Top
Begin typing your search above and press return to search.

छत्तीसगढ़ बजट के खिलाफ आज पूरे प्रदेश में होंगा धरना प्रदर्शन

 स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य और किसानों को कर्जमुक्त करने की घोषणा न करने, सूखे से निपटने के लिए बजट में अत्यल्प राशि रखने तथा मनरेगा में बजट आबंटन में कटौती

छत्तीसगढ़ बजट के खिलाफ आज पूरे प्रदेश में होंगा धरना प्रदर्शन
X

रायपुर। स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य और किसानों को कर्जमुक्त करने की घोषणा न करने, सूखे से निपटने के लिए बजट में अत्यल्प राशि रखने तथा मनरेगा में बजट आबंटन में कटौती के खिलाफ आज छत्तीसगढ़ किसान सभा और आदिवासी एकता महासभा द्वारा पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा तथा बजट का पुतला जलाया जाएगा।

इसके साथ ही, मनरेगा में काम देने और बकाया मजदूरी का भुगतान करने, सूखा राहत और फसल बीमा का शीघ्र भुगतान करने, अभयारण्य और खनन के नाम पर हो रहे विस्थापन पर रोक लगाने, पेसा कानून, 5वीं अनुसूची और आदिवासी वनाधिकार कानून के प्रावधानों का सही तरीके से क्रियान्वयन करने, कोयला के व्यावसायिक उत्खनन के लिए निजी कंपनियों को अनुमति देने के फैसले को वापस लेने आदि मांगें भी उठाई जायेंगी।

कल यहां जारी एक बयान में छत्तीसगढ़ किसान सभा के महासचिव ऋषि गुप्ता ने बताया कि भाजपा ने पिछले चुनावों के दौरान किसानों से जो वादा किया था, पांच साल में वे जुमले साबित हुए हैं. नीरव मोदी और विक्रम कोठारी ने जो बैंक घोटाला किया है, उसकी 2% राशि से ही पिछले 15 सालों में आत्महत्या करने वाले 3 लाख किसानों की जिंदगी को बचाया जा सकता था. लेकिन किसान-आदिवासियों की मदद करने के बजाये यह सरकार उन्हें उजाड़ने पर ही तुली है. पेसा कानून का उल्लंघन करके बाज़ार में बेचने के लिए निजी कंपनियों को कोयला उत्खनन की अनुमति देने के फैसले से इसकी पुष्टि होती है।

किसान सभा नेता ने कहा कि बोनस के सवाल पर भी किसानों को छला गया है. इस साल के बजट में वर्ष 2018-19 के बोनस के लिए ही कोई आबंटन नहीं है. इससे स्पष्ट है कि सत्ता में आने के बाद भाजपा बोनस देने के लिए प्रतिबद्ध नहीं है. प्रदेश के आदिवासी वन्य जीवों के हमलों का शिकार हो रहे हैं, लेकिन इस बजट में उनकी रक्षा के लिए भी कोई कदम नहीं उठाया गया है।

बजट में उल्लेखित फसल बीमा योजना का फायदा भी केवल बीमा कंपनियों को ही मिलने वाला है, न कि आम किसानों को. भाजपा के नेतृत्व वाली मोदी सरकार केंद्र में और रमन सरकार प्रदेश में जिन किसान और कृषि विरोधी नीतियों को देश और प्रदेश में लागू कर रही है, उसका कुल नतीजा यही है कि पिछले 14 सालों में हमारे प्रदेश में 25 हजार से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की है और खेती-किसानी घाटे का सौदा बन गई है।

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ किसान सभा चाहती हैं कि विकास के नाम पर आदिवासियों और किसानों को उनकी जमीन से बेदखल करने की जो साजिश हो रही है, उस पर रोक लगे और भूमि राजस्व संहिता में जितने भी किसानविरोधी, आदिवासीविरोधी संशोधन किए गए हैं, उन्हें रद्द किया जाए. उनको कर्जमुक्त करने और लाभकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य देने के साथ ही हर किसान परिवार की न्यूनतम आय 18000 रूपये मासिक सुनिश्चित की जाएं और 60 साल से ऊपर के किसानों को 5000 रूपये पेंशन मिले।

आदिवासियों के वनाधिकारों की स्थापना की जाएं और मनरेगा में सभी किसानों को 250 दिन काम, 250 रूपये मजदूरी मिले, छत्तीसगढ़ में पेसा कानून और 5वीं अनुसूची के प्रावधानों का पूरी तरह से पालन हो।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it