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नगदरहित, निजी अस्पतालों में रेलकर्मियों का हो सकेगा इलाज

रेल मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने रेल कर्मियों को बड़ी राहत देते हुए आज से नगदरहित इलाज की सुविधा योजना का शुभारंभ किया

नगदरहित, निजी अस्पतालों में रेलकर्मियों का हो सकेगा इलाज
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नई दिल्ली। रेल मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने रेल कर्मियों को बड़ी राहत देते हुए आज से नगदरहित इलाज की सुविधा योजना का शुभारंभ किया।

यह सुविधा रेलवे के कार्यरत व सेवानिवृत्त सभी अधिकारियों, कर्मचारियों के साथ उनके परिवार के लिए होगी और अब उन्हें इलाज करवाना आसान हो जाएगा, उन्हें इलाज के लिए लिए पैसों या रेलवे अस्पताल से रेफर करवाने की परेशानी भी नहीं होगी।

रेल मंत्रालय की इस कैशलेस योजना का लाभ मुख्यत: निजी सूचीबद्ध अस्पतालों में इलाज के लिए भी मिल सकेगा। इसका सीधा फायदा रेलवे के 14 लाख रेलकर्मी व 5.5 लाख सेवानिवृत्त कर्मियों व उनके परिजनों सहित करीबन 70 लाख लोगों को मिलेगा।

रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने बुधवार को इस सेवा की शुरुआत करते हुए कहा कि कैशलेस हेल्थ स्कीम का सीधा फायदा रेलकर्मियों को होगा। रेलवे के अपने 121 अस्पतालों व 586 हेल्थ यूनिट्स हैं लेकिन आपात स्थिति में शहरों के दूरदराज हिस्सों में बसे रेलकर्मियों के रेलवे अस्पताल पहुंचने में होने वाली परेशानियों को ध्यान में रखते हुए अब देश भर के निजी अस्पतालों में इलाज करवाया जा सकेगा। इन अस्पतालों से समझौता हो चुका है और रेलकर्मियों को अपना आधार नंबर जोड़ना होगा व जैसे ही मरीज अस्पताल में आएगा पूरा ब्यौरा संबंधित अस्पताल रेलवे को दे देगा व अंत में बिल रेलवे को भेज देगा।

खास बात यह भी है कि रेलवे अस्पताल का डॉक्टर निजी अस्पताल के डॉक्टर से सर्वर के माध्यम से मरीज की जानकारी साझा भी कर सकेंगे।

रेलकर्मचारियों के लिए रेलवे यूनियन इस सुविधा की मांग लंबे वक्त से कर रहा था। पिछले महीने इसे लेकर एक बैठक भी हुई थी। आल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन एवं नॉदर्न रेलवे मेन्स यूनियन के महामंत्री शिव गोपाल मिश्र ने भी यह मांग उठाई थी कि कैशलेस चिकित्सा स्कीम की सुविधा भारतीय रेलवे में भी प्रदान किया जाय, जिससे सेवानिवृत्त रेल कर्मचारी और सेवारत रेल कर्मचारी इसका समुचित लाभ उठा सकें।

इस मौके पर रेल मंत्री ने रेल क्लाउड नामक तकनीक की शुरुआत भी की। इससे रेल नेटवर्क पर नियंत्रण रखना आसान होगा।

रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि रेलवे का जितना बड़ा नेटवर्क है, उसमे रेलवे के पास अपना सेटअप होना जरूरी है। आने वाले दिनों में रेल ट्रैफिक को भी डिजिटल तकनीक से ही नियंत्रित किया जाएगा।


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