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रूस-यूक्रेन युद्ध में सही साबित हुए राहुल

पिछले तीन सालों से रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में एक अब बड़ा मोड़ आ गया है और आशंका तीसरे विश्वयुद्ध की जताई जा रही है

रूस-यूक्रेन युद्ध में सही साबित हुए राहुल
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पिछले तीन सालों से रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में एक अब बड़ा मोड़ आ गया है और आशंका तीसरे विश्वयुद्ध की जताई जा रही है। दरअसल यूक्रेन ने दावा किया है कि उसने ड्रोन हमलों में रूस के 40 से अधिक बमवर्षक विमानों को निशाना बनाया है। इनमें टीयू -95 और टीयू-22 बमवर्षक विमान भी शामिल हैं। ये दोनों एयरक्राफ्ट परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम थे। यूक्रेन का कहना है कि रूस के पास ऐसे करीब 120 विमान हैं, जिनमें से 40 को नष्ट कर उसने रूस को बड़ी सैन्य क्षति पहुंचाई है और इस तरह युद्ध में बढ़त ले ली है। इस हमले की जानकारी खुद यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोदीमीर जेलेंस्की ने देते हुए सोशल मीडिया पर लिखा कि 'आज एक शानदार अभियान चलाया गया — दुश्मन की ज़मीन पर, केवल सैन्य लक्ष्यों को निशाना बनाया गया। विशेष रूप से उन उपकरणों को निशाना बनाया गया जिनका इस्तेमाल कर यूक्रेन पर हमला किया गया।

रूस पर यूक्रेन ने जो हमला किया है, उसका एक खास पहलू यह है कि लगभग 11 महीनों की गुप्त तैयारी के बाद रूस की जमीन से ही उसके विमानों को निशाना बनाने का दुस्साहस यूक्रेन ने दिखाया है।

यूक्रेन ने कहा है कि इस हमले को 'ऑपरेशन स्पाइडर्स वेब' के तहत अंजाम दिया गया। इसमें कई छोटे ड्रोनों को रूस में स्मगलिंग के ज़रिए पहुंचाया गया। उन्हें मालवाहक ट्रकों में रखा गया। इसके बाद हज़ारों मीलों दूर अलग-अलग चार जगहों पर ले जाकर उन्हें नज़दीकी सैन्य हवाई अड्डों पर निशाना साध कर चलाया गया।
इस हमले के बाद अब रूस की तरफ से कैसे जवाबी हमला किया जाता है इसको लेकर आशंकाएं बढ़ गई हैं, क्योंकि अब परमाणु अस्त्र के इस्तेमाल का अनुमान लगाया जा रहा है। जानकार यूक्रेन के इस हमले की तुलना द्वितीय विश्व युद्ध में पर्ल हार्बर पर हमले से कर रहे हैं जिसके बाद जापान को घुटनों पर लाने के लिए परमाणु बम अमेरिका ने गिराए थे। हालांकि इन हमलों के बीच ही तुर्किए में रूस और यूक्रेन दोनों के बीच युद्ध रोकने पर वार्ता भी होनी थी, तो माना जा रहा है कि यूक्रेन ने रूस पर दबाव बनाने के लिए अभी हमले करवाए। जेलेंस्की अब भी कह रहे हैं कि रूस हमारी बात सुने तो शांति संभव है।

गनीमत है कि इतने भीषण हमलों के बीच शांति की बात हो रही है। हालांकि अमेरिका भी पहले रूस-यूक्रेन के बीच युद्धविराम की पेशकश कर चुका है, मगर बदले में वह जिस तरह यूक्रेन के प्राकृतिक संसाधन चाहता है, उस पर जेलेंस्की ने हां नहीं कहा है। कुछ महीनों पहले दोनों के बीच व्हाइट हाउस में जो तीखी बहस हुई थी, उसे पूरी दुनिया ने देखा। अब यूक्रेन यह मान रहा है कि उसने इन हमलों से अमेरिका को भी अपने सामर्थ्य का एहसास करा दिया है।

