हिन्दी को खड़ी बोली का नाम राहुल सांकृत्यायन ने दिया
महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने तिब्बत के एक लाख हस्तलिखित पांडुलिपियों का पता लगाया था और हिन्दी को ‘खड़ी’ बोली का नाम उन्होंने ही दिया था
नयी दिल्ली। महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने तिब्बत के एक लाख हस्तलिखित पांडुलिपियों का पता लगाया था और हिन्दी को ‘खड़ी’ बोली का नाम उन्होंने ही दिया था। साथ ही उन्होंने हिन्दी के सवाल पर भारतीय कमुनिस्ट पार्टी (भाकपा) छोड़ दी थी और मुस्लिम तुष्टिकरण की नीतियों का विरोध किया था।
सांकृत्यायन की 125 वीं जयन्ती के मौके पर साहित्य अकादमी द्वारा कल शाम आयोजित संगोष्ठी में वक्ताओं ने यह बात कही। अकादमी के अध्यक्ष एवं प्रसिद्ध आलोचक विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कहा कि सांकृत्यायन 19 साल की उम्र में घर छोड़कर हिमालय की ओर निकल पड़े थे जबकि उनकी जेब में एक भी पैसा नहीं था। उस समय उनका नाम केदार पाण्डेय था। फिर वह संन्यासी बने। इसके बाद वह आर्यसमाजी तथा कांग्रेसी बने।
वह कम्युनिस्ट भी बने तथा हिन्दी के सवाल पर पार्टी छोड़ दी। मशहूर अंग्रेजी आलोचक जाॅर्ज लुकाच और अर्नेष्ट फीशर को भी पार्टी छोड़नी पड़ी थी। तिवारी ने कहा कि श्रीलंका में इस महापंडित का नाम राहुल पड़ा और सांकृत्यायन उनके गोत्र का नाम था। इस तरह वह राहुल सांकृत्यान नाम से जाने गए।
वह आजादी की लडाई में कई बार जेल भी गए। वर्ष 1923 में राजद्रोह के आरोप में उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेजा गया। रूसी और जापानी विद्वानों के अनुसार अगर सांकृत्यायन ने अपने जीवन में केवल प्रमाणवाद नामक तिब्बती ग्रन्थ की पुनर्रचना की हो होती तब भी वह महापंडित कहलाते। उन्होंने एक लाख हस्तलिखित तिब्बती पांडुलिपियों का पता लगाया था।


