रेल मंत्री कर रहे थे बैठक और देश के कई हिस्से में पटरी से उतर गई रेलगाड़ियां
रेल मंत्रालय की कमान संभालने के बाद पीयूष गोयल ने गुरूवार को अधिकारियों के साथ रेलगाडिय़ों के संचालन में सुरक्षा उपायों की विस्तृत समीक्षा के लिए बैठक बुलाई थी

नई दिल्ली। रेल मंत्रालय की कमान संभालने के बाद पीयूष गोयल ने गुरूवार को अधिकारियों के साथ रेलगाडिय़ों के संचालन में सुरक्षा उपायों की विस्तृत समीक्षा के लिए बैठक बुलाई थी। जिस समय मंत्री बैठक कर रहे थे उसी समय दिल्ली में जहां राजधानी पटरी से उतर गई वहीं सुबह से लेकर शाम तक रेलगाडिय़ां पटरी से उतरती रहीं। सुबह यूपी के सोनभद्र में तो दोपहर में दिल्ली के शिवाजी ब्रिज पर और फिर महाराष्ट, में एक मालगाड़ी पटरी से उतर गई। राहत की बात यह रही किइन दुर्घटनाओं में यात्री सही सलामत रहे वरना हालात भायवह हो सकते थे।
इसके बीच रेलमंत्री पीयूष गोयल ने रेलवे बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारियों और रेलवे बोर्ड सुरक्षा निदेशालय के सदस्यों के साथ बैठक की और दुर्घटनाओं के कारणों के बारे में बारीकी से विश्लेषण किया गया।
बैठक में रेल मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए और इस मोर्चे पर किसी भी प्रकार का कोई समझौता नहीं होना चाहिए। बैठक में दुर्घटना के दो प्रमुख कारणों मानव रहित लेवल क्रॉसिंग और पटरियों में खराबी के कारण ट्रेन का पटरी से उतरने पर चर्चा की गई।
बैठक में इस बात पर विशेष जोर दिया गया कि रेलगाड़िय़ों के पटरी से उतरने के कारणों की पहचान की जाए, जो ट्रेन दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण है।
रेल मंत्री ने ट्रेनों के संचालन में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रेलवे बोर्ड को मुख्य रूप से पांच बिंदुओं पर ध्यान देने के निर्देश दिए। जिनमें पहला एक वर्ष के भीतर समूचे भारतीय रेलवे नेटवर्क पर सभी मानव रहित लेवल क्रॉसिंग को तेजी से हटाया जाए, पटरियों को बदलने के कार्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए और जहां पर नई लाइनों का निर्माण होना है वह उन स्थानों पर किया जाए, जो दुर्घटना की दृष्टि से संवेदनशील हैं और पटरियों को बदलने की योजना है। नई पटरियां खरीदने के कार्य में बड़े पैमाने पर तेजी लाई जाए, ताकि नई लाइनों के निर्माण का कार्य समय पर पूरा हो सके। साथ ही परम्परागत आईसीएफ डिजाइन कोच का निर्माण रोक कर नये डिजाइन के एलएचबी कोच बनाए जाएं और पांचवा इंजन में कोहरा रोधक एलईडी लाइटें लगाई जाएं, ताकि कोहरे के मौसम के दौरान ट्रेनों का संचालन सुरक्षित तरीके से हो सके।


