प्रयागराज में प्रियंका गांधी, नेहरू के स्मृति स्थल पर अर्पित की श्रद्घासुमन
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा आज मौनी अमावस्या स्नान पर्व पर प्रयागराज पहुंचीं हैं

प्रयागराज। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा आज मौनी अमावस्या स्नान पर्व पर प्रयागराज पहुंचीं हैं। इस दौरान उन्होंने सबसे पहले नेहरू-गांधी परिवार के पैतृक आवास आनंद भवन पहुंची। जहां अपने परदादा और पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के स्मृति स्थल पर श्रद्घासुमन अर्पित किए। प्रियंका गांधी ने आनंद भवन स्थित अनाथालय में बच्चों के साथ भी कुछ पल बिताए।
कांग्रेस महासचिव श्रीमती @priyankagandhi जी ने आनंद भवन स्थित अनाथालय में बच्चों के साथ आत्मीयता के साथ मुलाकात की, उनके साथ समय व्यतीत किया। pic.twitter.com/F1NVI2AeYJ
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इस दौरान एक बच्ची को गोद में लिए हुए नजर आईं। आज वे यहां करीब 5 घंटे रहेंगी। प्रियंका गांधी बगैर प्रोटोकल के सामान्य श्रद्घालु की तरह संगम में आस्था की डुबकी लगाएंगी। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा मौनी अमावस्या स्नान पर्व पर थोड़ी देर में संगम पहुंचेगीं। गेट पर भारी भीड़ को देखते हुए आनंद भवन के गेट को खोल दिया गया। कार्यकर्ता भी भीतर घुस गए थे, जिन्हें बाद में रोका गया।
कांग्रेस महासचिव श्रीमती @priyankagandhi जी ने आनंद भवन में पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की अस्थियों के स्थल पर अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की.. pic.twitter.com/2eFaZwuFb4
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प्रियंका गांधी वाड्रा गुरुवार को पांच घंटे प्रयागराज में गुजारेंगी। वह मनकामेश्वर मंदिर भी जाएंगी। इसके साथ ही संगम स्नान व मनकामेश्वर मंदिर में भगवान शिव के पूजन व आरती में भी शामिल हो सकती हैं।
कांग्रेस महासचिव श्रीमती @priyankagandhi जी आनंद भवन में संगम विसर्जन से पूर्व रखी गई पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की अस्थियों के स्थल पर अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए। pic.twitter.com/2CRkaUslvf
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पिछले साल लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत प्रियंका गांधी ने गंगा यात्रा से की थी। 17 मार्च 2019 को प्रियंका ने प्रयागराज से जल यात्रा निकाली थी। संगम में हनुमान मंदिर में मत्था टेकने के बाद वह सड़क मार्ग से छतनाग होते हुए दुमदुमा घाट गई थीं। दुमदुमा घाट, कौडिहार तक गंगा के रास्ते स्टीमर से गई थीं। उन्होंने पुलवामा में शहीद महेशराज यादव के परिजनों से मुलाकात भी की थी। इसके बाद वह गंगा के रास्ते कौड़िहार से सीतामढ़ी तक स्टीमर से गई थीं।


