डिग्रीधारी चिकित्सकों पर कार्रवाई का पक्ष-विपक्ष ने किया विरोध
रायपुर ! प्रदेश में डिग्री डिप्लोमाधारी चिकित्सकों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई को लेकर आज विधानसभा में कांग्रेस सदस्यों ने जमकर हंगामा किया।

रायपुर ! प्रदेश में डिग्री डिप्लोमाधारी चिकित्सकों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई को लेकर आज विधानसभा में कांग्रेस सदस्यों ने जमकर हंगामा किया। इस मामले में विपक्ष के अलावा सत्तापक्ष के सदस्यों ने भी स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर को आड़े हाथों लिया। विपक्ष के भूपेश बघेल, धनेन्द्र साहू, सत्तापक्ष के देवजी पटेल, शिवरतन शर्मा ने आरोप लगाया कि कार्रवाई के नाम पर डाक्टरों से वसूली की जा रही है उनके पास प्रमाण है। सत्यनारायण शर्मा ने कहा वसूली की शिकायतें रायपुर एसपी से कई गई है। डाक्टरों को जेल भेजा जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर ने कहा किसी डाक्टर को जेल नहीं भेजा गया है। उन्होंने कहा जिनके पास वैध डिग्री नहीं है उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है।
बीएएमएस डाक्टरों को मान्यता देने के पक्ष में सरकार है। इन्हें अनुमति देने विधि विभाग को पत्र लिख गया है। इसके बाद वे निजी प्रेक्टिस कर सकेंगे। अवैध रूप से संचाचित दवाखानों की जांच करने कमेटी गठित की गई है। जिनकी डिग्री वैध है उनकी क्लीनिक शीघ्र खुलेगी। स्वास्थ्य मंत्री के जवाब से कांग्रेसी सदस्य संतुष्ट नहीं हुए। नारेबाजी व हंगामा करते हुए समूचा विपक्ष गर्भगृह में आ गया। इसके बाद सभी स्वमेय निलंबित हो गए। आसंदी ने कुछ देर बाद उनका निलम्बन समाप्त कर दिया। मंगलवार को ध्यानाकर्षण सूचना के जरिए डाक्टरों पर कार्रवाई का मामला पक्ष-विपक्ष ने उठाया।
सत्तापक्ष के शिवरतन शर्मा ने कहा प्रदेश में झोलाछाप डाक्टरों के विरूद्ध कार्रवाई के नाम पर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्य करने वाले डिग्रीधारी व्यक्तियों को परेशान किया जा रहा है। प्रदेश में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चिकित्सा विहीन है। सामुदायिक स्वास्थ्य कें द्र व जिला चिकित्सालयों में भी विशेषज्ञ व चिकित्सकों के पद रिक्त है। इन परिस्थितियों में ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्यरत व्यक्तियों के द्वारा ग्रामीण को प्राथमिक उपचार प्राप्त हो जाता है। शासन के अधिकारियों द्वारा फर्जी डिग्रीधारियों को उपचार का अधिकार नहीं है। इस आधार पर इस क्षेत्र में कार्यरत लोगों के विरूद्ध प्रकरण बनाये जा रहे है। उनके घर एवं दुकानों को सील किया जा रहा है। दबाव बना कर अवैध वसूली की जा रही है। पैरामेडिकल डाक्टरों पर कार्रवाई की आड़ में आयुर्वेदिक ,होम्योपैथी व यूनानी पद्धति से पढ़ाई करने वाले डिग्रीधारी चिकित्सकों पर भी छापामार कार्रवाई की जा रही है तथा कई क्लीनिकों पर जुर्माना ठोका गया है प्रदेश में 80 प्रतिशत चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं की जवाबदारी इन्हीं आयुर्वेद यूनानी होम्योपैथी व वैध पैरामेडिकल डिग्रीधरी चिकित्सकों के भरोसे है ये चिकित्सक शासन द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थाओं से डिग्रीधारी है आयुर्वेदिक डाक्ट सरकारी आयुर्वेदिक व एलौपेथी अस्पताल से इंटर्नशिप भी करते है छग सरकार द्वारा संचालित पैरामेडिकल सर्टिफिकेट कोर्स के प्रास्पेक्टस में भी यह लिखा है कि इस कोर्स के बाद पैरामेडिकल कार्यकर्ता के रूप में प्रैक्टिस करने की अनुमति होगी इनसे शासन द्वारा 20 हजार की फीस भी वसूली गई है एक वर्षीय पैरामेडिकल पाठयक्रम के छात्रों को छग सह चिकित्सकीय परिषद में पंजीयन की अनुमति देते हुये इन्हें ग्रामीण अंचलों में बीमारियों की पहचान कर साधारण बीमारियां के इलाज और बीमारियों के मरीज को सही स्थान पर रिफर करने के लिए सक्षम माना गया है स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस करने का अधिकार दिया है।
