माशिमं का कारनामा :12 वर्ष में नहीं हो पाया बोर्ड अंक सूची में सुधार
रायपुर ! छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। पिछले दिनों बोर्ड परिणामों के चलते बोर्ड की खबरें सामने आई और सिलसिला चलता रहा। अब जबकि सभी परिणाम निकल चुके हैं।

नियम और दस्तावेज में दिए एक समान प्रमाण
सुधार के लिए अब भी भटक रहा विद्यार्थी
रायपुर ! छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। पिछले दिनों बोर्ड परिणामों के चलते बोर्ड की खबरें सामने आई और सिलसिला चलता रहा। अब जबकि सभी परिणाम निकल चुके हैं। इसके बावजूद माशिमं चर्चा में है। इस बार किसी परिणाम को लेकर नहीं बल्कि एक विसंगति और लापरवाही पूर्ण कार्य की चर्चा है। इसमें बोर्ड एक विद्यार्थी को कक्षा (दसवीं) हाईस्कूल सर्टिफिकेट परीक्षा की अंक सूची में त्रुटि सुधार में 12 वर्ष लगा दिए। इसके बावजूद उक्त विद्यार्थी के अंक सूची में सुधार नहीं हो पाया। पिछले दिनों पासपोर्ट आफिस में किये गये आवेदन के बाद अंक सूची में त्रुटि का पता लगने के बाद विद्यार्थी फिर से सुधार के लिये माशिमं के चक्कर काट रहा है। जिसमें बोर्ड के अधिकारी नियम और दस्तावेज को एक बताकर लगातार गुमराह कर रहे है।
गौरतलब है कि कक्षा 10वीं का छात्र रहे गुरपाल सिंग भामरा पिता स्व. कुलवंत सिंग भामरा रामनगर निवासी ने कक्षा 10वीं की अंक सूची समें सुधार के लिये पहली बार वर्ष 2004 में आवेदन किया। आवेदन के 6 माह बाद जानकारी लेने पर बोर्ड के अधिकारी ने बताया कि आपका आवेदन गुम गया है पुन: अंक सूची के साथ आवेदन करें। 5वीं, 8वीं और कक्षा 10वीं की अंक सूची की कापी को दोबारा से जुटाने में उक्त छात्र को फिर से मेहनत करनी पड़ी। दो वर्ष तक धरसींवा से 5वीं और जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से 8वीं तथा बोर्ड से 10वीं की पुरानी अंक सूची को जुटा पाया। इस बार 2007 में आवेदन किया और दाखिल खारिज की पावती ली। फिर चार साल बाद वर्ष 2013 में अंक सूची को सुधार कर दिया गया जिसमें नाम और जनम तिथि में बदलाव करना था। इस छात्र के अंक सूची में जन्म तारीख 1988 के स्थान पर 1985 दर्ज थी तथा सिंग के स्थान पर सिंह अंकित था जिसमें सुधार होना था। वर्ष 2013 में प्राप्त सुधारी अंक सूची को लेकर छात्र ने पासपोर्ट बनाने के लिये 2017 में पासपोर्ट कार्यालय में आवेदन किया। जहां से अंक सूची के परीक्षण के लिये पासपोर्ट आफिस ने माशिमं भेजा। यहां पर अधिकारियों ने पुराना दाखिला खारिज को देखकर यह बता दिया कि उक्त छात्र का जन्म तिथि 1985 है। लिहाजा पासपोर्ट कार्यालय से छात्र के वेदन को खारिज कर वापिस भेज दिया गया। छात्र ने खारिज आवेदन को लेकर पासपोर्ट कार्यालय में संपर्क किया और बताया कि उनकी अंक सूची में सुधार बाद 1988 दर्ज कर बोर्ड ने सौंपी है जिसकी प्रति उपलब्ध कराई लेकिन पासपोर्ट अधिकारियों ने बोर्ड के सत्यापन को सही बताते हुए मानने से इंकार कर लिया। लिहाजा उक्त छात्र एक बार फिर से बोर्ड आफिस के चक्कर लगाकर दाखिला रजिस्टर में सुधार के लिये प्रयासरत है। यहां तक कि सूचना के अधिकार में प्राप्त जानकारी में यह बताया गया है कि बोर्ड के पंजी रजिस्टर में छात्र की अंक सूची सुधार अंकित नहीं की गई है। वहीं अधिकारी नियम का हवाला देकर गुमराह कर रहे है। ऐसे में इस छात्र ने सूचना के अधिकार में नियम व दस्तावेज की जानकारी प्राप्त की जिसमें छात्र को बोर्ड के अधिकारियों ने दस्तावेज और नियम को एक समान बताया है और जानकारी दी है। लिहाजा अब छात्र पासपोर्ट बनवाने के लिये बोर्ड के पंजी रजिस्टर में दर्ज जानकारी को सुधरवाने के लिये भटक रहा है।


