राहुल ने आईआईटी से सरकारी पकड कम करने और चीन को पछाडने के लिए फोकस की सलाह दी
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आज कहा कि चीन से मुकाबला करते हुए भारत प्रति दिन उसके 50 हजार नए रोजगार की तुलना में 70 हजार रोजगार पैदा कर सकता है

वापी (गुजरात)। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आज कहा कि चीन से मुकाबला करते हुए भारत प्रति दिन उसके 50 हजार नए रोजगार की तुलना में 70 हजार रोजगार पैदा कर सकता है पर इसके लिए सरकार को इस पर ही ध्यान केंद्रित करना होगा।
उन्होंने देश और गुजरात में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का स्तर सुधारने के लिए इस क्षेत्र में सरकारी खर्च को बढाने की सलाह दी। साथ हीं विश्व स्तर के और अमेरिका की हार्वर्ड विश्विवद्यालय और एमआईटी जैसे संस्थानों से होड लेने वाले 21 वीं सदी के विश्वस्तरीय शिक्षण संस्थान और ज्ञान केंद्र की जगह ज्ञान नेटवर्क केंद्र तैयार करने के लिए आईआईटी जैसे संस्थानों को और अधिक स्वायत्तता देने और इनसे सरकारी हस्तक्षेप अथवा पकड कम करने की जरूरत पर जोर दिया।
कल से शुरू हुई तीन दिवसीय नवसर्जन गुजरात यात्रा को बीच में छोड कर आज रायबरेली में एनटीपीसी ब्वॉलर हादसे के शिकार लोगों तथा उनके परिजनों से मिलने के बाद शाम को वापस इस यात्रा को शुरू करने वाले श्री गांधी ने कार्यक्रम में थोडा बदलाव करते हुए दमन हवाई अड्डे से धर्मपुर पहुंच कर महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं आशा वर्कर से मुलाकात की तथा उन्हें संबोधित किया। इसके बाद उन्होंने वलसाड जिले के ही नाना पोंढा में आदिवासी आक्रोश सभा को संबोधित किया और भाजपा सरकार पर आदिवासियों की उपेक्षा का आरोप लगाया।
बाद में वापी में व्यापारियों और अन्य के साथ संवाद में उन्होंने कहा कि देश के सामने तीन मुख्य समस्याएं स्वास्थ्य, शिक्षा और राेजगार क्षेत्र से जुडी है। इनमें भी सबसे बडी समस्या रोजगार की है। चीन के प्रतिदिन 50 हजार रोजगार की तुलना में भारत सरकार मात्र 450 यानी साल में एक लाख रोजगार दे पा रही है। जबकि इसे 70 हजार किया जा सकता है अगर सरकार पचास चीजों पर एक साथ लगने की बजाय केवल रोजगार और इसके लिए संबंधित उद्याेगों की पहचान और उचित कदमों पर ध्यान केंद्रित करे। भारत और चीन की आबादी एक जैसी है इसलिए मुकाबला इन दोनो के ही बीच है। फ्रांस या जर्मनी से भारत का मुकाबला नहीं है। इस मुकाबले में चीन को हराया जा सकता है पर इसके लिए ध्यान की एकाग्रता यानी फोकस जरूरी है।
उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा पूरी तरह निजीकरण कर देने से इसका लक्ष्य मुनाफा बन जाता है। आज भी देश में सबसे अच्छे शिक्षण संस्थान आईआईटी और आईआईएम आदि सरकारी हैं। सरकार को इन्हें और स्वायत्तता और सुविधाएं देनी चाहिए। सरकारी संस्थानों को अपनी गुणवत्ता बनाये रखते हुए निजी संस्थानों को स्पर्धा का माहौल देना चाहिए। शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए सरकार को खर्च करना ही पडता है। यह भविष्य के लिए निवेश होता है।


