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विवादित नेताओं ने चरोदा में कांग्रेस को हराया

रायपुर ! नगरीय निकाय चुनावों में मिली करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस में अंदरूनी कलह का दौर शुरू हो गया है।

विवादित नेताओं ने चरोदा में कांग्रेस को हराया
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निकाय चुनावों में मिली शिकस्त से पार्टी में कलह
रायपुर ! नगरीय निकाय चुनावों में मिली करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस में अंदरूनी कलह का दौर शुरू हो गया है। भिलाई-चरोदा नगर निगम चुनाव में रायपुर विवादित नेताओं को जिम्मेदारी सौंपने को लेकर भी कई सवाल उठाए जा रहे हैं। वहीं नोटबंदी को लेकर बंद के दौरान प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल व राजेन्द्र तिवारी के बीच हुए विवाद सहित पूरे मामले की शिकायत केन्द्रीय नेतृत्व से की गई है। निकायों में मिली हार से भूपेश बघेल विरोधी नेता लामबंद हो गए हैं। उन्हें श्री बघेल पर हमला करने का मौका मिल गया है। आने वाले दिनों में पार्टी के असंतुष्ट नेता शिकायत का पुलिंदा लेकर हाईकमान से मिलने की तैयारी में है। प्रदेश अध्यक्ष की कार्यप्रणाली को लेकर पार्टी के भीतर असंतोष बढ़ता जा रहा है। भिलाई-चरोदा निगम चुनाव में वहां के स्थानीय नेताओं को तवज्जों नहीं दी गई। उनकी जगह रायपुर के कुछ विवादित नेताओं को महत्वपूर्ण जवाबदारी सौपी गई थी। इन नेताओं पर सत्तापक्ष से सांठगांठ के आरोप लगते रहे हैं। नोटबंदी को लेकर प्रदेश में केन्द्र व राज्य सरकार के खिलाफ बने माहौल के बावजूद वहां कांगे्रस बड़े अंतर से चुनाव हार गई है। पार्टी के नेताओं ही आरोप लगा रहे हैं कि भाजपा के मिलीभगत के चलते भिलाई-चरोदा का चुनाव हार गए। यहां का चुनाव सत्तापक्ष के लिए आसान नहीं था। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री डॉ. रमनसिंह ने अपने सबसे भरोसे मंदर मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को जवाबदारी सौंपी। श्री अग्रवाल चुनाव जीतने की कला में माहिर है। भिलाई-चरोदा प्रदेश कांगे्रेस अध्यक्ष का गृह जिला है। श्री बघेल अपने ही गढ़ को नहीं बचा पाए। इसकाएक कारण वहां के स्थानीय कार्यकर्ताओं व प्रदेश पदाधिकारियों के बीच समन्वय नहीं होता था। कई अहम जिम्मेदारी प्रदेश अध्यक्ष के करीबी माने जाने वाले नेताओं को दी गई थी। उसके कारण कार्यकर्ताओं में काफ ी आक्रोश था। इनमें कुछ नेता ऐसे थे जो पहले से ही काफी विवादित रहे हैं। भिलाई से उनका कोई लेना-देना नहीं था। कांगे्रस में रहते हुए उन्होंने भाजपा को फायदा पहुंचाने का काम किया। विवादित नेताओं को अजम जिम्मेदारी दिए जाने से स्वयं नेता भी हैरान है। उनका कहना है कि प्रत्याशी को लेकर कोई विरोध नहीं था। स्वच्छ छवि व जमीनी पकड़ रखने वाली मंत्री को टिकट दी गई थी। इसके बावजूद बड़े अंदर से पार्टी चुनाव कैसे हार गई।
चरोदा के अलावा सारंगढ़ व दोरनापाल नगरीय निकाय चुनाव में भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा इसे लेकर पार्टी में आंतरिक कलह शुरू हो गया है। हार को लेकर प्रदेश के नेताओं ने केन्द्रीय नेताओं में इसकी शिकायत की है। उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष की कार्यप्रणाली को इसके लिए जिम्मेदार बताया है। प्रदेश बंद के दौरान जेल परिसर में परिणाम को लेकर श्री बघेल व समन्वय समिति ने सदस्य राजेन्द्र तिवारी के बीच जमकर तकरार हुई। श्री तिवारी के बाद अब अन्य नेता भी अध्यक्ष के खिलाफ मुखर हो रहे है। आने वाले दिनों में राहुल गांधी से मिलकर उन्हें पूरी जानकारी से अवगत कराया जाएगा।


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