स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर ने अपने जवाब में कहा जिलास्तर पर जांच दलों के द्वारा नियमानुसार अपंजीकृत व्यक्ति डिग्री की परिधि से परे चिकित्सा करने वाले फर्जी चिकित्सा इकाई के संचालन करने वाले के विरूद्ध कार्रवाई की जा रही है एवं आवश्यकता अनुसार उनके दुकानों को सील किया जा रहा है। यह कहना बिल्कुल सही नहीं है कि कार्रवाई के दौरान दवाब बनाकर कोई अवैध वसूली की जा रही है। प्रदेश में 5466 डॉक्टरों के खिलाफ जांच की गई है इनमे 4968 डॉक्टरों पर कार्रवाई लंबित है। इस तरह कुल 498 डॉक्टरों पर कार्यवाही की गई है।
यह सहीं है कि कार्रवाई के दौरान कुछ अनियमित चिकित्सा इकाईयों पर जुर्माना लगाया गया है परंतु यह कहना सहीं नहीं है कि पैरामेडिकल डाक्टरों पर कार्रवाई की आड़ में आयुर्वेदिक होम्योपैथिक एवं यूनानी पद्धति से पढ़ाई किये हुए डिग्रीधारी व्यक्तियों पर भी अकारण छापामार कार्रवाई की जा रही है। वस्तुत: आयुर्वेदिक होम्योपैथिक व यूनानी पद्धति के डिग्रीधारी चिकित्सक यदि अपनी सेवायें नियमानुसार किसी चिकित्सकीय इकाई में वैद्य पंजीकरण के साथ दे रहे है तो उनके विरूद्ध कार्रवाई करने का प्रश्र ही उत्पन्न नहीं होता है यह सही है कि अभी भी प्रदेश में विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में इन्हीं आयुर्वेद यूनानी होम्योपैथी चिकित्सकों के द्वारा चिकित्सा सेवायें सफलतपूर्वक प्रदान की जा रही है। यह भी सही है कि संचालित मान्यता प्राप्त पैरामेडिकल कोर्स के अंतर्गत वैद्य सर्टिफिकेट प्राप्त व्यक्तियों को बीमारी का पहचान कर रेफर करने हेतु सक्षम माना गया है परंतु उन्हें स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस करने का अधिकार नहीं दिया गया है इस प्रकार वे किसी चिकित्सकीय ईकाई के अंतर्गत सक्षम डिग्रीधारी चिकित्सक के अधीन ही कार्य कर सकते है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा जिनकी दवाखाना सील किया गया है उनके पास आवश्यक डिग्री एवं पंजीयन नहीं था। ये लोग अनाधिकृत रूप से प्रेक्टिस करते पाए गए। केवल उन्हीं व्यक्तियों के विरूद्ध कार्रवाई की जा रही है जो अपात्र होते हुए भी निजी चिकित्सा व्यवसाय कर रहे है यह कहना बिल्कुल सहीं नही है कि विभाग कार्यवाही का दबाव बनाकर ऐसे चिकित्सकों से अवैध वसूली की जा रही है।
भूपेश बघेल ने कहा कि पाठ्यक्रम से जो शासकीय सेवा में आ गए है उन्हें तो प्रेक्टिश करने दिया जा रहा है जो अपना खुद का क्लिनिक खोले है उन्हें प्रेक्टिश करने से रोका जा रहां है । इसके जवाब में मंत्री ने कहा कि ऐसा नही है उन्हें डॉक्टरों के सहायक के रूप में कार्य करने दिया जा रहा है। स्वतंत्र रूप से प्रेक्टिश की अनुमति कहि नही दी गई हैं। विधायक अमित जोगी ने कहा कि एमसीआई से अनुमति है और केंद्र सरकार भी स्किल डेव्लपमेंट प्रोग्राम के तहत तकनीकी योग्यता विकसित कर उन्हें प्रोत्शाहन मेडिकल सेवा के क्षेत्र में तकनीकी जांच के लिए दे रही है। इसके जवाब में मंत्री ने कहा कि एमसीआई तथा केंद्र से इस तरह की कोई मान्यता नही मिली हैं। विपक्ष के सदस्य मंत्री के जवाब से संतुष्ट नहीं हुए। उन्होंने वसूली का आरोप लगाते हुए नारेबाजी करने लगे इसके बाद गर्भगृह में समूचा आकर विरोध करने लगा। इनमें बसपा के केशव चन्द्रा व स्वतंत्र सदस्य अमित जोगी भी शामिल थे।
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