नक्सल प्रभावित राज्यों के लिए हो अलग बजट
रायपुर ! छत्तीसगढ़ सरकार ने केन्द्र सरकार के आगामी बजट में राज्य के नक्सल प्रभावित 8 जिलों में अधोसंरचना विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, सिंचाई, पेयजल एवं स्वच्छता के विकास के लिए

केन्द्रीय सुरक्षा बलों का 6400 करोड़ का खर्च केन्द्र उठाए
प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के 25 हजार किमी सडक़ों के लिए रखरखाव के लिए भी मिले सहायता
जीएसटी से 2600 करोड़ की क्षतिपूर्ति का भी आग्रह
रायपुर ! छत्तीसगढ़ सरकार ने केन्द्र सरकार के आगामी बजट में राज्य के नक्सल प्रभावित 8 जिलों में अधोसंरचना विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, सिंचाई, पेयजल एवं स्वच्छता के विकास के लिए बनाये गये बस्तर डेव्हलपमेंट प्लान के लिए अलग से राषि का प्रावधान करने की मांग की है। छत्तीसगढ़ के वाणिज्य कर मंत्री अमर अग्रवाल ने आज नई दिल्ली में केन्द्रीय वित मंत्री श्री अरूण जेटली की अध्यक्षता में राज्य सरकारों से बजट-पूर्व सुझाव प्राप्त करने के लिए आयोजित बैठक में की । बैठक में झारखण्ड के मुख्यमंत्री और अन्य राज्यों के वित्त मंत्री भी उपस्थित थे ।
श्री अमर अग्रवाल ने कहा कि देश में 35 सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिलों में से 8 जिले छत्तीसगढ़ के हैं। इन जिलों के सर्वांगीण विकास के लिए 4,433 करोड़ रूपये की कार्ययोजना बस्तर प्लान बना कर नीति आयोग की विशेष पहलों के अंतर्गत स्वीकृति हेतु प्रस्तावित किया गया है । विगत एक वर्ष में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था में काफी सुधार आया है और कई क्षेत्रों से नक्सल समस्या को दूर किया गया है। इस सुधार में सुरक्षा उपायों के साथ-साथ विकास मूलक कार्यों का भी महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा संबंधी व्यय की प्रतिपूर्ति में विशेष पुलिस अधिकारी के वेतन की प्रतिपूर्ति का प्रावधान नहीं है। इस राशि का प्रावधान आगामी बजट में करने से नक्सल समस्या से निपटने में राज्य की बड़ी मदद होगी। उन्होंने कहा कि नक्सल समस्या एक राष्ट्रीय समस्या है। छत्तीसगढ़ राज्य इसके उन्मूलन के लिए प्रतिबध्द है। राज्य में तैनात केन्द्रीय सुरक्षा बलों पर होने वाला व्यय, जो कि 6 हजार 400 करोड़ है, के भुगतान से, राज्य के वित्तीय संसाधनों पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री से अनुरोध किया कि केन्द्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती पर होने वाले इस व्यय को राज्य से न लिया जाये।
श्री अग्रवाल ने राज्य के 8 सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिलों में वित्तीय समावेशन को प्रोत्साहित करने के लिए नई बैंक शाखाएं खोलने हेतु सहयोग का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की जनसंख्या का लगभग आधा भाग अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति वर्गों से है। इन वर्गों के कल्याण के लिए वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था बनाई जाये तथा यह सुनिश्चित किया जाये कि इन वर्गों के विकास हेतु आगामी बजट में चिन्हांकित राशि पूर्व वर्षो की तुलना में कम न हो। श्री अग्रवाल ने कहा कि विमुद्रीकरण के केन्द्र सरकार के निर्णय का पूरा छत्तीसगढ़ राज्य स्वागत करता है तथा डिजिटल भुगतान व कैशलेस व्यवस्था लाने के लिए समस्त उपाय राज्य स्तर पर किये जा रहे है। उन्होंने कहा कि ग्राम स्तर पर ही बैंकिंग सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भारतनेट परियोजना को युद्ध स्तर पर क्रियान्वित करना आवश्यक है। डाक विभाग के प्रस्तावित पेमेंट बैंक को भी इन क्षेत्रों को केन्द्रित रख कर अपनी सेवाओं की शुरूआत करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विमुद्रीकरण के उपरान्त कैशलेस ट्रान्जेक्शन में काफी वृद्धि हुई है। कैशलेस व्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए पॉस मशीनों पर डेबिट/क्रेडिट कार्ड के माध्यम से होने वाले ट्रान्जेक्शन पर दर कम करने हेतु प्रयास करने होगें।
