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कौन पीछे हटा, किसने पीछे हटाया पर सवाल

फिलहाल लद्दाख के मोर्चे पर यह सवाल सबसे बड़ा है कि आखिर पीछे कौन हटा और किसने किसको पीछे हटाया।

कौन पीछे हटा, किसने पीछे हटाया पर सवाल
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कौन पीछे हटा, किसने पीछे हटाया के सवाल के बीच भारतीय सेना पर पीपी 14 तक गश्त करने पर रोक

जम्मू । लद्दाख में चीन सीमा से चीनी सेना के पीछे हटने की खुशी मनाने वालों के लिए यह गमगीन करने वाली खबर हो सकती है कि चीनी सेना को पीछे हटाने की खातिर अब भारतीय सेना को भी पीपी-14 तथा गलवान वैली में गश्त करने से रोक दिया गया है। यह चीनी सेना की चाल थी जिसके तहत उसने पीपी-14 प्वाइंट और गलवान वैली के झड़प वाले इलाकों को मिला कर करीब 3 किमी के क्षेत्र को बफर जोन में परिवर्तित करने के लिए भारतीय सेना पर दबाव डाला था।

फिलहाल लद्दाख के मोर्चे पर यह सवाल सबसे बड़ा है कि आखिर पीछे कौन हटा और किसने किसको पीछे हटाया। गैर सरकारी समझौतों के अनुसार, भारतीय सेना का दावा है कि उसने चीनी सेना को डेढ़ किमी पीछे हटने पर मजबूर किया है। पर मिली जानकारी कहती है कि चीनी सेना सिर्फ 800 मीटर पीछे ही गई है। ऐसा ही उसने 17 जून को भी किया था जब वापसी की शर्तंे तय होने के उपरांत वह इतनी ही दूरी पर जाकर पुनः भारतीय क्षेत्र में लौट आई थी।

हालांकि चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता चाओ लिजियान भी एक विदेशी समाचार एजेंसी से बात करते हुए कहते थे कि चीनी सेना उतनी ही पीछे हटेगी जितनी भारतीय सेना। अर्थात दूसरे शब्दों मंे कहंे तो चीनी सेना को नहीं बल्कि भारतीय सेना को मजबूर किया गया है पीछे हटने को। ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि चीनी सेना ने अपनी जो शर्तें इस कथित वापसी के लिए मनवाई हैं, उसके अनुसार, अब भारतीय सेना पीपी-14 तथा गलवान वैली के उस इलाके में भी गश्त नहीं करेगी, जहां 16 जून को 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे।

दरअसल अब पीपी-14 तथा गलवान वैली के झड़प वाले इलाकों में तकरीबन 3 वर्ग किमी के इलाके को बफर जोन अर्थात नो मैन्स लैंड में तब्दील करने की प्रक्रिया आरंभ की गई है। जानकारी के लिए नो मैन्स लैंड उस जगह को कहा जाता है जिस पर चीन या हिन्दुस्तानी फौज का अधिकार नहीं होगा।

एक अन्य जानकारी के अनुसार, सेना को पीपी-14 तक गश्त करने से रोकने में कामयाब होने वाली चीनी सेना अब दुर्बुक-शयोक-दौलतबेग ओल्डी रोड के लिए खतरा बन गई है क्योंकि रक्षाधिकारियों को चीनी सेना पर कतई विश्वास नहीं है तथा अभी भी 800 मीटर पीछे चले जाने के बावजूद चीनी सैनिक ऊंचाई वाले स्थानों पर मोर्चो जमा कर दुर्बुक-शयोक-दौलतबेग ओल्डी रोड के लिए खतरा पैदा करते रहेंगें।

--सुरेश एस डुग्गर--


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