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संपत्तियों की सुरक्षा के लिए रेलवे ने इसरो के साथ समझौता किया​​​​​​​

रेलवे की सम्पत्ति या जमीन पर कब्जा कर पाना अब आसान नहीं रह जायेगा। अपनी सम्पत्तियों की सुरक्षा के लिए रेलवे ने इसरो(भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान)के साथ समझौता किया है।

संपत्तियों की सुरक्षा के लिए रेलवे ने इसरो के साथ समझौता किया​​​​​​​
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झांसी । रेलवे की सम्पत्ति या जमीन पर कब्जा कर पाना अब आसान नहीं रह जायेगा। अपनी सम्पत्तियों की सुरक्षा के लिए रेलवे ने इसरो(भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान)के साथ समझौता किया है। इसरो की सैटेलाइट रेलवे की सम्पत्तियों की निगरानी करेगी।

रेलवे ने अपनी सम्पत्ति और जमीन की सुरक्षा के लिए इसरो के साथ समझौता पत्र पर हस्ताक्षर कर लिये र्हैं और इसे अमलीजामा पहनाने के लिए रेलवे ने सभी मंडलों को सभी संपत्तियों का डाटा संकलन करने के दिशा-निर्देश दिये हैं।

रेलवे सूत्रों के मुताबिक, प्रत्येक मंडल में एक कंट्रोल रूम भी स्थापित किया जायेगा, जहां रेलवे के अधिकारी सभी संपत्तियों की जानकारी मुख्य कंट्रोल रूम को देंगे।

इसके जरिये इसरो के पास पूरी जानकारी भेजी जायेगी, जहां चिह्नित स्थानों को सैटेलाइट में फीड किया जायेगा।

इसके साथ ही, कहा यह भी जा रहा है कि रेलवे की सभी संपत्तियों का खाका तैयार किये जाने के बाद जीआईएस पोर्टल विकसित किया जायेगा।

यह पूरी तरह से जीपीएस प्रणाली पर आधारित होगा। इसका कार्य जोरशोर से चल रहा है, फिलहाल, प्रगति के लिहाज से कार्य इस साल के दिसंबर तक पूरा होने की संभावना है। इसके लिए सीआरआइएस (सेंटर फॉर रेलवे इनफर्मेशन सिस्टम्स) एप्लीकेशन तैयार करने में लगा है।

सूत्रों के अनुसार रेलवे ने संपत्तियों की निगरानी तंत्र को मजबूत करने के लिए दिशा-निर्देश दिये हैं। बताये गये मैपिंग के हिसाब से सैटेलाइट में चिह्नित स्थान अपलोड होगा, जिससे 24 घंटे उन पर नजर रखी जा सकेगी।

इसमें रेलवे स्टेशन भी शामिल हैं। इसके अलावा, इसके जरिये रेलवे ट्रैकों पर भी नजर रखे जा सकेगी ताकि ट्रैक और सिग्नल उपकरणों की खामी को पकड़ा जा सके। ट्रैकों के काम भी ऑनलाइन दिखेंगे।

इससे रेलवे को यह भी जानकारी मिलेगी कि कहां निर्माण या मरम्मत का काम चल रहा है। रेलवे के मुताबिक, पूरी प्लानिंग के बाद ही इसरो के साथ समझौता किया गया है। इसके लिए रेलवे के इंजीनियर और इसरो संयुक्त रूप से प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं।


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