राफेल विवाद: फ्रांकोइस होलांदे के दावे को फ्रांस सरकार ने नकारा
राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर सरकार और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस में मचे घमासान के बीच फ्रांस सरकार ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि फ्रांस की कंपनियां इस मामले में भारतीय सहयोगी कंपनियों के चुनाव करने

नयी दिल्ली। राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर सरकार और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस में मचे घमासान के बीच फ्रांस सरकार ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि फ्रांस की कंपनियां इस मामले में भारतीय सहयोगी कंपनियों के चुनाव करने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र हैं।
फ्रांस सरकार का बयान वहां के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांकोइस होलांदे ने इस नये खुलासे के चंद घंटे के भीतर ही आया जिसमें उन्होंने नया खुलासा करते हुए कहा है कि भारत की तरफ से ही सौदे के लिए अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस इंडस्ट्रीज के नाम का प्रस्ताव किया गया था। ओलांद के बयान के बाद भारत में राजनीतिक सरगरमी उफान पर है।
यूरोप और विदेश मंत्रालय के फ्रांस सरकार के प्रवक्ता ने बयान जारी कर कहा,“फ्रांस की सरकार भारतीय औद्योगिक भागीदारों के चुनाव में शामिल नहीं है, जिन्हें फ्रांसीसी कंपनियों द्वारा चुना जा रहा है या फिर चुना जाएगा। भारत की अधिग्रहण प्रक्रिया के अनुसार, फ्रांसीसी कंपनियों को भारतीय साझेदार कंपनियों को चुनने की पूरी आजादी है कि वे किसे सबसे प्रासंगिक मानते हैं।”
वक्तव्य में कहा गया,“36 राफेल विमानों को भारत में आपूर्ति के लिए फ्रांस और भारत की सरकारों के बीच 23 सितंबर 2016 को हुए अंतर सरकारी समझौते पर फ्रांसीसी सरकार के दायित्वों की चिंता पूरी तरह से इस उपकरण की डिलीवरी और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के संबंध में है।”
गौरतलब है कि फ्रांसीसी वेबसाइट ‘मीडियापार्ट’ में प्रकाशित एक साक्षात्कार में ओलांद का हवाला देते हुए कहा गया है कि राफेल सौदे के लिए भारत की तरफ से ही रिलायंस के नाम का प्रस्ताव किया गया था और विमान निर्माता डसॉल्ट एविएशन के पास रिलायंस के अलावा कोई विकल्प नहीं था। ओलांद ने कहा कि भारत सरकार ने डसॉल्ट के साथ आॅफसेट समझौते के लिए रिलांयस डिफेंस इंडस्ट्रीज के नाम का प्रस्ताव किया था और उनकी सरकार के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था।
फ्रांस सरकार के वक्तव्य में कहा गया,“जैसा होता है, फ्रांस की कंपनियों ने भारतीय कानूनी ढांचे के तहत सार्वजनिक और निजी समेत कई भारतीय कंपनियों के साथ अनुबंधों पर पहले से ही हस्ताक्षर कर दिए हैं।”
राफेल सौदे को लेकर पिछले दो माह के दौरान फ्रांस सरकार की ओर से यह दूसरी बार वक्तव्य जारी किया गया है। इससे पूर्व जुलाई में जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दावा किया था,“वह व्यक्तिगत तौर पर फ्रांस के राष्ट्रपति से मुलाकात की और उन्होंने मुझे बताया कि कोई गाेपनीय मसले पर ऐसा कोई समझौता नहीं किया गया है।”
राहुल गांधी के लोकसभा में दिये गये बयान पर फ्रांस सरकार ने तत्काल प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि 2016 के राफेल डील पर गोपनीय संधि लागू होती है।
राहुल गांधी ने एक बार फिर ट्वीट किया,“प्रधानमंत्री (श्री नरेंद्र मोदी) ने व्यक्तिगत रूप से बातचीत की और बंद दरवाजे के पीछे राफले सौदे को बदल दिया।”
The PM personally negotiated & changed the #Rafale deal behind closed doors. Thanks to François Hollande, we now know he personally delivered a deal worth billions of dollars to a bankrupt Anil Ambani.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 21, 2018
The PM has betrayed India. He has dishonoured the blood of our soldiers.
ओलांद का ताजा खुलासा भारत सरकार के उस दावे के बिलकुल उलट है जिसमें कहा गया है कि डसॉल्ट और रिलायंस के बीच हुआ समझौता दो निजी कंपनियों के बीच का वाणिज्यिक करार है और सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है।


