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संसद में राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर गतिरोध बरकरार

राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर संसद में लगातार सातवें दिन भी गतिरोध बना रहा। कांग्रेस ने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच की अपनी मांग को लेकर कार्यवाही बाधित की

संसद में राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर गतिरोध बरकरार
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नई दिल्ली। राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर संसद में लगातार सातवें दिन भी गतिरोध बना रहा। कांग्रेस ने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच की अपनी मांग को लेकर कार्यवाही बाधित की। वहीं सरकार ने जेपीसी जांच पर चुप्पी साधे रखी और कहा कि वह विवादास्पद राफेल सौदे पर चर्चा के लिए तैयार है। राज्यसभा की कार्यवाही सुबह शुरू होते ही मिनटों बाद सदन को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया। लोकसभा में हालांकि हंगामे के बीच कुछ विधायी कार्य हुए और अंत में सदन को भी पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया।

विभिन्न मुद्दों पर कांग्रेस, अन्नाद्रमुक और तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के हंगामे के बीच सरोगेसी (नियामक) विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। यह विधेयक सरोगेसी (किराए की कोख) के प्रभावी नियमन को सुनिश्चित करेगा, व्यावसायिक सरोगेसी को प्रतिबंधित करेगा और बांझपन से जूझ रहे भारतीय दंपतियों की जरूरतों के लिए सरोगेसी की इजाजत देगा।

जैसे ही विधेयक पारित हुआ, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्री रामविलास पासवान को उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, 2018 पर बहस की शुरुआत करने के लिए बुलाया।

लेकिन अन्नाद्रमुक, तेदेपा और कांग्रेस सदस्यों का विरोध जारी रहने के कारण अध्यक्ष को सदन को पूरे दिन के लिए स्थगित करने पर मजबून होना पड़ा।

महाजन ने अन्नाद्रमुक सदस्यों से अनुरोध करते हुए कहा, "मैं इसका समाधान नहीं कर सकती। आपको मुद्दे पर चर्चा करनी होगी। कृपया अपनी सीटों पर जाइए।" लेकिन सदस्य शांत नहीं हुए।

कार्यवाही के दौरान कांग्रेस सदस्यों ने तैयार हालत में 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद सौदे की जेपीसी जांच की मांग जारी रखी। वहीं अन्नाद्रमुक सदस्यों ने मेकेदातु में कावेरी नदी पर बांध बनाने के कर्नाटक के प्रस्ताव के खिलाफ प्रदर्शन जारी रखा।

तेलुगू देशम पार्टी के सदस्यों ने आंध्र प्रदेश के लिए विशेष दर्जे की मांग को लेकर अध्यक्ष के आसन के समीप विरोध प्रदर्शन किया।

इससे पहले सदन दो बार स्थगित हुआ।

जब दोपहर में सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने जेपीसी जांच की मांग की, जिसे सरकार द्वारा स्वीकार नहीं किया गया।

उन्होंने कहा, "राफेल सौदे में अनियमितताओं की गंभीर आशंका प्रतीत हो रही है। मामले की जांच और जवाबदेही तय किए जाने की जरूरत है। इसलिए हम जेपीसी जांच की मांग कर रहे हैं।"

उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपना फैसला सरकार द्वारा मुहैया कराए गए पत्रों के आधार पर दिया है।

खड़गे ने कहा, "कृपया जेपीसी जांच की इजाजत दें। मामले में जेपीसी जांच शुरू करने के लिए कृपया सरकार से कहें।"

संसदीय कार्य मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार राफेल सौदे सहित किसी भी मुद्दे पर बहस के लिए तैयार है, लेकिन उन्होंने जेपीसी जांच की मांग पर चुप्पी बरकरार रखी।

केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा कि सरकार राफेल पर किसी भी चर्चा के लिए तैयार है।

मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सांसद मोहम्मद सलीम ने आरोप लगाया कि सरकार ने रक्षा सौदे पर सर्वोच्च न्यायालय से झूठ बोला और जेपीसी जांच के लिए कांग्रेस की मांग का समर्थन किया।

तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि उनकी पार्टी सदन को चलाना चाहती है। उन्होंने अध्यक्ष से इस गतिरोध को तोड़ने के लिए नेताओं की एक बैठक बुलाने का आग्रह किया।

हंगामे के बीच अन्नाद्रमुक सदस्यों ने पेपर फाड़ कर संवाददाताओं की टेबल के समीप हवा में उछाले। जिसके बाद सदन को स्थगित कर दिया गया।

राफेल मुद्दे को लेकर राज्यसभा में माहौल गर्माया रहा और कांग्रेस सदस्यों की जेपीसी मांग के कारण सभापति एम. वेंकैया नायडू को सदन की कार्यवाही के शुरुआती मिनटों में पूरे दिन के लिए स्थगित करनी पड़ी।

अन्नाद्रमुक और द्रमुक सदस्य कावेरी मुद्दे पर प्रदर्शन कर रहे थे।

संसदीय कार्य राज्य मंत्री विजय गोयल ने कांग्रेस पर कार्यवाही बाधित करने का आरोप लगाया और कहा कि सरकार राफेल सौदे सहित सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है।

भाजपा के भूपेंद्र यादव ने कांग्रेस पर जानबूझकर सदन की कार्यवाही बाधित करने का आरोप लगाया। हंगामा बढ़ता देख सभापति ने सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी।


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