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भाजपा सरकार की छलकपट की राजनीति के कारण जनजीवन पूरी तरह तबाह है: अखिलेश यादव

समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार की छलकपट की राजनीति के कारण उपजी महंगाई से जनजीवन पूरी तरह तबाह है

भाजपा सरकार की छलकपट की राजनीति के कारण जनजीवन पूरी तरह तबाह है: अखिलेश यादव
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लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार की छलकपट की राजनीति के कारण उपजी महंगाई से जनजीवन पूरी तरह तबाह है।

अखिलेश यादव ने मंगलवार को कहा भाजपा सरकार ने तय कर लिया है कि वह असत्य के सिवा कुछ नहीं बोलेगी और अपने पूरे कार्यकाल में छल-कपट की राजनीति के अलावा कुछ नहीं करेगी।मंहगाई की मार से जनजीवन पूरी तरह से तबाह है। डीजल-पेट्रोल की दरों में लगातार वृद्धि हो रही है। विद्युत महंगी करने पर भाजपा सरकार आमादा है। किसान घोर मुश्किल में फंसा है। किसानों के ऊपर तिहरी मार पड़ रही है। किसानों पर कोरोना का कहर टूट पड़ा है। उच्च न्यायालय को कहना पड़ा कि गांवों में चिकित्सा व्यवस्था राम भरोसे है। मंहगाई के कारण खेती के कार्यों में बाधा उत्पन्न हो गई है तथा उसकी फसल की लूट रुक नहीं रही है।

उन्होने कहा कि लखनऊ समेत तमाम जिलों से गेहूं खरीद में भारी अनिमितताओं की सूचनाएं मिली है। किसान क्रय केन्द्रों पर गेहूं के लिए धक्के खा रहे हैं। केन्द्रीय मंत्री को भी यह कहने के लिए विवश होना पड़ा कि गेहूं की सरकारी खरीद में घोर लापरवाही है और क्रय केन्द्र बंद होने की आम शिकायतें हैं।

सपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा सरकार जानबूझकर किसानों को एमएसपी का लाभ नहीं देना चाहती है। गेहूँ खरीद में भी ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था लागू कर दी गई है। गांवों के किसान को परेशानी में फंसाये रखने की यह भाजपाई साजिश का हिस्सा है। रजिस्ट्रेशन के बाद गेहूं का सैंपल पास कराना होता है तब भी क्रय केन्द्रों में धांधली के कारण एमएसपी पर बिक्री नहीं होती है। धान की फसल के बेहन के लिये प्रदेश में बीज का अभाव बना हुआ है।

उन्होने कहा कि भाजपा के अंधेर राज में किसान की बदहाली और भाजपा के प्रश्रय प्राप्त बिचौलियों की खुशहाली ही वांछित है। पहले धान की लूट हो ही चुकी है। गन्ना किसानों की कोई सुनने वाला नहीं है। उनके गन्ने का 15,000 (पन्द्रह हजार) करोड़ बकाये का भुगतान अभी भी लटका हुआ है। देरी में भुगतान का ब्याज तो कभी मिलने वाला है नहीं। भले ही गेहूँ का एमएसपी 1975 रूपये प्रति क्वींटल घोषित है लेकिन किसानों को 1500 रू0 प्रति क्वींटल मिलने के लाले पड़े हुए हैं।


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