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32 विश्वविद्यालयों में 'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस', 300 विश्वविद्यालयों में होगी नियुक्तियां

केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने विभिन्न डोमेन में प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के पद को अपनाना शुरू किया है

32 विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस, 300 विश्वविद्यालयों में होगी नियुक्तियां
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नई दिल्ली। केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने विभिन्न डोमेन में प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के पद को अपनाना शुरू किया है। विश्वविद्यालयों में इनकी नियुक्तियां शुरू हो गई हैं। देशभर में केंद्रीय विश्वविद्यालयों समेत कुल 32 उच्च शिक्षण संस्थान ऐसे हैं, जहां 'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस' नियम के अंतर्गत पेशेवर लोगों की नियुक्त हुई है।

यूजीसी ने सभी 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक के दौरान प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के पद नियुक्तियां करने को कहा है। देश भर के सभी केंद्रीय विश्वविद्यालय समेत अभी तक कुल 332 विश्वविद्यालयों को 11,200 विशेषज्ञों ने प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस पद के लिए ऑनलाइन आवेदन भेजा है।

'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस' वह लोग हैं जो प्रारंभिक व्यवसाय से शिक्षक नहीं है और न ही उन्होंने शिक्षण के लिए पीएचडी की है। बावजूद इसके उनके प्रोफेशनल अनुभव के आधार पर उन्हें कॉलेजों में छात्रों को पढ़ाने के लिए नियुक्त किया जा सकता है। यह प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस छात्रों को वह विषय पढ़ाएंगे जिसमें उनका लंबा प्रोफेशनल अनुभव है। हालांकि इस योजना के तहत विभिन्न कार्य क्षेत्रों से आने वाले प्रोफेशनल को कम से कम 15 वर्षों का अनुभव होना चाहिए।

विज्ञान, कानून, पर्यावरण, उद्योग, इंजीनियरिंग, इंडस्ट्री, मीडिया, जलवायु, संगीत, कला, समेत विभिन्न पेशों से जुड़े अनुभवी पेशेवरों को शिक्षा से जोड़ने के लिए 'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस' पंजीकरण पोर्टल शुरू किया गया था। अपने कार्य क्षेत्रों में महारत रखने वाले अनुभवी प्रोफेशनल इस पोर्टल के माध्यम से स्वयं को शिक्षण के लिए पंजीकृत करा सकते हैं। यानी 'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस' वह लोग हैं जो प्रारंभिक व्यवसाय से शिक्षक नहीं हैं और न ही उन्होंने शिक्षण के लिए पीएचडी की है।

यूजीसी के मुताबिक बावजूद इसके उनके उच्च प्रोफेशनल अनुभव के आधार पर उन्हें कॉलेजों में छात्रों को पढ़ाने के लिए नियुक्त किया जा रहा है। यह प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस, छात्रों को वह विषय पढ़ाएंगे जिसमें उनका लंबा प्रोफेशनल अनुभव है। यूजीसी सभी उच्च शिक्षण संस्थाओं को प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस की नियुक्ति के नियमों के संबंध में एक पत्र लिख चुका है।

इस पत्र में विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और कॉलेजों के प्राचार्यों से अनुरोध है किया गया था कि वे अपने संस्थानों में प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस की नियुक्ति को सक्षम करने के लिए अपने कानूनों, अध्यादेशों, नियमों व विनियमों में आवश्यक परिवर्तन करें। यूजीसी का कहना है कि इस मामले में की गई कार्रवाई को विश्वविद्यालय अपने गतिविधि निगरानी पोर्टल पर साझा भी कर रहे हैं। इसके साथ ही नियुक्ति के लिए उच्च शिक्षण संस्थाओं ने अपने नियमों में भी बदलाव किए हैं।

अभी तक अधिकांश नियुक्तियां कंप्यूटर साइंस, मार्केटिंग एडवांस, इंजीनियरिंग, होटल मैनेजमेंट समेत अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञों को मिली है। इस योजना में प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस की नियुक्ति एक निश्चित अवधि के लिए है। प्रारंभिक कार्यकाल एक वर्ष तक का है। हालांकि सेवा की गुणवत्ता के आधार पर विस्तार दिया जा सकता है।

यूजीसी का कहना है कि प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस की स्थिति शैक्षणिक संस्थानों को फैकेल्टी मेंबर के प्रयासों के पूरक के लिए विविध कौशल लाने का एक अनूठा अवसर प्रदान करती है। इस तरह की स्थिति उद्योग और अन्य व्यवसायों से अनुकरणीय अनुभव वाले लोगों को कॉलेजों में छात्रों को पढ़ाने के लिए आकर्षित करती है। यूजीसी का कहना है कि वह विशेषज्ञों को अभ्यास के प्रोफेसर के रूप में नियुक्त करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए विश्वविद्यालयों के साथ लगातार काम कर रहा है।


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