निजी स्कूलों ने 15 से 40 फीसद तक बढ़ाई फीस
कोरोना काल में भी निजी स्कूल मनमर्जी से फीस बढ़ा रहे हैं। निजी स्कूलों द्वारा 15 से 40 फीसद तक फीस बढ़ाए जाने की बात सामने आई है

रायपुर। कोरोना काल में भी निजी स्कूल मनमर्जी से फीस बढ़ा रहे हैं। निजी स्कूलों द्वारा 15 से 40 फीसद तक फीस बढ़ाए जाने की बात सामने आई है। एक निजी स्कूल द्वारा 40 फीसद फीस बढ़ाए जाने की शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी से की गई है। डीईओ द्वारा इस शिकायत की जांच कराई जाएगी। गत वर्ष कोरोना काल में सरकारी तो क्या निजी स्कूलें भी नहीं खुली थी। स्कूलों द्वारा बच्चों को आनलाइन पढ़ाई कराई गई। आनलाइन पढ़ाई के बावजूद निजी स्कूलों ने पालकों से मनमाना फीस ली थी ।
अधिकांश पालकों ने इसका विरोध भी किया था। बाद में यह मामला कोर्ट में चला गया। मामले में कोर्ट ने निजी स्कूलों को सिर्फ ट्यूशन फीस ही लेने निर्देशित किया था। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कोर्ट के आदेश के बावजूद भी कई निजी स्कूल प्रबंधन पूरी फीस वसूली के लिए पालकों पर दबाव बनाते रहे। नए शैक्षणिक सत्र में भी निजी स्कूलों द्वारा मनमर्जी से फीस बढ़ाए जाने की बात सामने आ रही है।
अधिकांश स्कूलों में 15 से 20 फीसद तक फीस बढ़ाए जाने की बात सामने आ रही है। आठ से दस फीसद तक फीस बढ़ाने का प्रावधान निजी स्कूलों द्वारा हर साल मनमर्जी से फीस बढ़ाए जाने की शिकायत सामने आती रही है। इसका समाधान के लिए स्कूलों में फीस विनायमक समिति गठित करने का निर्देश दिया गया। शासन के निर्देशानुसार स्कूलों में यह समिति बनाई गई है। समिति में स्कूल प्रबंधन व वहां पढऩे वाले बच्चों के पालक शामिल होते है। फीस विनायमक समिति का गठन के लिए निजी स्कूल प्रबंधन को विधिवत पालकों को जानकारी देनी चाहिए लेकिन निजी स्कूल प्रबंधन समिति का गठन भी गुपचुप तरीके से कर देते हैं। फीस विनायमक समिति की बैठक में चर्चा के बाद ही निजी स्कूल प्रबंधन फीस बढ़ा सकता है।
निजी स्कूलों की आर्थिक स्थिति सहित अन्य पहलुओं का अध्ययन करने के बाद न्यूनतम छह से अधिकतम आठ फीसद तक फीस बढ़ाने का प्रावधान रखा गया है। समिति गठन के संबंध में शिक्षा विभाग द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारी को भी जानकारी देनी होती है। वहीं नोडल के अधिकारी की सहमति के बिना भी निजी स्कूल फीस नहीं बढ़ा सकते। पालन संघ ने बताया कि लाकडाउन की वजह से स्कूलें बंद रही और अधिकांश पालकों का कामकाज भी प्रभावित रहा। निजी स्कूल प्रबंधन को फीस का निर्धारण करते समय इसका ध्यान रखा जाना था। लेकिन जिले में कुछ निजी स्कूलों ने 15 से लेकर 40 फीसद तक फीस बढ़ा दी है। पालकों का आर्थिक शोषण करने वाले ऐसे निजी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। निजी स्कूलों द्वारा स्कूलों में गठित की गई फीस विनायक समिति की प्रक्रिया की भी जांच होनी चाहिए। समिति गठन में भी पारदर्शिता नहीं बरती गई है। इसमें कहीं न कहीं शिक्षा विभाग के अधिकारियों का संरक्षण होना प्रतीत होता है।
फीस वृद्धि को लेकर प्रमुख सचिव से मिले संसदीय सचिव
निजी स्कूलों द्वारा कोरोना काल के बीच ऑनलाइन पढ़ाई में फीस वृद्धि को लेकर संसदीय सचिव विकास उपाध्याय मंत्रालय पहुंच कर आज प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला से मिले। उपाध्याय ने विद्यार्थियों और उनके पालकों का पक्ष रखते हुये कहा कि इसको लेकर नियम सख्त होना चाहिए। प्रमुख सचिव से लंबी चर्चा के बाद तय हुआ। अगले सप्ताह इसे लेकर महत्वपूर्ण बैठक होगी। उपाध्याय ने बताया कि निजी अस्पतालों की तरह निजी स्कूलों के लिए भी नोडल अधिकारी नियुक्त होंगे। फीस निर्धारण को लेकर बनाई गई नियम का सख्ती से पालन होगा, जो स्कूल इसकी अवहेलना करेंगे उन स्कूलों की मान्यता समाप्त होगी।


