निजी क्षेत्र से संयुक्त सचिव के चयन को लेकर यूपीएससी पर उठे सवाल
सरकार में शीर्ष पदों पर पहली बार सीधी भर्ती से चिंता पैदा हो गई क्योंकि संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा कुछ उम्मीदवारों के चयन को लेकर सवाल उठने लगी है

नई दिल्ली। सरकार में शीर्ष पदों पर पहली बार सीधी भर्ती से चिंता पैदा हो गई क्योंकि संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा कुछ उम्मीदवारों के चयन को लेकर सवाल उठने लगी है।
सुजीत कुमार बाजपेयी को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में संयुक्त सचिव नियुक्त किए जाने को लेकर विवाद पैदा हो गया है क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनएचपीसी में बतौर वरिष्ठ प्रबंधक के तौर पर वह सरकार में निर्णय लेने वाले प्रमुख पद के लिए काफी जूनियर हैं।
बाजपेयी चर्चित अभिनेता मनोज बाजपेयी के छोटे भाई हैं।
कंसल्टेंसी फर्म केपीएमजी के साझेदार अंबर दुबे का चयन नागरिक उड्डयन मंत्रालय में संयुक्त सचिव के तौर पर किया गया है। उनकी नियुक्ति पर हितों के टकराव को लेकर भी सवाल उठने लगा है क्योंकि वह हवाई अड्डे से जुड़ी प्रमुख कंपनी जीएमआर इन्फ्रास्ट्रक्चर व विमान सेवा कंपनी विस्तारा समेत उड्डयन क्षेत्र की कई निजी कंपनियों को सलाह देते रहे हैं।
कुछ वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों ने आईएएनएस को बताया कि क्षेत्रों के विशेषज्ञों को संयुक्त सचिव के रूप में भर्ती करने के कदम का स्वागत है, लेकिन उन्होंने पीएसयू के कनिष्ठ अधिकारी बाजपेयी की नियुक्ति पर हैरानी जताई।
सचिव स्तर के एक अधिकारी ने कहा, "बाजपेयी के बायोडाटा के अनुसार उन्होंने 2001 में एनएचपीसी ज्वाइन किया था। देखा गया है कि अगर सभी ग्रुप-ए अधिकारी जिन्होंने उसी साल यूपीएससी के जरिए अखिल भारतीय सेवा में प्रवेश किया है वे संयुक्त सचिव बन गए हैं। क्या वह एक विशेष पेशेवर हैं और प्रोन्नति दी गई है? अगर नहीं तो यह और भी चिंता का विषय है।"


