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तिमाही परीक्षाएं निकली, स्कूलों में विषय शिक्षक ही नहीं

शासन की नीतियों के अनुरूप योग्य शिक्षकों की पदोन्नति तो हो गई, परंतु उनके रिक्त स्थानों में नए शिक्षकों की नियुक्तियां अब तक लंबित हैं

तिमाही परीक्षाएं निकली, स्कूलों में विषय शिक्षक ही नहीं
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खरसिया। शासन की नीतियों के अनुरूप योग्य शिक्षकों की पदोन्नति तो हो गई, परंतु उनके रिक्त स्थानों में नए शिक्षकों की नियुक्तियां अब तक लंबित हैं। ऐसे में विकासखंड के 104 पूर्व माध्यमिक विद्यालय जो पहले से ही शिक्षकों का अभाव झेल रहे थे, उन विद्यालयों में अध्ययन करने वाले छात्र-छात्राओं के भविष्य का अब राम ही रखवाला है।

अनेकों मिडिल स्कूलों में विषय शिक्षकों की कमी की वजह से अब तक पठन-पाठन प्रारंभ भी नहीं हो पाया है, जबकि तिमाही परीक्षाओं का दौर समाप्त हो चला है और प्रत्येक माह मंथली टेस्ट भी होते ही रहते हैं। 64 हेड मास्टर सहित लगभग 200 शिक्षकों की पदोन्नति के बाद विकासखंड की अनेक मिडिल स्कूल कठिनाइयों के दौर से गुजर रही हैं। शिक्षकों के अभाव की पूर्ति के लिए ना ही उनके पास जनभागीदारी समिति होती है और ना ही शाला प्रबंधन समिति के पास इतना बजट, की अस्थाई तौर पर ही सही शिक्षकों के अभाव को दूर कर सकें। ताज्जुब तो इस बात पर है कि उच्चाधिकारियों को विद्यार्थियों के भविष्य की चिंता क्यों नहीं हो रही है।

मिडिल स्कूलों में ही शिक्षा से वंचित ये विद्यार्थी हाई स्कूल पहुंचकर अपने ज्ञान को कैसे विकसित कर पाएंगे, क्या मजबूत नींव के अभाव में बहुमंजिला इमारत बन पाती है। ग्राम पुरैना के हेड मास्टर फूलचंद डनसेना ने तो अपनी सूझबूझ से 2 सेवानिवृत्त शिक्षक समंदर लाल गबेल और भोजराम राठौर को शिक्षकों की कमी को देखते हुए सेवाभावी ढ़ंग सेपढ़ाने के लिए राजी कर लिया है। परंतु ग्राम रानीसागर जहां सिर्फ एक ही शिक्षक है, ऐसी पचासों स्कूलों में शिक्षकों का अभाव विद्यार्थियों की शिक्षा को प्रभावित कर रहा है। सूची तैयार कर शासन को प्रेषित की गई है, व्यवस्था में थोड़ा वक्त तो लगेगा।


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