पाठक जानते हैं कि रुस और यूक्रेन के बीच युद्धविराम को लेकर अमेरिका ने उसी तरह की दखलंदाजी की, जैसी इस समय भारत और पाकिस्तान के बीच के अल्पकालिक संघर्ष में की थी। पाकिस्तान तो पूरी तरह अमेरिका परस्त देश है, इसलिए उसने इस दखलंदाजी को न केवल सहर्ष स्वीकार किया, बल्कि इसके लिए धन्यवाद भी दे दिया। जबकि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस पर अब तक मुंह नहीं खोला है कि ट्रंप को हमारे मामले में इतना दखल देने का हक कैसे मिला। बहरहाल, यूक्रेन के हमले के बाद अब अमेरिका ने फिर दावा किया है कि रूस कुछ बड़ा करने वाला है। लेकिन यूक्रेन और रूस दोनों आपस में लड़ते हुए भी अमेरिका को किस तरह ज्यादा बीच में नहीं पड़ने दे रहे हैं, यह भी वैश्विक कूटनीति का एक दिलचस्प पहलू है। क्योंकि कुछ दिन पहले डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर पुतिन को लेकर कहा था कि 'वह आग से खेल रहे हैं!' जिसके बाद पूर्व राष्ट्रपति और रूस की नेशनल सिक्योरिटी बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी दिनित्री मेदवेदेव ने जवाब दिया था कि 'मैं सिर्फ एक ही बुरी चीज जानता हूं - तीसरा विश्व युद्ध। मुझे उम्मीद है कि ट्रंप इसे समझते हैं!'

वैसे रूस ने यह तो स्वीकार किया है कि यूक्रेन की तरफ से हमला हुआ है, लेकिन कितना नुकसान वास्तव में हुआ है, यह नहीं बताया है। अपने पांच प्रांतों में यूक्रेनी हमलों की पुष्टि करते हुए रूस ने इसे 'आतंकी हरकत' बताया है। साथ ही यह भी बताया है कि उसके कुछ विमानों में ड्रोन हमलों के कारण आग लगी है। इतनी स्वीकारोक्ति भी तब बहुत बड़ी बात लगने लगती है, जब हम अपने देश में देखते हैं कि सरकार कैसे चीजों पर पर्दा डालने की कोशिश करती है। पाकिस्तान के हमले में कितने विमानों को नुकसान हुआ, इस सवाल का जवाब सार्वजनिक तौर पर न सही, कम से कम सर्वदलीय बैठकों में सरकार विपक्ष को दे देती तो फिर विदेशी मीडिया को हमारे चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ से यही सवाल करने की नौबत ही नहीं आती। लेकिन मोदी सरकार युद्ध जैसे गंभीर माहौल में सियासी चाल चलने से खुद को रोक नहीं पा रही। ऑपरेशन सिंदूर का जश्न मनाते पूरे देश में प्रधानमंत्री घूम रहे हैं और पहलगाम के बाद बढ़ी उलझनें सुलझ ही नहीं पा रही हैं।

बहरहाल, यूक्रेन ने जिस तरह इस बार रूस को चौंका दिया है, उसके पीछे युद्ध में ड्रोन का इस्तेमाल है। याद करें कि इस साल फरवरी में राहुल गांधी ने एक वीडियो जारी कर बताया था कि 'ड्रोन ने युद्ध में क्रांति ला दी है। इसकी बैटरी, मोटर और ऑप्टिक्स ने मिलकर युद्ध के मैदान में संचार का अभूतपूर्व तरीका इजाद किया। रूस-यूक्रेन युद्ध में बड़े-बड़े टैंकों का इस छोटे से ड्रोन के कारण सफाया हो रहा है। यह अगला रिवॉल्यूशन है, अफसोस है कि हमारे यहां इस चीज पर अब तक फोकस नहीं किया गया।'

राहुल के इस वीडियो पर भाजपा और उसके समर्थकों ने काफी मजाक उड़ाया था। खिलौनों से खेलने जैसी टिप्पणियां की थीं। लेकिन अब राहुल गांधी एक बार फिर दूरदर्शी नेता साबित हुए हैं। विचारधारा के मतभेद अपनी जगह हैं, लेकिन अगर वे अपने अध्ययन और अनुभव से कोई सलाह दे रहे हैं तो अहंकार त्याग कर सरकार उनकी बात सुने, इसमें कोई बुराई नहीं है।


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