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राज्यपाल से मिले भारतीय प्रशासनिक सेवा के परिवीक्षाधीन अधिकारी

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज राजभवन में भारतीय प्रशासनिक सेवा बैच 2018 के 16 एवं भारतीय वन सेवा बैच 2016 के छह परिवीक्षाधीन अधिकारियों से भेंट की

राज्यपाल से मिले भारतीय प्रशासनिक सेवा के परिवीक्षाधीन अधिकारी
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज राजभवन में भारतीय प्रशासनिक सेवा बैच 2018 के 16 एवं भारतीय वन सेवा बैच 2016 के छह परिवीक्षाधीन अधिकारियों से भेंट की।

नाईक ने अपने अनुभव बताते हुए कहा, "ऐसी ²ष्टि बनाने की आवश्यकता है, जो जनहित को समर्पित हो। लोकसभा के लिए प्रथम बार निर्वाचित होने पर मैंने महसूस किया कि कुछ सदस्य शपथ लेते समय 'हिन्दोस्तान' शब्द का इस्तेमाल करते हैं, जबकि संविधान में 'भारत' और 'इंडिया' ही लिखा है। मेरी आपत्ति के बाद शपथ पत्र का प्रारूप बदला गया।"

उन्होंने देश की आजादी के 42 साल बाद संसद में 'वंदे मातरम' और 'जन-गण-मन' के गायन की शुरुआत कराई। इसी प्रकार उन्होंने मुंबई में दो तल के शौचालय निर्माण करवाया, जिसकी सराहना विश्व बैंक ने भी की। उन्होंने कहा कि ऐसा कुछ नया सोचे और करें, जिससे नई पहचान बने।

राज्यपाल ने यह भी बताया, "गत 40 वर्षो से सार्वजनिक जीवन में रहते हुए हर साल अपना वार्षिक कार्यवृत्त मैंने अपने मतदाताओं को प्रस्तुत किया। यह परम्परा राज्यपाल रहते हुए भी जारी रखी, जिसमें 'राजभवन में राम नाईक' के नाम से अपना वार्षिक कार्यवृत्त प्रदेश की जनता के समक्ष प्रस्तुत करता हूं। राज्यपालों के सम्मेलन में राष्ट्रपति ने वार्षिक कार्यवृत्त की सराहना की तथा अन्य राज्यपालों को भी अनुसरण करने की बात कही।"

नाईक ने कहा, "ऐसा करने से अपने काम का हिसाब करते हुए आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है और आत्म-संतोष होता है। आप जो भी करें, वह स्वयं को भी मालूम हो और दूसरे भी आपकी कार्यप्रणाली से अवगत हों।"

नाईक ने व्यक्तित्व विकास एवं जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए चार मंत्र बताए। उन्होंने कहा, "सदैव मुस्कुराते रहें, दूसरों की सराहना करना सीखें, दूसरों की अवमानना न करें, क्योंकि यह गति अवरोधक का कार्य करती है। अहंकार से दूर रहें तथा हर काम को अधिक अच्छा करने पर विचार करें।"

राज्यपाल ने सभी परिवीक्षाधीन अधिकारियों को अपना चतुर्थ वार्षिक कार्यवृत्त 'राजभवन में राम नाईक 2017-18' की प्रति भेंट की।

ज्ञात हो कि परिवीक्षाधीन अधिकारियों को आठ सप्ताह का प्रशिक्षण अकादमी में दिया जाता है। उसके बाद छह माह के लिए उन्हें जिले के कार्य से परिचित होने के लिए प्रदेश के विभिन्न जनपदों में तैनात किया जाता है। जिले के प्रशिक्षण के बाद उन्हें पुन: तीन सप्ताह का प्रशिक्षण अकादमी में दिया जाता है।


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