जियो इंस्टीट्यूट को 'उत्कृष्ट' बनाने पर सवाल
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने देश के 6 उत्कृष्ठ संस्थानों के नाम का ऐलान किया है जिनमें 3 सरकारी हैं और 3 प्राइवेट के साथ-साथ 'जियो इंस्टीट्यूट' को भी शामिल किया

नई दिल्ली। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने देश के 6 उत्कृष्ठ संस्थानों के नाम का ऐलान किया है जिनमें 3 सरकारी हैं और 3 प्राइवेटIIT दिल्ली, IIT बंबई, IIsc बेंगलुरु, मनिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन, BITS पिलानी के साथ-साथ 'जियो इंस्टीट्यूट' को भी शामिल किया है।
इस संस्थानों को सरकार अगले 5 साल के दौरान 1 हजार करोड़ रुपये का सरकारी अनुदान भी देगी। 'जियो इंस्टीट्यूट' को लिस्ट में शामिल किए जाने से विवाद पैदा हो गया है।
अभी इसी साल ऐसी खबर आई थी कि रिलायंस फाउंडेशन कोई इंस्टीट्यूट बनाने जा रहा है। जिसे 'जियो इंस्टीट्यूट' नाम दिया गया था। ये अभी चालू भी नहीं हुआ। ना ही इसकी कोई तस्वीर सामने आई। गूगल पर भी इसकी जानकारी नहीं है। साथ ही साथ मंत्रालय के पास भी कोई लेखा जोखा मौजूद नहीं है लेकिन बावजूद इसके इस इंस्टीट्यूट' को देश के 6 उत्कृष्ठ संस्थानों में जगह दी गई है।
'जियो को लिस्ट में शामिल किए जाने के सरकार के फैसले पर सवाल उठ रहे हैं। कहा जा रहा है कि जिस इंस्टीट्यूट' का अस्तित्व ही नहीं है आखिर सरकार उसे कैसे लाभ दे सकती है। बाकि कॉलेजों को वंचित रख कैसे महज एक ऐलान पर 1 हजार करोड़ रुपये की राशि दी जा सकती है। .क्या अंबानी परिवार को सरकार की सहयता की जरुरत है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि सरकार ने जिन शिक्षण संस्थानों को उत्कृष्ट बताया है वो सरकार की ही रैंकिंग में पीछे है। साल 2018 की रैंकिंग में IIsc बेंगलुरु पहले, IIT बॉम्बे तीसरे और IIT दिल्ली चौथे स्थान पर था। वहीं मणिपाल 18वें और BITS 26वें स्थान पर था। 'जियो इंस्टीट्यूट' तो NIRF-2018 का हिस्सा भी नहीं था। लेकिन फिर भी उसे उत्कृष्ट माना गया।
जब सरकार के इस फैसले का विरोध शुरु हुआ तो मंत्रालय ने सफाई भी दी है। मंत्रालय के अनुसार इस संस्थान को ग्रीनफील्ड कैटेगरी के अधीन शामिल किया गया है। यह एक ऐसी कैटेगरी होती है, जिसमें उन संस्थानों को शामिल किया जाता है, जो अभी अस्तित्व में नहीं है और जल्द ही बनने जा रहे हैं।
अब सरकार भले ही सफाई दे रही है लेकिन आरोप तो फिर तेज हो गए हैं कि मोदी सरकार जनता की नहीं उद्योगपतियों की है?


