दुनिया को राह बताने परमात्मा का अवतरण: राजीवनयन
परमात्मा को क्यों लेना पड़ा जन्म यह साधक जिज्ञासु सवाल खड़ा करते हैं
रायपुर। परमात्मा को क्यों लेना पड़ा जन्म यह साधक जिज्ञासु सवाल खड़ा करते हैं लेकिन इस जग के लोगों को उनकी वास्तविकता का बोध कराने व सही राह बताने के लिए ही उनका अवतरण हुआ।
श्रीराम विष्णु के अवतार नहीं बल्कि साक्षात ब्रम्हा थे, अब फिर से सवाल उठाते हैं कि जब वे ब्रम्हा थे तो पृथ्वी पर अवतार लेने की जरूरत ही नहीं थी। सच तो यह है कि भक्तों की रक्षा व दर्शन के लिए परमात्मा स्वंय चलकर आते हैं।
बशर्ते मनुष्य जीवन में सच्ची भक्ति आ जाए। परमात्मा से साक्षात्कार करना है तो राम नाम संकीर्तन सरल व सहज माध्यम है। राम जन्म का प्रसंग कथा स्थल पर काफी उल्लास से मनाया गया।
महिलाओं ने सोहर गीत गाए, आतिशबाजी हुई, पुष्प वर्षा के बीच भक्तजन नाचे भी और मिष्ठान वितरण किया गया।
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वृद्धसेवाश्रम महादेवघाट में श्रीराम कथा में संत राजीवनयन ने श्रद्धालुओं को बताया कि मनुष्य राम नाम जपता है, मंदिर जाता है, संकीर्तन में शामिल होता है लेकिन केवल औपचारिकता निभाने के लिए यदि सच्चे मन से वह यह सब कुछ करे तो उनके सारे कष्ट दूर हो जाएंगे।
जिस प्रकार बीमारी की हालत में दवा को केवल देखने से नहीं सेवन करने से स्वास्थ्य ठीक होता है ठीक वैसे ही परमात्मा को पाने उनके शाश्वत नाम का स्मरण सच्चे मन से करने पर ही मोक्ष की प्राप्ति होगी। जैसे कि आप सभी को मालूम है अवधपुरी में राजा दशरथ संतान नहीं होने से काफी दुखी थे, तब वे गुरू वशिष्ठ के शरण में पहुंचे। उनके कहने पर श्रृंगि ऋषि ने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ कराया है। तब राजा के घर चार संतान पैदा हुए हैं।
कौशल्या नंदन श्रीराम का जन्म चैत्र के महीने में नवमी तिथि को शुक्ल पक्ष में होने का प्रसंग कथावाचक ने काफी मनोहारी ढंग से प्रस्तुत किया।
महिलाओं ने सोहर गीत गाकर खुशियां मनाई, फूलों की वर्षा, आतिशबाजी की गई एवं दीनों के दयाला जयश्रीराम के जयकारे से कथास्थल गूंज उठा। मनुष्य तन नश्वर जरूर है लेकिन परमात्मा की प्राप्ति का श्रेष्ठ माध्यम है।
धर्म और कर्म के द्वारा ही सत्य शाश्वत सनातन परमात्मा की प्राप्ति की जा सकती है। यदि उनका इस जग में अवतरण हुआ है तो सिर्फ कृपा बरसाने के लिए चाहे वे इसे दंड के रूप में दे या दया।


