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रेलवे उतारेगा सूचना प्रणाली से लैस स्मार्ट कोच

भारतीय रेलवे जल्द ही स्मार्ट कोच उतारेगा। ये आधुनिक स्मार्ट कोच ब्लैक बाक्सेज व कोच सूचना व डॉयग्नोस्टिक (खराबियों की जांच) प्रणाली से लैस होंगे

रेलवे उतारेगा सूचना प्रणाली से लैस स्मार्ट कोच
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- अरुण कुमार दास

ई दिल्ली। भारतीय रेलवे जल्द ही स्मार्ट कोच उतारेगा। ये आधुनिक स्मार्ट कोच ब्लैक बाक्सेज व कोच सूचना व डॉयग्नोस्टिक (खराबियों की जांच) प्रणाली से लैस होंगे।

परियोजना से जुड़े रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस से कहा कि रेलवे में पहली बार ब्लैक बाक्सेज का इस्तेमाल होगा, जो शक्तिशाली बहु-आयामी संचार इंटरफेस से लैस है। इससे कोच की स्थिति व यात्रियों से जुड़ी सामयिक जानकारी प्राप्त होगी।

इस पहले स्मार्ट कोच का रायबरेली कोच फैक्ट्री में 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर पायलट परियोजना के तहत अनावरण किया जाएगा।

इसमें सबसे महत्वपूर्ण प्रणाली के महत्वपूर्ण घटकों की निगरानी की है, जिसमें ट्रेन के पटरी से उतरने व देरी और रेल के बुनियादी ढांचे में गड़बड़ी की पहचान करना है।

अधिकारी ने कहा कि रेलवे यात्री कोचों से जुड़ी कमियों व पटरियों की वास्तविक स्थिति का पता लगाने के लिए बहुप्रतीक्षित सेंसर आधारित ऑन बोर्ड कंडीशन निगरानी प्रणाली (ओबीसीएमएस) शुरू करेगा।

ओबीसीएमएस का लक्ष्य ट्रेन के संचालन में सुरक्षा व रक्षा को मजबूत करना है क्योंकि इसमें एकीकृत सीसीटीवी और सूचना प्रणाली होगी, जिससे हरदम कोच की स्थिति, आसिलेटरी व्यवहार, कोच की डॉयग्नोस्टिक्स व ताप, वायु संचालन व वातानुकूलन व जल प्रबंधन व अन्य जानकारी मिल सकेगी।

इस प्रणाली के अनुसार, ऑन-बोर्ड सेंसर लगातार कंपन और तापमान रिकॉर्ड करता है। कंपन का असमान्य होना सबसे प्राथमिक संकेत है कि डिब्बे के पहिए की कार्यप्रणाली में कुछ गड़बड़ी हो सकती है। यह संचालक इस व्यवहार को सावधानीपूर्वक निगरानी की अनुमति देता है और इस तरह यह आगे किसी नुकसान को रोकता है।

शुरुआती चरण में व्यवहार की गलती का पता लगने से इससे घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी और इसके अनुसार रखरखाव कार्यक्रमों की योजना बनाई जा सकती है।

इन स्मार्ट कोच का मुख्य आधार वायरलेस सेंसर मोड होगा, जो एक हर पहिए में लगाए जाने के बाद पहिए व इसके व्यवहार की जानकारी देने में मदद करेगा।

अधिकारी ने आईएएनएस से कहा, "एक बार बड़े स्तर पर लगाए जाने के बाद, ये सेंसर वास्तविक समय के आधार पर ट्रैक की स्थिति की निगरानी करने में सक्षम होंगे। इससे भविष्य में सुरक्षा, ज्यादा उपयोग और संचालन की लागत व रखरखाव में कमी आएगी।"


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