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नर्सिंग परीक्षा पर रोक, हाइकोर्ट ने परीक्षा नियंत्रक को किया तलब, ये है पूरा मामला
मध्यप्रदेश का बहुचर्चित नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद शासन ने बड़ी संख्या में नर्सिंग कॉलेजों की संबद्धता समाप्त की थी,

गजेन्द्र इंगले
ग्वालियर: मध्यप्रदेश का बहुचर्चित नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद शासन ने बड़ी संख्या में नर्सिंग कॉलेजों की संबद्धता समाप्त की थी, इस बीच जबलपुर आयुर्विज्ञान विश्वविधालय ने बीएससी नर्सिंग सेकंड ईयर की परीक्षा को लेकर 19 सितम्बर 2022 को अधिसूचना जारी करते हुए टाइम टेबल जारी किया था। जिसके चलते आयोजित हो रही परीक्षाओं में बड़ी संख्या में ऐसे नर्सिंग कॉलेज के छात्रों को भी शामिल किया गया था, जिनकी संबद्धता समाप्त हो चुकी थी और उनमें पढ़ने वाले छात्रों का नामांकन नहीं हुआ था।
इस फर्जीवाड़े को लेकर मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच में एक जनहित याचिका दायर करते हुए तत्काल रोक लगाने के साथ मामले के जांच की मांग की थी। न्यायालय ने सुनवाई के बाद अंतरिम आदेश जारी करते हुए बीएससी नर्सिंग सेकंड ईयर की परीक्षा पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने का आदेश तो दिया ही साथ ही आयोजित हो चुके दो पेपर में शामिल हुए सभी परीक्षार्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं को सील्ड करने के भी निर्देश दिए है।साथ ही आयुर्विज्ञान विश्वविधालय के परीक्षा नियंत्रक को 4 जनवरी को हाईकोर्ट में दस्तावेजों के साथ तलब किया है।
आपको बता दें कि मध्यप्रदेश शिक्षा सम्बन्धी गडबड झाला के लिए पूरे देश मे बदनाम है। व्यापम कांड के चलते पूरे प्रदेश की छवि पहले ही खराब हो चुकी है। सूत्रों की माने तो नर्सिंग घोटाला भी व्यापम जैसा ही है। जिसमे प्रदेश के कई कॉलेज केवल कागजों पर चलते हैं। एक ही शिक्षक का नाम प्रदेश के कई नर्सिंग कॉलेज उपयोग करता है। उत्तर प्रदेश राजस्थान दिल्ली झारखंड बिहार के हजार छात्र मध्यप्रदेश के नर्सिंग कॉलेज में प्रवेश लेते हैं। ताकि उनको बिना पढ़े ही बैठे बिठाए नर्सिंग की डिग्री मिल जाये। हइकोर्ट की सख्ती के बाद उम्मीद की जा सकती है कि नर्सिंग फर्जीवाड़े का खुलासा होगा और नर्सिंग शिक्षा के स्तर में सुधार होगा।
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