राफेल सौदा: कोर्ट में केंद्र-याचिकाकर्ता में तीखी बहस, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा कि संजीदा दस्तावेजों का प्रकाशन ऑफिस सीक्रेट एक्ट का उल्लंघन है और याचिकाकर्ताओं ने इन्हीं दस्तावेजों को आधार बनाया है

नई दिल्ली। रफायल विमान सौदे को लेकर मोदी सरकार पहले ही घिरी हुई है और जब से सरकार ने खुद के बचाव के लिए दस्तावेज़ चोरी होने की बात कही है। मामला और गरमा गया है, सुप्रीम कोर्ट में आज इस मामले में तीखी बहस हुई, एक ओर केंद्र ने विशेषाधिकार वाले दस्तावेजों को आधार नहीं बनाने का दावा किया है, जिस पर अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। अब इस पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।
रफायल पर एक दिन पहले केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर कर याचिकाकर्ताओं पर ही दोष मढ़ दिया था, जिसके बाद आज अपनी बात पर ज़ोर देते हुए सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा कि संजीदा दस्तावेजों का प्रकाशन ऑफिस सीक्रेट एक्ट का उल्लंघन है और याचिकाकर्ताओं ने इन्हीं दस्तावेजों को आधार बनाया है।
अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने कहा, कैग रिपोर्ट दायर करने में सरकार से चूक हुई है, उसमें तीन पेज गायब हैं. वो इन पेज को भी रिकॉर्ड पर लाना चाहते हैं. वेणुगोपाल ने लीक हुई पेज को रिव्यू पिटीशन में हटाने की मांग की। सरकार का दावा है कि ये प्रिविलेज्ड डॉक्यूमेंट हैं. इसीलिए केंद्र के विशेषाधिकार वाले दस्तावेजों को आधार नहीं बनाया जा सकता।
केंद्र की इस दलील पर जस्टिस सजंय किशन कौल ने सवाल किया कि अब किस तरह के प्रिविलेज की बात आप कर रहे हैं, ये दस्तावेज पहले ही कोर्ट में पेश किए जा चुके हैं. इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा- उन्होंने चोरी कर ये डॉक्यूमेंट कोर्ट में पेश किए हैं,
इस पर जस्टिस जोसेफ ने आरटीआई एक्ट का हवाला दिया और कहा कि आरटीआई एक्ट के सेक्शन 24 के तहत इंटेलीजेंस और सुरक्षा प्रतिष्ठान भी करप्शन और मानवधिकारों के उल्लंघन के बारे में जानकारी देने को बाध्य है। ऐसे में हमें आगे बढ़ना चाहिए, वहीं इस पर प्रशांत भूषण ने भी तीखी बहस की ..उन्होंने दलील देते हुए कहा कि जिन दस्तावेजों का हवाला दिया जा रहा है,
वो पहले से ही पब्लिक डोमेन में है। समय-समय पर सरकार अपनी फ़्रेंडली मीडिया को रक्षा मंत्री की फ़ाइल नोटिंग्स समेत कई डॉक्यूमेंट को लीक कराती रही है। रक्षा खरीद से जुड़ी सारी डिटेल का पहले ही कैग रिपोर्ट में खुलासा हो चुका है।
जिन दस्तावेजों पर सरकार को ऐतराज है, बहस के बाद अब केंद्र के विशेषाधिकार के दावे पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।


