शिंवागी ने वादा निभाया, सामने पिता का शव देखकर भी परीक्षा नहीं छोड़ी
रायगढ़ ! कहते है कि कोई भी बेटी अपने पिता को दिये वचन को पुरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं, मगर यदि सामने पिता की डेड बाडी रखी है

सामने पिता का शव देखकर भी निकली परीक्षा देने
रायगढ़ ! कहते है कि कोई भी बेटी अपने पिता को दिये वचन को पुरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं, मगर यदि सामने पिता की डेड बाडी रखी है तो किसी का भी साहस जवाब दे सकता है, मगर ओपीजे आईटी में पढऩे वाली शिवांगी ने ऐसे विकट समय में भी पिता को दिये वचन का मान रखा और अदम्य साहस का परिचय दिया है। ऐसी बेटियंा ही आगे चलकर अपने साथ - साथ परिवार का नाम रौशन करती है।
इस संबध में मिली जानकारी के मुताबिक मूलरूप से झुमरीतलैया झारखंड़ के रहने वाले सतीश कुमार सिन्हा 52 वर्ष कुछ पिछले वर्षो से रायगढ़ के बैकुठपुर जगन्नाथ मंदिर के पास रहते हुए प्राइवेट में एकाउंट का काम करते थे वे अपने बेटे सिद्धार्थ और होनहार बेटी शिवांगी को अच्छी तालीम दिलाना चाहते थे और इसी उद्देश्य को पुरा करने के लिए श्री सिन्हा ने अपने बेटे को सीए की तैयारी के लिए दिल्ली भेज रखा था। तथा 22 वर्षीय पु़त्री शिवांगी को रायगढ़ के ओपीजे आईटी बीई मेटलर्जी में दाखिला करवाया था। श्री सिन्हा की इच्छा थी कि शिवंागी मेटलर्जी में ग्रेजुएट हो और किसी अच्छे संस्थान में काम करे मगर होनी को कौन टाल सकता है दुर्भाग्य से गत 26 अप्रेल को श्री सिन्हा किसी काम से घरघोडा गये थे जहॉ से वापसी के समय वे श्याम पेटोल पंप के पास सडक़ दुर्घटना का शिकार हो गए और उन्हे गंभीर स्थिति में अस्पताल लाकर भर्ती कराया गया सयेांग से उसी समय शिंवागी की परीक्षा चल रही थी। इसके बावजूद शिवंागी ने अपने पिता को न केवल भर्ती कराया बल्कि उनकी देखरेख के साथ-साथ अस्पताल में ही पढ़ाई करती यहा शिंवागी अपनी मॉं अनिता सिन्हा से रहा करती थी कि वह अपने पिता की इच्छा को हर हाल में पुरा करना चाहती है इसी बीच 28 अप्रेल को रात सतीश का देहांत हो गया और पुरे सिन्हा परिवार पर जैसे वजा्रघात हो गया मगर इतने विपरीत परिस्थितियों के बावजुद शिवांगी ने हिम्मत नहीं हारी और अपने पिता के शव को पीएम के लिए मरच्युरी में रखवाने के बाद सुबह 29 अप्रेल को उसने अपनी परीक्षा भी दी। शिंवागी वर्तमान में मेटलर्जी अतिंम वर्ष की छात्रा है। फिलहाल उसका रिजल्ट नंही आया है इसी बीच सिन्हा परिवार के उपर से एकमात्र कमाने वाले पिता का छत्र छाया हट गई है। शिंवागी रिजल्ट आने के बाद यहीं किसी संस्थान में काम करके अपने छोटे भाई को आगे पढ़ाने और पिता के सपनो को पुरा करना चाहती है। क्या कोई संस्था या व्यक्ति इस साहसी बेटी को उसके सपनों को पुरा करने का अवसर देकर रायगढ़ की दानवीर नगरी की पंरपरा को आगे बढाने सामने आयेगा। इस घटना से आहत सिंन्हा परिवार को सारी उम्मीदें अब इसी आस से बंधी हैं।
साथ ही सिन्हा परिवार ने जिला प्रशासन एंव नगर पालिक निगम की जवाबदारी महापौर , पार्षद, आयुक्त से की नम: निवेदन किया है। कि सडकों में भी डीवाईडर लगे है। उन्हें पुरा बन्द कर जगह जगह की रास्ता छोडें है। उसे भी तत्काल बंन्द करें इन्ही डीवाईडरों के बिच रास्ता निकला हैं। जिससे मेरे पिता की दुर्घटना में मैात हुई है।


