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शहर की ट्रैफिक बदहाल, लोग हो रहे परेशान

रायगढ़ ! शहर में इन दिनों शाम के वक्त भी शहर के अधिकांश मार्गो में जाम की स्थित निर्मित होने लगी है।

शहर की ट्रैफिक बदहाल, लोग हो रहे परेशान
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सडक़ों में शाम को भी जाम की स्थिति
रायगढ़ ! शहर में इन दिनों शाम के वक्त भी शहर के अधिकांश मार्गो में जाम की स्थित निर्मित होने लगी है। जिससे आम जनता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। टे्रफिक विभाग के द्वारा लाख कोशिशों के बावजूद ट्रेफिक जाम की स्थिति जस की तस बनी हुई है। वाहनों की लगातार बढ़ती संख्या, बेतरतीब पार्किग, दुकान के बाहर सामान रखने की प्रवृत्ति और चौक चौराहों पर ड्यूटी बजाने वाले यातायात कर्मियों की मोबाईल पर व्यवस्तता या आपस में बतियाने की प्रवृत्ति के कारण यह समस्या अब दिनों दिन बढ़ती जा रही है और लोग खासकर शाम के वक्त चार पहिया लेकर घर से बाहर निकलने में कतराने लगे है। आलम तो यह है कि इसके बावजूद उन्हें दुपहिया में भी कई रास्तों पर अघोषित जाम के कारण रूक-रूककर आगे बढऩा पड़ता है।
यूं तो शहर में एक लंबे अर्से से शहर में ट्रेफिक जाम की समस्या बनी हुई है। अगर हम बात करें रायगढ़-घरघोड़ा मार्ग की तो इस मार्ग की तो इस मार्ग में 3 प्राइवेट स्कूल संचालित होते आ रहें है। जिसमें ज्ञान गंगा स्कूल, सरस्वती शिशु मंदिर व कार्मेल कान्वेंट स्कूल इन स्कूलों की छुट्टी के वक्त इस मार्ग में जाम की स्थित निर्मित हो जाती है, लेकिन सबसे ज्यादा जाम की स्थिति कार्मेल कान्वेंट की छुट्टी के वक्त होती है। जब दोपहर में कार्मेल की छुट्टी होती है तब इस मार्ग पर जिंदल स्कूल की बसें व केवड़ाबाडी बस स्टैण्ड से निकलने वाली बसों के इस मार्ग में घुसने से यह मार्ग पूरी तरह से अस्थाई तौर पर बंद हो जाती है और इस तपती गर्मी में जाम में फंसे लोगों का गर्मी से हाल बेहाल हो जाता है। इस मार्ग पर यात्री बसों को इंदिरा नगर के डायवर्टेड रूट से चलाने की शहरवासियों की लगातार मांग और कार्मेल स्कूल के साईड वाला गेट खुलवाने की लगातार कोशिशों के बावजूद स्थिति अब तक जस की तस है, यहां तक कि इसकी आवाज उठाने वाला संगठन भी अब शायद नींद में गाफिल है। वहीं गत 15-20 दिनों से शाम के वक्त शहर के अधिकांश मार्ग जैसे मुरारी होटल गली, गद्दी चौक, सुभाष चौक, गोपी पैलेस रोड़, मंदिर चौक, गोपी टाकीज चौक, रामनिवास टाकीज चौक, गांधी पुतला मार्ग, कोतवाली थाने के सामने के अलावा चांदनी चौक सहित शहर के अधिकांश मार्गो में ट्रेफिक जाम की स्थिति साफ तौर पर देखी जा सकती है। इस ट्रेफिक जाम की स्थिति से जहां आम नागरिक दोपहर के वक्त कार्मेल स्कूल मार्ग में फंसकर परेशान हो रहें है वहीं शाम के वक्त शहर के अंदरूनी मार्गो में फंसकर ट्रेफिक विभाग को कोसते नजर आते हैं। वहीं ट्रेफिक विभाग के द्वारा लाख कोशिशों के बावजूद इस जाम की स्थिति से शहरवासियों को निजात नही मिल सकी है। शहरवासियों की मानें तो इसका प्रमुख कारण चौक-चौराहों पर डय़ूटी देने वाले यातायात कर्मियों का अधिकांश समय मोबाईल में व्यस्त रहना या दो या तीन का गुट बनाकर आपस में बतियाने को माना जा रहा है। कई बार तो चौक-चौराहों पर वाहन आपस में टकराते रहते है और लोगों के बीच विवाद या बहस शुरू होनें के बावजूद यातायात कर्मी फोन पर ही व्यस्त नजर आते है। इस संबंध में हमारे संवाददाता ने शहर के कुछ लोगों से चर्चा की तो अनुप, अमित, दीपक, दीपिका, रेणुका ने बताया कि शहर के अधिकांश मार्गो में तकरीबन महीनों भर से ट्रेफिक जाम की स्थिति बनी हुई वहीं ट्रेफिक विभाग के अधिकारी कर्मचारी ट्रेफिक व्यवस्था को दुरूस्त करने की बजाये हेलमेट चेकिंग के नाम पर पैसे वसूलने में मशगूल है। ट्रेफिक विभाग को वसूली अभियान छोडक़र आम जनता को हो रही परेशानी को देखते हुए शहर के चौक-चौराहों पर लगने वाले जाम को नियंत्रण करने की जरूरत है जिससे यातायात की समस्या दूर हो सके।
एंबुलेंस भी फंसती है जाम में
सडक़ों में लगने वाले जाम में जहां आम आदमी घंटो परेशान रहता है वहां मरीजों की भी जान सांसत में लटकी रहती है चूंकि सडकों पर होनें वाली भीड-भाड तथा ट्रेफिक की समस्या से एंबुलेंस को भी काफी देर तक खडा रखना पडता है और सायरन बजाती एंबुलेंस के सामने से कोई हटने को तैयार नही रहता। कई बार तो शहर के इस आम जनजीवन बनते जा रहे जाम में नेता जी या प्रशासन अधिकारियों की गाडी भी फंस जाती है कल तो तब हद हो गई जब हटरी चौक के पास संकरे मार्ग पर जाम के कारण शव लेकर जा रहे लोगों को भी करीब 8 मिनट तक जाम में खडे होना पड़ा। सबसे ज्यादा दुखद स्थिति केवडाबाडी बस स्टैण्ड से लेकर किरोडीमल चौक तक की है जहां तीन-तीन स्कूलों से निकलने वाले बच्चों को लेने आने वाले वाहनों की बेतरतीब पार्किग तथा सडक़ों पर खड़े होने के चलते सुबह हो शाम जाम ही जाम देखने को मिलता है। इस मार्ग से गुजरने वाली एंबुलेंस भी जब जाम में फंसती है तो कोई भी जाम को खोलने को तैयार नही होता जिसके चलते एंबुलेंस में जिंदगी और मौत के बीच जूझता मरीज कभी-कभी मौत की नींद सो जाता है। कार्मेल स्कूल के सामने तो ऐसा नजारा आम हो चला है।
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