सरदार सरोवर बांध को लेकर विरोध प्रदर्शन
सरदार सरोवर बांध के विस्थापितों का पूरीतरह पुनर्वास किए बगैर इस परियोजना का उद्घाटन करने के सरकार के फैसले के खिलाफ जल संसाधन मंत्रालय के समक्ष विरोध प्रदर्शन
नई दिल्ली। सरदार सरोवर बांध के विस्थापितों का पूरीतरह पुनर्वास किए बगैर इस परियोजना का उद्घाटन करने के सरकार के फैसले के खिलाफ आज यहां कई गैर सरकारी संगठनों ने जल संसाधन मंत्रालय के समक्ष विरोध प्रदर्शन किया और अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा।
सरकार ने प्रधामंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्म दिवस 17 सितंबर के दिन नर्मदा महोत्सव के तहत सरदार सरोवर बांध का उद्घाटन करने का फैसला किया है। इसका विरोध कर रहे संगठनों का आरेाप है कि ऐसे समय में जबकि नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण के आदेशों और मध्यप्रदेश सरकार के पुनर्वास कार्यक्रमों तथा विभिन्न अदालतों के फैसलों के अनुरूप बांध के विस्थापितों में से 40 हजार से अधिक परिवारों का पुनर्वास अभी तक नहीं किया जा सका है और नर्मदा नहर के बहुत बड़े हिस्से का निर्माण पूरा नहीं हो पाया है, बांध का उद्घाटन करना लोगों के साथ एक क्रूर मजाक है।
नर्मदा महोत्सव कुछ और नहीं बल्कि नर्मदा घाटी के लोगों से झूठ बोलकर मोदी सरकार की वोट बटोरने की राजनीति भर है।प्रदर्शनकारियों का कहना था कि सरदार सरोवर बांध से जुड़ी समस्याओं के प्रति सरकार की उपेक्षा शर्मनाक और पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है। यह इस बात का सबूत है कि मोदी सरकार चुनाव जीतने के लिए किस हद तक जा सकती है। उन्होंने कहा कि नर्मदा नहर की लंबाई पूर्व निर्धारित 90389 किलोमीटर से घटाकर चुपचाप 71000 किलोमीटर कर दी गयी है। इससे सिंचित होने वाले क्षेत्र का दायरा भी 18 लाख से घटाकर 12 लाख हेक्टेयर कर दिया गया है।


