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प्रोफेसर जीडी अग्रवाल का अनशन राजधानी में जुटे समर्थक, गिरते स्वास्थ्य पर जताई चिंता

गंगा की सफाई के लिए अनशनरत प्रोफेसर जीडी अग्रवाल के अनशन का आज 38 वां दिन

प्रोफेसर जीडी अग्रवाल का अनशन राजधानी में जुटे समर्थक, गिरते स्वास्थ्य पर जताई चिंता
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नई दिल्ली। गंगा की सफाई के लिए अनशनरत प्रोफेसर जीडी अग्रवाल के अनशन का आज 38 वां दिन है। उनका स्वास्थ्य लगातार गिर रहा है, पर सरकार ने अभी तक उनके अनशन को तुड़वाने के लिए कोई कोशिश नहीं की है। प्रोफेसर अग्रवाल के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित उनके समर्थक आज राजधानी दिल्ली में राजघाट के पास समता स्थल पर गंगा सत्याग्रह पर बैठे। इस मामले में राजनैतिक दलों की उपेक्षापूर्ण रवैये की सभी ने एक सुर से निंदा की।

सत्याग्रह को संबोधित करते हुए राजेन्द्र सिंह ने कहा, कि गंगा की अनदेखी सभी राजनैतिक दलों को भारी पड़ेगी। हाल ही में संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हुई, पर गंगा पर इस दौरान एक शब्द भी नहीं बोला गया। उन्होंने बताया, कि प्रोफेसर जीडी अग्रवाल तो अपना बलिदान देने के लिए तैयार हैं अगर अब भी यह सरकारें नहीं मानी तो यह गंगा तपस्या लगातार जारी रहेगी जी डी अग्रवाल के समर्थन में स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा है कि गंगा का यह आंदोलन लगातार जारी रहेगा जी डी अग्रवाल के ना रहने पर वह स्वयं गंगा के लिए अपना बलिदान देंगे और उनके बाद उनके शिष्य बलिदान देंगे। उन्होंने कहा, कि जिस तरह से प्रोफेसर अग्रवाल के कीटोन घट रहे हैं कोई सात्विक शक्ति है जिसके कारण वह जिंदा है।

सत्याग्रह को संबोधित करते हुए उत्तराखंड से आए सामाजिक कार्यकर्ता भोपाल सिंह ने कहा कि उत्तराखंड में इस सत्याग्रह को लेकर बहुत निराशा है कि 38 दिन बीत जाने के बाद भी प्रोफ़ेसर अग्रवाल की प्राण बचाने के लिए कोई पहल नहीं हो रही है। किशोर उपाध्याय ने कहा की हम कुछ कर नहीं पाए हमने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई समाज की संवेदनहीनता पहली बार देखने को मिल रही है, अब जिस तरह से लोग राष्ट्रीय और सामाजिक मुद्दों पर अपनी चुप्पी साध लेते हैं वह संवेदनहीनता का प्रतीक है उत्तराखंड में जलाधिकार के साथ वन अधिकार को जोड़ना होगा।

किसान नेता सत्येंद्र सिंह ने कहा कि किसान भी निर्मल गंगा और अविरल गंगा की बात कर रहा है प्रोफेसर जी डी अग्रवाल के आंदोलन को किसान आंदोलनों का भी समर्थन है। पर्यावरणविद लेखक ज्ञानेन्द्र रावत जी ने कहा कि देश में प्रोफेसर अग्रवाल जैसे ईमानदार और सच्चे गंगा प्रेमी अब होना एक दुर्लभ बात है और उनकों बचाने के अगर प्रयास नहीं हो रहे है तो यह बहुत चितानिया विषय है उन्नाव से आए गिरजेश पांडे ने कहा कि वह उन्नाव और कानपुर में भी लोगों को इस आंदोलन के प्रति जागरुक कर रहे हैं और उन्नाव से चलकर राजघाट पर हो रहे सत्याग्रह में शामिल होने के लिए इसलिए आए हैं कि प्रोफेसर जीडी अग्रवाल के प्राण बचाएं। गंगा आंदोलन से जुड़े वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता पंकज कुमार ने कहा यह विचारणीय विषय है पिछले दिनों जब प्रोफेसर अग्रवाल अनशन पर बैठे थे तो सरकार की नींद उड़ गई थी और सरकार के लोग निरंतर संवाद कर उनके अनशन को समाप्त करने की पहल कर रहे थे, लेकिन यह पहला मौका है जब सरकार एक सच्चे वैज्ञानिक को नोटिस नहीं कर रही है इससे यह प्रतीत होता है कि सरकार में प्रजातांत्रिक मूल्यों के प्रति सम्मान नहीं है हमें लगता है कि हमें अपनी रणनीति बदलनी चाहिए और इस आंदोलन को और व्यापक रूप से चलाना चाहिए। साथियों को संबोधित करते हुए जल जन जोड़ो के राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह ने कहा कि गंगा के सवाल को लेकर प्रोफेसर जीडी अग्रवाल के द्वारा जिस कानून को संसद में पारित कराने की बात की जा रही है उसको पारित करने का आश्वासन भारत के जल संसाधन मंत्री गडकरी ने अपने पत्र के माध्यम से एक माह का समय मांगा गया था वह समय भी अब पूरा होने वाला है लेकिन इस बिल के पारित कराने की पहल दिखाई नहीं दे रही है जो हम सब के लिए चिंता का विषय है। कोर समिति की बैठक का आयोजन कल दिनांक 31 जुलाई 2018 को किया जायेगा जिसमें भावी रणनीति तय की जाएगी.


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