शिविर में इलाज के बाद आंख की रोशनी हुई कम
रायगढ़ ! बंगुरसिया गांव में छह वर्षीय बच्ची जो पिछले कई माह से अपने आंख की बीमारी से परेशान है, उसके दर्द को समझाने वाला यहां कोई भी नहीं है।

बीमारी से परेशान बच्ची की इलाज के लिए आगे आएं समाजसेवी संगठन
रायगढ़ ! बंगुरसिया गांव में छह वर्षीय बच्ची जो पिछले कई माह से अपने आंख की बीमारी से परेशान है, उसके दर्द को समझाने वाला यहां कोई भी नहीं है। परिवार की आर्थिक तंगी के कारण उसका इलाज तक सही समय पर संभव नहीं हो पा रहा है। हांलाकि उसके घर के करीब रहने वाले बंगुरसिया गांव के उपसरपंच बच्ची की इलाज के लिए हर संभव मदद कर रहे हैं, लेकिन अब तक उसकी स्थिति में सुधार नहीं आ सका है और अब समाजसेवी संस्थाओं को इसके लिए कोई पहल करनी चाहिए। चूंकि इस बच्ची की यह हालत रायगढ़ जिला मुख्यालय में लगे मेगा हेल्थ कैंप में जांच के बाद हुई है और इसके बाद से बच्ची की हालत का पता तक अधिकारी नही लगा रहें है। जबकि जिले में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का बड़ा नारा देने वाले अधिकारी दिल्ली में पुरस्कार ग्रहण कर रहें है।
जिला मुख्यालय से करीब 18 किमी की दूरी पर बंगुरसिया गांव में रहने वाली छह वर्षीय बालिका बिंदु अघरिया पिता ललित अघलिया खेलने के दौरान आंख के पास चोट लग गई थी। इसके अलावा हाथ, पैर अकडऩा झटका आने की समस्या होने लगी। इसके बाद मामूली रूप से इलाज उसका कराया गया, लेकिन उसकी बीमारी ठीक नहीं हो सकी। तब उसे गांव के सरपंच नेपाल गुप्ता ने उसके पिता के साथ रायगढ़ में आयोजित मेघा कैंप में ले आए। जहां इलाज के दौरान डॉक्टरों ने फ्री ट्रिटमेंट के तहत जिला अस्पताल में भर्ती करने के लिए कहा। उसके पिता ललित ने बताया कि जब उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, तब आंख में डॉक्टर ने कोई ड्राप डाला और उसके बाद बिंदु का आंख ही बंद हो गया। तब डॉक्टरों ने उस ड्राप को डालने से मना कर दिया और कुछ ही दिन में बिंदु का आंख में सूजन हो गया और उसकी आंख की बीमारी बढ़ गई। उसका इलाज पूरा हो भी नहीं सका था, लेकिन इसके बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। पिता की आर्थिक तंगी व अज्ञनता के कारण उसने इसकी ना तो किसी से शिकायत की और ना ही किसी को बताया, लेकिन जब इसकी जानकारी बगुंरसिया के उपसरपंच नेपाल गुप्ता को लगी, तो उसने बच्ची की परेशानी को देखते हुए इलाज करवाने का प्रयास शुरू कर दिया है। वहीं नेपाल गुप्ता का कहना है कि बच्ची का इलाज हो सके, इसके लिए वे कलेक्टर से भी मंगलवार को मुलाकात करेंगे।
ग्राम बंगुरसिया पहुंचने पर अपनी आंख की रोशनी गायब होनें की जानकारी मिलने के बाद उसके इलाज के लिये पहल करनी शुरू कर दी है चूंकि बच्ची के आंख की बिमारी बढऩे के बाद से वह गुमशुम रहने लगी। ना तो किसी से ठीक से बात कर रही है और न ही बच्चों के साथ खेलने में उसका मन लग रहा है। बच्ची की इस हालत को देखते हुए नेपाल गुप्ता के द्वारा बकायदा बच्ची को अपने होटल में बुला कर उसे खुश रखने का प्रयास कर रहे हैं। उसके खाने-पीने तक का ख्याल उनके द्वारा रखा जा रहा है। इस पूरे मामले में मेडिकल कालेज के अधीक्षक का कहना है कि बच्ची का इलाज उनके द्वारा किया जाएगा चूंकि मामला हमारी पहल पर उनकी जानकारी में आया है और वे हर संभव प्रयास करके बच्ची की आंख की रोशनी बचाने का पूरा-पूरा प्रयास करेंगे। बहरहाल गरीब इलाके में रहने वाली बच्ची के माता-पिता उस डाक्टर का नाम नही बता रहें है जिसने मेगा हेल्थ कैंप के दौरान बच्ची की आंख में दवाई डाली थी और अब अपनी आंखों की रोशनी गायब होते देख जहां बच्ची परेशान है वहीं उसके माता-पिता भी उस घडी को कोस रहें है जब उन्होंने नि:शुल्क मेगा हेल्थ कैंप में अच्छे इलाज का सपना देखते हुए वहां उसको ले गये थे।


