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सहायक शिक्षिका की याचिका पर पदोन्नति आदेश पर रोक

 शा.प्रा.शाला बयागुड़ा की सहायक शिक्षिका (पंचायत) श्रीमती मीरा सिंह का नाम शिक्षक पंचायत की पदोन्नति-सूची से हटा दिया गया था

सहायक शिक्षिका की याचिका पर पदोन्नति आदेश पर रोक
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बस्तर। शा.प्रा.शाला बयागुड़ा की सहायक शिक्षिका (पंचायत) श्रीमती मीरा सिंह का नाम शिक्षक पंचायत की पदोन्नति-सूची से हटा दिया गया था। जिला पंचायत दक्षिण बस्तर जगदलपुर द्वारा कहा गया था कि श्रीमती मीरा सिंह 12 वीं विज्ञान संकाय से और स्नातक परीक्षा कला संकाय से उत्तीर्ण की थी। पदोन्नति सूची से नाम हटा दिए जाने से क्षुब्ध होकर उन्होंंने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के समक्ष अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी एवं नरेन्द्र मेहेर के माध्यम से एक रिट याचिका दायर की थी। याचिका की सुनवाई 8 अगस्त को न्यायमूर्ति पी.एस.कोशी की एकलपीठ में हुई।

याचिका में उल्लेख किया गया था कि याचिकाकर्ता द्वारा कक्षा 12 वीं विज्ञान संकाय से उत्तीर्ण की थी, जिसके आधार पर उनकी नियुक्ति सहायक शिक्षक (पंचायत) के पद पर हुई थी। नियुक्ति पश्चात याचिकाकर्ता द्वारा स्नातक कला संकाय में की गई थी, जिसके कारण याचिकाकर्ता को प्रमोशन नहीं दिया गया। जबकि इसी मामले में जिला पंचायत में समान शैक्षिक योग्यता वाले एक अन्य सहायक शिक्षक श्री डोमू राम कश्यप को शिक्षक पंचायत के पद पर 27 अगस्त 2013 को पदोन्नति कर दिया गया है। हालांकि श्री कश्यप ने भी कक्षा बारहवीं की परीक्षा विज्ञान से और स्नातक को कला से उत्तीर्ण की थी।

श्रीमती मीरा सिंह की नियुक्ति छत्तीसगढ़ शिक्षाकर्मी भर्ती नियम, 1997 से शासित होती है, जिसमें स्पष्ट प्रावधान किया गया है कि शिक्षक (पंचायत) के पद पर पदोन्नति हेतु 7 वर्ष का शैक्षणिक अनुभव होना आवश्यक है। जिला पंचायत द्वारा 01 जनवरी 2016 की स्थिति में 7 वर्ष पूर्ण कर चुके सहायक शिक्षकों की अंतरिम पदोन्नति सूची जारी की गई थी, जिसमें याचिकाकर्ता का नाम सम्मिलित था किन्तु इसी जिला पंचायत द्वारा 21 जून 2017 को जारी अंतिम पदोन्नति सूची में से श्रीमती मीरा सिंह का नाम विलोपित कर दिया गया, क्योंकि उसने कक्षा 12 वीं कक्षा विज्ञान संकाय से और स्नातक कला संकाय से उत्तीर्ण की है, इसलिए वह पदोन्नति हेतु अपात्र है।

हाईकोर्ट ने याचकाकर्ता श्रीमती मीरा सिंह को अंतरिम राहत देते हुए कहा कि कोई भी पश्चात्वर्ती पदोन्नति आदेश मामले में अंतिम निर्णय आने तक बाधित रहेंगे। न्यायालय ने जिला पंचायत जगदलपुर एवं जनपद पंचायत बस्तर के मुख्य का.अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

फॉरेस्ट गॉर्ड की विधवा से पेंशन की वसूली पर रोक

ग्राम अचानकमार तहसील लोरमी निवासी बसंत सिंह श्याम वनमण्डलाधिकारी, मुंगेली वनमण्डल में फॉरेस्ट गॉर्ड के पद पर पदस्थ थे। पदस्थापना के दौरान 23.12.2013 को उनकी मृत्यु हो जाने पर वन विभाग द्वारा उनकी विधवा अहिल्याबाई श्याम को पेंशन देना प्रारंभ कर दिया गया परंतु मई 2016 में वनमण्डलाधिकारी, वनमण्डल मुंंगेली द्वारा बिना किसी सूचना के अहिल्याबाई श्याम के पेंशन से वसूली प्रारंभ कर दी गई।

इससे क्षुब्ध होकर अहिल्याबाई श्याम द्वारा हाईकोर्ट अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। अधिवक्ता द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि वनमण्डलाधिकारी, वनमण्डल मुंगेली द्वारा याचिकाकर्ता को बिना कोई कारण बताओ नोटिस जारी किये एवं सुनवाई का अवसर दिये बिना उसके पेंशन राशि से कटौती प्रारंभ कर दी गई।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा पंजाब राज्य एवं अन्य विरूद्ध रफीक मसीह एवं अन्य के वाद में पारित आदेश का हवाला दिया गया जिसमें यह उल्लेख है कि किसी भी शासकीय कर्मचारी की मृत्यु के पश्चात् उसके विधवा को प्राप्त पेंशन राशि से किसी भी प्रकार की कटौती नहीं की जा सकती है। उच्च न्यायालय द्वारा उक्त याचिका की सुनवाई के पश्चात् उत्तरवादीगणों को नोटिस जारी कर तत्काल जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही विधवा के वेतन से की जा रही वसूली पर स्थगन कर दिया गया है।


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