'उच्च शिक्षा में निजी निवेश बढ़ना चाहिए'
भारत में अगर उच्च शिक्षा में निवेश नहीं बढ़ा तो वह चीन व दक्षिण कोरिया जैसे दूसरे देशों से खास तौर से पिछड़ जाएगा

मुंबई। भारत में अगर उच्च शिक्षा में निवेश नहीं बढ़ा तो वह चीन व दक्षिण कोरिया जैसे दूसरे देशों से खास तौर से पिछड़ जाएगा। भारतीय शिक्षा क्षेत्र में बदलाव के लिए भारत सरकार के साथ निजी क्षेत्र की भी बराबर की जिम्मेदारी है। परोपकारी उद्यमिता को सामाजिक व आर्थिक वृद्धि के लिए शिक्षा की पहुंच को बराबर बनाना होगा। ओ.पी.जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के संस्थापक कुलपति प्रोफेसर सी.राज कुमार ने मुंबई में गुरुवार को कहा, "दो दशक पहले भारत व चीनी शैक्षिक संस्थान पश्चिमी समकक्षों की तुलना में समान थे।"
उन्होंने कहा, "चीन आज शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी है और उसके कई विश्वविद्यालय विश्व रैंकिंग में शामिल हैं। यह नीति, वित्तीय प्रतिबद्धता व अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी से हासिल किया गया और चीन ने उच्च शिक्षा में एक मुकाम हासिल किया है।"
उन्होंने कहा, "नीति निर्माण सोशल गर्वनेंस का एक अनिवार्य हिस्सा है, लेकिन आर्थिक विकास के लिए जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन की आवश्यकता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 भारत में शिक्षा के भविष्य के लिए एक विस्तृत रोडमैप है और सरकारी स्तर पर क्रियान्वयन मॉडल की रूपरेखा तैयार करता है। लेकिन सार्वजनिक निवेश भारत में आवश्यक परिवर्तन नहीं ला सकता है।"
जिंदल स्कूल ऑफ गवर्नमेंट एंड पब्लिक पॉलिसी के डीन सुदर्शन रामास्वामी ने कहा, "नई शिक्षा नीति को प्रतिष्ठित व्यक्तियों द्वारा तैयार किया गया है, जिसमें डॉ. कस्तूरीरंगन और गणितज्ञ मंजुल भार्गव शामिल हैं। लेकिन सिर्फ इसलिए कि नीति बुद्धिमान लोगों द्वारा तैयार की गई है, यह अच्छी नीति नहीं हो जाती। नीति को सिर्फ तभी अच्छा माना जा सकता है जब इसके उद्देश्य बड़े हों। इसमें विश्वविद्यालयों के उच्च शिक्षा संस्थानों को पुनर्गठित करना, संबद्ध कॉलेजों की प्रणाली को चरणबद्ध करना, शिक्षकों के कार्यकाल, स्वायत्तता की बात भी शामिल है।"
जिंदल स्कूल ऑफ बैंकिंग एंड फाइनेंस के डीन आशीष भारद्वाज ने कहा, "भारतीय अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी और जापान के अतीत में जाना होगा। इन राष्ट्रों में विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय हैं। चीन की उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अत्यधिक वृद्धि ने लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में मदद की और देश को हमेशा के लिए बदल दिया। उच्च शिक्षा में गुणवत्ता सुनिश्चित करना सबसे महत्वपूर्ण है, भारत अपनी भविष्य की पीढ़ियों से इस वादे को पूरा कर सकता है।"


