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मैनपाट में हथनी को लगाया गया रेडियो कॉलर

मैनपाट इलाके में आतंक मचा रहे बुध दल की गौतमी हथनी को वन विभाग ने 6 घंटे तक चले अभियान के बाद ट्रैंक्यूलाइज कर रेडियो कॉलर लगाया

मैनपाट में हथनी को लगाया गया रेडियो कॉलर
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6 घंटे चला अभियान,4 राज्यों की टीम ने की मशक्कत
अम्बिकापुर। मैनपाट इलाके में आतंक मचा रहे बुध दल की गौतमी हथनी को वन विभाग ने 6 घंटे तक चले अभियान के बाद ट्रैंक्यूलाइज कर रेडियो कॉलर लगाया। इसके लिए छत्तीसगढ़ के साथ वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट देहरादून, एसओएस बैंगलुरू और तमिलनाडू के साइंटिस्ट, डाक्टर और ट्रैकर लगाए गए थे। पूरा अभियान घने जंगल और पहाड़ के बीच पैदल चलकर किया गया।

दो माह के भीतर वह दूसरी बार इस तरह का अभियान चलाकर हथिनी को रेडियो कालर लगाया गया। इसके पहले रायपुर रेंज के रेवतपुर इलाके में बहरादेव हाथी को इसी तरह से ट्रैेंक्यूलाइज कर रेडियो कालर लगाया था।

पिछले अभियान की अपेक्षा इस बार चुनौती अधिक थी क्योकिं जिस हथिनी को ट्रैंक्यूलाइज किया वह 9 हाथियो के दल में थी जबकि एक किलोमीटर दूर 8 हाथियों का दूसरा दल घूम रहा था।

सुबह चार बजे अभियान के लिए टीम जंगल में घुस चुकी थी। पिछले चार दिनों से टीम द्वारा इसी तरह से हाथियों को ट्रैक किया जा रहा था। हाथियों के ट्रैक करने के बाद टीम सही जगह पर हाथियों के पहुंचने केे लिए हाथियों के पीछे चलती रही।

सीसीएफ केके बिसेन के नेतृत्व में टीम कई घंटे तक इस तरह से हाथियों के पीछे चलती रही। दोपहर दो बजे मैनपाट व रायगढ़ के कापू रेंज के बार्डर पर मेहता प्वाइंट से कुछ दूर हाथिनी को ट्रैक्यूलाइज करने का निर्णय लिया। यहां जमीन समतल होने के साथ ट्रैक्यूलाइज के हिसाब से सही लोकेषन था।

पेड़ की आड़ लेकर टीम के विषेेषज्ञ वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट के डॉ. पराग निगम ने हथिनी के पिछले हिस्से में जांघ के ऊपर डार्ट मारा। डार्ट लगते ही हाथियों को इसका आभाष हो गया। रेडियो कॉलर लगाना इस तरह की स्थिति मे काफी कठिन रहता हैे क्योकिं दल के बाकी हाथियों के हमले का डर रहता है। टीम ने इस चुनौती के बीच हथिनी के गले में रेडियो कॉलर लगाया और इसके बाद इषारा किया कि अभियान सफल हो गया।

अभियान रखा गोपनीय
भीड़ से बचने अभियान गोपनीय रखा। टीम को बताया था कि हाथी प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने बाहर से टीम आने वाली है। अधिकारियों ने बताया अभियान को गोपनीय रखना जरूरी था क्योकिं अगर खबर लग जाती तो भीड़ जमा हो जाती और फिर अभियान चलाना मुष्किल हो जाता।

हथिनी को होष में लाने एंटी डोज इंजेक्षन दिया और पानी का छिड़काव किया। इस बार हथिनी को ट्रैंक्यूलाइज करने एम 99 दव का उपयोग किया, जो तत्काल असर करता है।

पल-पल का मिलेगा लोकेशन
सीसीएफ के के बिसेन ने बताया कि बुध दल के जिस हथिनी को रेडियो कॉलर लगाया गया है उसका नाम गौतमी है जो 20 से 25 साल की है। इसके पहले बहरादेव हाथी को रेडियो कालर लगाया गया था जो सरगुजा रेंज का सबसे बड़ा हाथी है। बहरादेव अकेले घूमता है जबकि गौतमी दल के साथ घूमती है।

सरगुजा के मैनपाट इलाके के अलावा रायगढ़ और कोरबा में दल आता जाता है। रेडियो कालर लगाए जाने के बाद दल के सभी 16 हाथियों के पल-पल का लोकेशन का पता चलेगा। इससे गांवो को अलर्ट करने में मदद मिलेगी।

हवाई फायरिंग के लिए तैनात थी पुलिस
अभियान के दौरान हाथियों से सुरक्षा के लिए पुलिस तैनात की गई थी। सीसीएफ ने एक दिन पहले ही एसपी को पत्र लिखकर पुलिस बल उपलब्ध कराने की मांग की थी। पूरे अभियान में बंदूकधारी पुलिसकर्मी तैनात थे। पुलिसकर्मी इसलिए तैनात किए गए थे ताकि रेडियो कालर लगाए जाने के दौरान हाथी अगर हमला करते है तो हवाई फायर कर दूर किया जा सके।

सदस्यों को किया पुरस्कृत
अभियान की सफलता से प्रभावित सीसीएफ ने ट्रैकरों को 5-5 हजार नगद राशि से पुरस्कृत किया है। टीम में ट्रैकरों के अलावा वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट देहरादून के डा. विभास पांडव, डा. सम्राट, लक्ष्मीनारायण, डा. अंकित, बैगलुरू के डा. स्वामीनाधन, अरूण शाह, नंदन वन रायपुर के डा. जय किषोर जड़िया, सेवा निवृत वाइल्ड लाइफ सीसीएफ सीएस तिवारी, एसडीओ चूड़ामणि सिंह, रेंजर आरपी सोनी, प्रभात दुबे सहित स्थानीय टीम के मेबर शामिल थे।


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