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‘रमन के गोठ’ की 19वीं कड़ी , खेत-खलिहानों, चौपालों में बनाता हूं बजट-डॉ. रमन

रायपुर ! मैं बजट मंत्रालय में बैठकर नहीं, बल्कि खेत-खलिहानों, पंचायतों और चौपालों में जनता के बीच बैठकर बनाता हूं।

‘रमन के गोठ’ की 19वीं कड़ी ,  खेत-खलिहानों, चौपालों में बनाता हूं बजट-डॉ. रमन
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रायपुर ! मैं बजट मंत्रालय में बैठकर नहीं, बल्कि खेत-खलिहानों, पंचायतों और चौपालों में जनता के बीच बैठकर बनाता हूं। तभी गांव-गरीब और किसान मेरे बजट के केन्द्र में होते हैं। डॉ. सिंह ने कहा कि वह अपनी बजट की प्राथमिकताएं लोक सुराज अभियान से तय करते हैं। मुख्यमंत्री आज सवेरे आकाशवाणी के रायपुर केन्द्र से अपनी मासिक रेडियो वार्ता ’रमन के गोठ’ की 19वीं कड़ी में प्रदेश वासियों को सम्बोधित कर रहे थे। डा. रमन ने श्रोताओं को रंगों के त्यौहार होली की बधाई और शुभकामनाएं दी। इस महीने मनाए गए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का उल्लेेख करते हुए डॉ. सिंह ने राज्य में महिलाओं की तरक्की और खुशहाली के लिए किए जा रहे उपायों की जानकारी दी और कहा कि छत्तीसगढ़ में ’नारी-शक्ति ’ अब ’महाशक्ति’ का रूप ले चुकी है। सरस्वती साईकिल योजना, कन्या छात्रावास, पोटाकेबिन, कस्तूरबा विद्यालय, स्कूलों के उन्नयन आदि सुविधाओं के कारण राज्य के स्कूलों में 15 से 17 वर्ष आयु समूह की बेटियों की दर्ज संख्या 65 प्रतिशत से बढक़र 90 प्रतिशत हो गई है। स्कूलों की बेटियों की दर्ज संख्या के मामले में हम राष्ट्रीय औसत 84 प्रतिशत से काफी ऊपर और देश में 9वें स्थान पर हैं।
लोक सुराज अभियान की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा-हमने गांवों के विकास के लिए जितनी भी योजनाएं बनाई, हर योजना की प्रेरणा हमने ग्राम सुराज और लोक सुराज अभियानों से ली है। पहले हमने ग्राम सुराज और नगर सुराज अभियान चलाया। अब दोनों को मिलाकर लोक सुराज अभियान चला रहे हैं। यह अभियान जनता से सीधे जुडऩे के साथ-साथ सुशासन का पहला कदम है। इसी से हमें सही दिशा मिलती है।