साथ ही कैशलेस ट्रान्जेक्शन पर लगने वाले सर्विस टैक्स को माफ किया जाये तथा आगामी जी.एस.टी. व्यवस्था में भी टैक्स छूट की व्यवस्था रखी जाये।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के अंतर्गत राज्य में लगभग 25 हजार कि.मी. लंबाई की सडक़ों का नेटवर्क तैयार किया जा चुका है। इन सडक़ों के मेंन्टेनेन्स का व्यय काफी अधिक है। उन्होंने अनुरोध किया की इसके लिए वर्तमान आंबटन से व्यय करने की अनुमति का प्रावधान आगामी बजट में किया जाये। भारत सरकार ने मार्च 2019 तक शत्प्रतिशत् घरों को विद्युत कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा है किन्तु दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में केवल 100 से अधिक जनसंख्या वाले गावों तथा मजरों-टोलों के विद्युतीकरण के लिए प्रावधान है। छत्तीसगढ़ में जनसंख्या का घनत्व राष्ट्रीय औसत से लगभग आधा है। इसलिए बड़ी संख्या में परिवारों का विद्युतीकरण उक्त योजना में संभव नहीं हो पा रहा है। अत: अनुरोध है कि इसके लिए मापदंड में छूट दी जाये तथा 50 से अधिक जनसंख्या वाले मजरों-टोलों को योजना में कवर किया जाये।
श्री अग्रवाल ने कहा कि अगले वर्ष से लागू होने वाली जी.एस.टी. कर प्रणाली में छत्तीसगढ़ राज्य को कई वस्तुओं के उत्पादक राज्य होने के कारण वर्तमान में प्राप्त प्रतिवर्ष आय में से लगभग 26 सौ करोड़ प्राप्त नहीं होगा। इसके लिए जी.एस.टी. कान्उसिल द्वारा लिये गये निर्णय अनुसार वर्ष 2015-16 के राजस्व को आधार बनाकर प्रतिवर्ष 14 प्रतिशत वृद्धि जोडक़र प्रतिपूर्ति की जाये। प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए राज्यों को भी 40 प्रतिशत राज्यांश के रूप में बड़ी राशि का योगदान देना है। उन्होंने मांग की कि राज्यांश की व्यवस्था हेतु बॉन्ड के माध्यम से राशि की व्यवस्था करने की अनुमति राज्यों को दी जाये तथा इसे एफ.आर.बी.एम. एक्ट की परिधी से बाहर रखा जाये। सबके लिए आवास के सपने को साकार करने के लिए 60 वर्गमीटर के कारपेट एरिया के छोटे मकानों पर सर्विस टैक्स एवं लेबर सैस को माफ किया जाये।
उन्होंने नई राजधानी (नया रायपुर) में अधोसंरचना निर्माण के लिए केन्द्र सरकार से विशेष सहायता देने की मांग की । रायपुर एयरपोर्ट में इन्टरनेशनल कार्गो टर्मिनल प्रारंभ करने की भी मांग की । बैठक में उन्होंने रायपुर में इनलैन्ड कन्टेनर डिपो स्थापित करने की भी मांग की । जगदलपुर-बस्तर के वर्तमान मेडिकल कॉलेज अस्पताल को सुपर स्पेष्लिटी असपताल के रूप में उन्नयन के लिए तथा बिलासपुर में राज्य कैंसर संस्थान की स्थापना करने हेतु आगामी बजट में प्रावधान करने का भी आग्रह किया गया। छत्तीसगढ़ राज्य से सटे अमरकंटक, मध्य प्रदेश में संचालित केन्द्रीय आदिवासी विश्वविद्यालय का एक कैंपस बस्तर की जनजातियों के विशेष अध्ययन हेतु खोलने की मांग है बैठक में उन्होंने नैक का एक क्षेत्रीय कार्यालय रायपुर में तथा राज्य में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का क्षेत्रीय कार्यालय खोलने का आग्रह किया। श्री अग्रवाल ने कहा कि उन्हें आशा है कि राज्य के इन सुझावों व मांगों पर केन्द्र सकारात्मक रूप अपनायेगा और इससे आगामी बजट को और अधिक जनहितकारी बनाने में मदद होगी। बैठक में प्रमुख सचिव वित्त अमिताभ जैन भी उपस्थित थे।


