रेलवे के 21 अधिकारी नपे, सात खानपान ठेकेदारों के ठेके रद्द
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने शुक्रवार को संसद में पेश की गई रिपोर्ट में रेलगाड़िय़ों में परेासे जा रहे खाने को इंसानों के खाने लायक नहीं बताया है

नई दिल्ली। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने शुक्रवार को संसद में पेश की गई रिपोर्ट में रेलगाड़िय़ों में परेासे जा रहे खाने को इंसानों के खाने लायक नहीं बताया है तो वहीं रेलवे ने सफाई में कहा है कि यह रिपोर्ट वर्ष 2013 से 2016 के बीच की है। भारतीय रेल ने बीते दो साल में खानपान सेवाओं में आमूल चूल परिवर्तन की शुरुआत की है। नई खानपान नीति बना कर तय किया है कि खाना बनाने और परोसने की जिम्मेदारी अलग-अलग हाथों में दी जाएगी। बेस किचन में खाना पकाते समय आईआरसीटीसी के अधिकारी निगरानी करेंगे।
रेलवे के निदेशक जनसंपर्क वेदप्रकाश ने बताया कि अभी तक निजी ठेकेदारों के किचन थे लेकिन अब रेल मंत्रालय पीपीपी मॉडल के आधार पर नए आधुनिक 100 बेस किचन बनाने की योजना पर काम कर रहा है। उन्होंने सख्ती से कहा कि किसी भी लापरवाही पर सख्ती बरतेंगे और यह अब दिखाई देने लगा है। इसी कड़ी में रेलगाड़ियों, बेस किचन व स्टेशनों पर लगे स्टॉल आदि पर पिछले साल 40 हजार निरीक्षण किए हैं जो कि बीते दो-तीन वर्षों के मुताबिक कहीं ज्यादा हैं। इसके साथ ही सियालदाह राजधानी के आरके एसोसिएट्स, रांची राजधानी, अहमदाबाद सप्तक्रांति एक्सप्रेस में सेवा दे रहे अंबुज होटल्स, मंगला एक्सप्रेस के सत्यम कैटरर्स सहित सात रेलगाड़ियों में चल रहे खानपान के ठेकेदारों के ठेके निलंबित किए गए हैं।
अधिकारियों ने दावा किया है कि खानपान सेवाओं में सुधार हेतु निरीक्षण के लिए जिम्मेदार 21 रेल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई जबकि पिछले वर्षों में ऐसी कार्रवाई में तीन-चार अधिकारियेां के खिलाफ ही कार्रवाई की गई थी। वहीं ठेकेदारों से 4.54 करोड़ रुपये जुर्माने के तौर पर वसूले हैं। जबकि यह राशि 2016 में 4.05 करोड़ व उससे पहले वर्ष में मात्र 2.61 करोड़ रूपए थी। उन्होंने बताया कि भारतीय रेल रोजाना 11 लाख यात्रियों को खाना आपूर्ति करती है और रोजाना औसतन 24 शिकायत आती हैं जो कि .002 प्रतिशत से कम होगी लेकिन रेल मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु का निर्देश है कि सेवाओं में सुधार कर शिकायतों को शून्य के स्तर पर लाया जाए।