मुख्यमंत्री ने कहा-हम जिस साल यह अभियान चलाते है, उसके अगले साल का बजट क्या होगा, उसकी तस्वीर हमारे दिमाग में बनना शुरू हो जाती है।
उन्होंने कहा-इस बार का लोक सुराज अभियान तीन चरणों में हो रहा है। पहले चरण में 26 फरवरी से 28 फरवरी तक लोगों से आवेदन लिए गए हैं। दूसरे चरण में पूरे मार्च भर इन आवेदनों का निराकरण किया जा रहा है और तीसरे चरण में तीन अप्रैल से 20 मई तक पूरे राज्य में समाधान शिविर लगाए जाएंगे, जहां इन आवेदनों पर की गई कार्रवाई के बारे में बताया जाएगा। साथ ही नये आवेदन भी लिए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा-हमने इस बार के लोक सुराज अभियान को ’समाधान पर्व’ बना दिया है, ताकि समाधान की मानसिकता सरकार के हर स्तर पर बनें, जनप्रतिनिधि और जनता भी समाधान की प्रक्रिया में शामिल हों और एक सकारात्मक वातावरण बनें। हमने स्पष्ट किया है कि जहां आवंटन उपलब्ध हो वहां तत्काल समाधान किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस अभियान के तहत मैं पहले की तरह किसी भी दिन, किसी भी गांव और किसी भी जिले में अचानक पहुंचकर जनता से मुलाकात करूंगा, समाधान शिविरों में भी जाउंगा और रात को जिलों की समीक्षा भी करूंगा। प्रेस से भी मिलूंगा। उन्होंने कहा-यह अभियान सबसे कठिन गर्मी के मौसम में इसलिए आयोजित करते हैं, ताकि जनसुविधाओं और योजनाओं का जायजा इस मौसम में लिया जाए और बारिश के दिनों के लिए भी इंतजाम हो जाए। साथ ही आगे की योजना भी बन जाए। उन्होंने कहा-मेरे अलावा सभी मंत्री, मुख्य सचिव से लेकर सारे वरिष्ठ अधिकारी, विधायक, सांसद आदि जनप्रतिनिधि भी इस दौरान प्रदेश का दौरा करते रहेंगे। मुख्यमंत्री ने लोक सुराज अभियान में प्रदेशवासियों से सक्रिय सहयोग का आव्हान किया और उनसे समाधान शिविरों में आने तथा अपनी समस्याओं का समाधान प्राप्त करने की भी अपील की।
मुख्यमंत्री ने बताया कि राजधानी रायपुर में ’सखी-वन स्टाप सेंटर’ की स्थापना के बाद राज्य के शेष सभी 26 जिलों में इनकी स्थापना की गई है। प्रदेश सरकार के आगामी वित्तीय वर्ष 2017-18 के बजट में महिलाओं के लिए किए गए प्रावधानों की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि बालोद और कोण्डागांव में 100 बिस्तरों का और कटघोरा, गौरेला, नगरी और पंडरिया में 50 बिस्तरों का मातृ-शुशि क्लिनिक खोला जाएगा। आंगनबाड़ी केन्द्रों में पूरक पोषण आहार के लिए 514 करोड़ रूपए और एकीकृत बाल विकास सेवाओं के लिए 582 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा-सबला योजना, एकीकृत बाल संरक्षण योजना, मुख्यमंत्री अमृत योजना, महतारी जतन योजना और नोनी सुरक्षा योजना सहित विभिन्न योजनाओं के लिए किए गए बजट प्रावधानों का भरपूर लाभ महिलाओं को मिलेगा।
डॉ. रमन सिंह ने श्रोताओं को बताया-प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत राज्य की नौ लाख महिलाओं को रसोई गैस कनेक्शन देकर हमने उन्हें धुएं और कालिख से आजादी दिला दी है। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री ने गरियाबंद जिले के ग्राम केडि़आमा (विकासखण्ड-छुरा) के अपने हाल ही के दौरे की एक रोचक घटना को भी याद किया। उन्होंने बताया-इस गांव में नंदिनी नामक गृहणी को रसोई गैस कनेक्शन मिला है। उन्होंने मुझे पांच मिनट में चाय बनाकर पिला दी। उनकी चाय पीकर मुझे जो स्वाद और आनंद आया, उसकी तुलना मैं किसी फाईव-स्टार होटल की चाय से भी नहीं कर सकता। इतना ही नहीं बल्कि नंदिनी ने जिस अंदाज में रसोई गैस से चाय बनने की तारीफ की, छत्तीसगढ़ी भाषा में उन्होंने मुझसे कहा-’भक्क ले जलथे अउ झट ले बनथे।’ यह उनके लिए खुशी का अवसर था।
छत्तीसगढ़ की हर बेटी में माता कौशल्या जैसा प्रताप
मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ के जन-जीवन में नारी-शक्ति के सम्मानजनक स्थान की चर्चा करते हुए कहा-छत्तीसगढ़ भगवान श्रीराम की माता कौशल्या का मायका है। इसलिए छत्तीसगढ़ की हर बेटी के भीतर माता कौशल्या जैसा जश और प्रताप है। मां दंतेश्वरी, मां बम्लेश्वरी, मां चंद्रहासिनी, मां महामाया और हर स्वरूप में आदिशक्ति देवियों के शक्तिपीठ और आस्था केन्द्रों की वजह से हमारे प्रदेश में नारी को सम्मान देने की अटूट परम्परा है। उन्होंने धमतरी की शतायू माता कुंवरबाई को स्वच्छ भारत मिशन में योगदान के लिए प्रधानमंत्री द्वारा चरण स्पर्श कर सम्मानित किए जाने का भी उल्लेख किया। डॉ. सिंह ने कहा-अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर राज्य की दो महिलाओं को राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं। इनमें से पुलिस आरक्षक सुश्री स्मिता तांडी को राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी के हाथों ’राष्ट्रीय नारी-शक्ति पुरस्कार’ और दुर्ग जिले की ग्राम पंचायत चीचा (पाटन) की सरपंच सुश्री उत्तरा ठाकुर को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के हाथों ’स्वच्छ शक्ति पुरस्कार’ मिला है। उत्तरा दिव्यांग होने के बावजूद काफी सक्रिय हैं और उन्होंने अपनी ग्राम पंचायत को ओडीएफ बनाने में बड़ा योगदान दिया है।


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