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पन्ना की बाघिन का चित्रकूट के जंगल में हुआ रेडियो कॉलर

मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व की एक बाघिन को सतना जिले के चित्रकूट के जंगल में रेस्क्यू कर रेडियो कॉलर पहनाया गया।

पन्ना की बाघिन का चित्रकूट के जंगल में हुआ रेडियो कॉलर
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पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व की एक बाघिन को सतना जिले के चित्रकूट के जंगल में रेस्क्यू कर रेडियो कॉलर पहनाया गया।

पन्ना टाइगर रिजर्व के अधिकारियों के अनुसार पन्ना टाइगर रिजर्व में 6 वर्ष पूर्व दिसंबर 2013 में जन्मी बाघिन पी-213 युवा होने पर अपने लिए नए घर की तलाश करते हुए 24 नवंबर 2015 को पन्ना कोर क्षेत्र से बाहर निकलकर चित्रकूट के जंगल में दस्तक दी थी। तभी से यह बाघिन वन मंडल सतना के वन परिक्षेत्र मझगवां अंतर्गत सरभंगा के जंगल को अपना ठिकाना बनाए हुए है।

यहीं पर कल पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ संजीव कुमार गुप्ता के तकनीकी मार्गदर्शन और वन मंडलाधिकारी सतना राजीव मिश्रा की मौजूदगी में पन्ना की रेस्क्यू टीम द्वारा बाघिन को रेडियो कालर पहनाया गया। चित्रकूट के जंगल को अपना ठिकाना बना चुकी इस बाघिन की बहन पी-213 को भी हाल ही में 11 फरवरी को रेडियो कॉलर किया गया था।

यह बाघिन अपने चार शावकों के साथ पन्ना टाइगर रिज़र्व के कोर क्षेत्र से बाहर निकलकर बफर क्षेत्र में आबादी वाले इलाकों में विचरण कर रही थी। यह बाघिन मवेशियों का शिकार भी कर रही है, जिससे सुरक्षा को ध्यान में रखकर इसे रेडियो कॉलर किया गया है। इसके ठीक तीन दिन बाद पन्ना में ही जन्मी बाघिन को चित्रकूट के जंगल लेंटाना में बेहोश कर उसे सफलता पूर्वक रेडियो कॉलर पहनाया गया।

क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व के अनुसार बाघिन पी-213 जब पन्ना टाइगर रिजर्व में थी, उस समय अक्टूबर 2015 में उसे रेडियो कॉलर पहनाया गया था। अब यह रेडियो कॉलर खराब होने की स्थिति में था। सिग्नल सिर्फ डेढ़ सौ मीटर तक ही मिल पा रहे थे, जबकि अच्छी स्थिति में रेडियो कॉलर का सिग्नल 3 किलोमीटर के रेंज में मिलता है। इस स्थिति में बाघिन की सुरक्षा की दृष्टि से रेडियो कॉलर बदलना जरूरी हो गया था।


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