Top
Begin typing your search above and press return to search.

बेहतर रूप रंग में नजर आएंगे बांस से बनाए जाने वाले उत्पाद

केंद्र सरकार के पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय ने निर्णय लिया है कि बांस से बनाए जाने वाले उत्पादों को बेहतर रूप-रंग, पारंपरिक प्रस्तुतिकरण और साज-सज्जा के साथ पेश किया जाएगा

बेहतर रूप रंग में नजर आएंगे बांस से बनाए जाने वाले उत्पाद
X

नई दिल्ली। केंद्र सरकार के पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय ने निर्णय लिया है कि बांस से बनाए जाने वाले उत्पादों को बेहतर रूप-रंग, पारंपरिक प्रस्तुतिकरण और साज-सज्जा के साथ पेश किया जाएगा। योजना के तहत पूर्वोत्तर परिषद की पूर्वोत्तर बेंत और बांस विकास परिषद (एनईसीबीडीसी) ने सदियों पुराने बांस क्षेत्र को नए युग की प्रेरणा देने के लिए प्रतिभा स्काउटिंग, प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी सोर्सिग और बाजार जुड़ाव में अपनी रचनात्मकता और संसाधनों को शामिल किया है।

मंत्रालय का कहना है कि वैश्विक बाजार में तेजी से हो रहे परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए बांस और इसके अंतिम उत्पादों के पारंपरिक प्रस्तुतिकरण सौंदर्यशास्त्र को समसामयिक बनाना हमारी प्राथमिकता हो गई है। लिरिकखुल, इंफाल पश्चिम जिले में बांस नर्सरी स्थल और मणिपुर के कांगपोपकपी जिले के कोन्शाक खुल में बांस रोपण स्थल बनाए गए हैं।

इसके साथ ही भारत सरकार के पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के अंतर्गत पूर्वोत्तर परिषद (एनईसी) ने 490.82 लाख रुपये की परियोजना लागत से 'पूर्वोत्तर भारत में मत्स्य पालन एवं शूकर पालन को बढ़ावा देने' की परियोजना को स्वीकृति दे दी है।

परिषद के द्वारा अब तक पूर्वोत्तर क्षेत्र सामुदायिक संसाधन प्रबंधन सोसायटी (एनईआरसीआरएमएस), शिलांग को 196.32 लाख रुपये की राशि जारी की जा चुकी है।

यह परियोजना अरुणाचल प्रदेश के निचले सुबनसिरी जिले, असम के कार्बी आंगलोंग, मणिपुर के इंफाल पश्चिम, सेनापति, चुराचांदपुर, फेरजावल और तामेंगलोंग जिलों और मेघालय के पश्चिम जयंतिया हिल्स एवं पूर्वी खासी हिल्स जिलों में लागू की जा रही है।

इस परियोजना का उद्देश्य ग्रामीण समुदायों को रोजगार तथा आय के अवसर प्रदान करना है और साथ ही राज्य के उत्पादन आंकड़ों में वृद्धि करना है, ताकि मात्रा, मूल्य संवर्धन एवं क्षेत्र से संसाधनों के उपयोग को बढ़ावा दिया जा सके।

परियोजना का उद्देश्य जिन लक्ष्यों को प्राप्त करना है, उनमें टेबल फिश के गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के लिए मछलियों के तालाब की स्थापना करना।

शूकर के मांस के गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के लिए शूकर पालन चर्बी इकाइयों की स्थापना।

जारी की गई कुल धनराशि में से 12 सौ 88 लाख रुपये की राशि का उपयोग मेघालय के पश्चिम जयंतिया हिल्स जिले में 15 शूकर पालन इकाइयों की स्थापना के लिए किया गया था। शिलांग में पूर्वोत्तर परिषद के कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र के सलाहकार (कृषि) रंगेह कुपर वानशॉन्ग ने भी शूकर चर्बी इकाइयों का निरीक्षण करने के लिए परियोजना स्थल का दौरा किया और लाभार्थियों के साथ बातचीत भी की।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it