नवीन पद्धतियों से संभव है गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
भारत में शिक्षा के परिदृश्य में मूलभूत परिवर्तन लाने के उद्देश्य से शुरू किए गए 'पं. मदन मोहन मालवीय नेशनल मिशन ऑन टीचर्स एंड टीचिंग' की राष्ट्रीय स्तर पर समीक्षा के लिए दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित की
गौरेला। भारत में शिक्षा के परिदृश्य में मूलभूत परिवर्तन लाने के उद्देश्य से शुरू किए गए 'पं. मदन मोहन मालवीय नेशनल मिशन ऑन टीचर्स एंड टीचिंग' की राष्ट्रीय स्तर पर समीक्षा के लिए दो दिवसीय कार्यशाला 14 एवं 15 सितंबर को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय में आयोजित की गई।
कार्यशाला में प्रमुख रूप से शिक्षा के क्षेत्र में नवीन पद्धतियों को अपनाने और देश में शिक्षा के कई अन्य सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने का सुझाव दिया गया। कार्यशाला में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के उप-महानिदेशक (सांख्यिकी) बी. एन. तिवारी ने मिशन को संचालित कर रहे शैक्षणिक संस्थानों के मध्य और अधिक समन्वय पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि देश में 50 हजार से ज्यादा शैक्षणिक संस्थान हैं जिनमें 15 लाख से अधिक शिक्षक हैं। बड़ी संख्या में वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने के बाद भी भारतीय परिवेश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा चुनौती बनी हुई है।
इसके उपायों पर चिंतन की आवश्यकता है। मंत्रालय की ओएसडी डॉ. शकीला टी. शमसू ने मिशन के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए सभी संस्थानों से अपने अनुभव, चुनौतियां और इनसे जूझने के उपायों पर कार्यशाला के माध्यम से विचार करने को कहा। उन्होंने बताया कि देश में 48 संस्थान मिशन के विभिन्न भागों के लिए कार्यरत हैं जिन्होंने गुणवत्तापूर्ण शिक्षण व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। अतिथियों का स्वागत करते हुए कुलपति प्रो. टी.वी. कटटीमनी ने कहा कि देश की दशा और दिशा को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से पूरी तरह से बदला जा सकता है।
उन्होंने कहा कि और अधिक प्रशिक्षित शिक्षकों और शिक्षण में नई पद्धतियों को अपनाकर छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जा सकती है। कार्यशाला में प्रो. एम. मुखोपध्याय, प्रो. के. रामचंद्रन, प्रो. सुधांशु भूषण, प्रो. एम.एस. हेगड़े सहित बड़ी संख्या में शिक्षाविदों ने भाग लिया।


