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राफेल डील : पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित

सुप्रीम कोर्ट ने राफेल मामले में दिए गए अपने पूर्व के फैसले के खिलाफ दाखिल यशवंत सिन्हा अरुण शौरी प्रशांत भूषण आदि की पुनर्विचार याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।

राफेल डील : पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित
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नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने राफेल मामले में दिए गए अपने पूर्व के फैसले के खिलाफ दाखिल यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी, प्रशांत भूषण आदि की पुनर्विचार याचिकाओं पर आज फैसला सुरक्षित रख लिया।

देश की सियासत में संग्राम छेड़ने वाले रफायल विमान मामले पर अब सुनवाई पूरी हो चुकी है । सुप्रीम कोर्ट में आज मामले पर अहम सुनवाई हुई। जहां याचिकाकर्ता और सरकार ने करीब एक-एक घंटे अपनी दलीलें कोर्ट के सामने रखी।पहले याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण ने अपनी बात रखते हुए कहा कि सौदे के लिए स्टैंडर्ड प्रोसिजर की 8 ऐसी शर्तें हटा दी गईं, जो भ्रष्टाचार पर नियंत्रण रखने के लिए बनाई गई थीं।

नेगोसिएशन टीम का हिस्सा रहे 3 विशेषज्ञों ने सौदे पर आपत्ति दर्ज करवाई और फ्रांस सरकार से सॉवरिन गारंटी नहीं ली गई। सिर्फ लेटर ऑफ कंफर्ट लिया गया, इसका कोई महत्व नहीं है।प्रशांत भूषण ने कहा कि अनिल अंबानी पूरी प्रक्रिया में शुरू से शामिल थे, उनको लाभ पहुंचाने के लिए सौदा किया गया ।जब सौदा हुआ, उसी दौरान उनको फ्रांस में टैक्स से राहत दी गई। उसी दौरान वो फ्रांस के रक्षा मंत्री और दूसरे लोगों से मिल रहे थे । वहीं इसके बाद याचिकाकर्ता अरुण शौरी ने आरोप लगाया कि सरकार ने कोर्ट को गुमराह करने का काम किया है

उन्होंने कहा कि सरकार कहती है कि सीएजी को सभी कागज़ात दिए गए तो वही कागज़ात कोर्ट को क्यों नहीं दिए गए? कोर्ट ने सरकार पर भरोसा किया और सरकार ने इसका दुरुपयोग किया ।
सरकार की तरफ से महान्यायवादी केके वेणुगोपाल ने कहा कि याचिकाकर्ता चोरी के दस्तावेजों के चुनिंदा हिस्सों को रख रहे हैं और इसके पीछे कोर्ट को गुमराह करने की नीयत है उनसे पूछा जाना चाहिए, उनको कागज़ कहां से मिले। जो सौदा किया गया, वो देश के लिए बहुत ज़रूरी था । हम सबकी सुरक्षा के लिए इसे किया गया ।

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि डील की प्राइसिंग इंटर-गवर्नमेंट अग्रीमेंट के आर्टिकल 10 के तहत कवर्ड है और इसकी चर्चा पब्लिक डोमेन में नहीं की जा सकती है ।उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल है और दुनिया की कोई भी कोर्ट इस तरह के तर्कों पर डिफेंस डील की जांच नहीं करेगी । तमाम दलीलों को सुनने के बाद अब कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है जिस पर कोर्ट कभी भी फैसला सुना सकता है ।


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