोध में प्रदेश भर में आंदोलन हो रहा है। भूपेश बघेल ने आसंदी से आग्रह किया कि स्थगन ग्राह्य किया जाए ताकि दोनों पक्षों को चर्चा का अवसर मिले। संसदीय कार्य मंत्री अजय चंद्राकर ने इसका विरोध करते हुए कहा यह स्थगन का मामला नहीं है। कांग्रेस सदस्यों ने इस पर आपत्ति करते हुए नारेबाजी और हंगामा करने लगे। भूपेश ने कहा शराब दुकानों का निर्माण शुरू हो गया है मंत्री सदन को गुमराह कर रहे हैं।
आबकारी में अमर अग्रवाल ने सरकार की ओर से वक्तव्य देते हुए कहा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राष्ट्रीय एवं राज्य राजमार्ग से 500 मीटर की दूरी तक शराब का विक्रय प्रतिबंधित किया गया है। सरकार 1 अप्रैल से इसका पालन सुनिश्चित करेगी। सरकार ने 24 जनवरी को फुटकर विक्रय के लिए एक नया कार्पोरेशन गठन करने का निर्णय लिया है जो 1 अप्रैल 2017 से फुटकर विक्रय करेगा। उन्होंने कहा 1981 से 1990 तक अविभाजित मध्यप्रदेश में अनुसूचित क्षेत्र में मदिरा दुकानों का संचालन शासन द्वारा किया गया है। इसी तरह 1993 से 2002 तक अनुसूचित क्षेत्र में मदिरा दुकानों का संचालन शासन द्वारा किया गया है। राज्य निर्माण के बाद वर्ष 2001-2002 में प्रदेश में पांच जिलों रायपुर, दुर्ग, धमतरी, राजनांदगांव एवं महासमुंद में मदिरा दुकाने सरकार द्वारा संचालित की गई है। भारत में संविधान के अनुच्छेद 47 को लेकर एक जनहित याचिका उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। इस वर्ष समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में इससे राजस्व प्राप्ति लगभग 3300 करोड़ अनुमानित है।
आबकारी मंत्री के बयान को असंतोषपूर्ण बताते हुए भूपेश बघेल ने कहा कई तथ्य छिपाए गए है। राज्यपाल के अभिभाषण में भी इसका उल्लेख नहीं है। नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने कहा मंत्री का बयान भ्रमित करने वाला है। उन्होंने आसंदी से स्थगन ग्राह्य कर चर्चा कराने का आग्रह किया। विधानसभा अध्यक्ष ने सरकार का जवाब आने के बाद कामरोको प्रस्ताव को अस्वीकृत कर दिया। इसके बाद प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी लागू करने व अध्यादेश वापस लेने की मांग करते हुए कांग्रेसी सदस्य नारेबाजी व हंगामा करने लगे। आसंदी ने पहली बार कार्रवाई 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी। दुबारा कार्रवाई प्रारंभ होने पर यही नजारा देखने को मिला। हंगामे के बीच अध्यक्ष ने दूसरी बार पुन: कार्रवाई 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी।
सदस्य संकल्प ले शराब को हाथ नहीं लगाएंगे: मूणत
कांग्रेस द्वारा लाए गए शराबबंदी को लेकर विधानसभा में आज हंगामा के बीच मंत्री राजेश मूणत ने ऐसी शर्त रखी कि सदस्य परेशान हो गए। उन्होंने कहा पहले यह प्रस्ताव पारित करे कि सदन के जो भी सदस्य शराब पीते हैं वो शराब पीना छोड़े देंगे। विपक्ष के सदस्यों ने इसका समर्थन किया लेकिन सत्तापक्ष के सदस्य खामोश रहे। कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य सत्यनारायण शर्मा ने कहा संसदीय कार्यक्रत्री इस आशय का प्रस्ताव लाएं कि सभी 90 सदस्य शराब नहीं पिएंगे।


