देश भर के निजी अस्पताल आज 12 घंटे की हड़ताल पर
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) विधेयक 2017 के विरोध में देश भर के निजी अस्पताल आज 12 घंटे की हड़ताल पर रहेंगे

नई दिल्ली। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) विधेयक 2017 के विरोध में देश भर के निजी अस्पताल आज 12 घंटे की हड़ताल पर रहेंगे। अस्पतालों को बंद रखने का आव्हान इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने किया है।
आईएमए ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) विधेयक 2017 को 'जन विरोधी और मरीज विरोधी' करार दिया है। आईएमए के 2.77 लाख सदस्य हैं, जिसमें देशभर में फैले कॉरपोरेट अस्पताल, पॉली क्लीनिक एवं नर्सिग होम शमिल हैं।
दूसरी ओर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की ओर से 12 घंटे तक रोजमर्रा की चिकित्सा सेवाएं बंद रखने के आह्वान के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को सभी केंद्रीय सरकारी अस्पतालों से स्वास्थ्य सेवाएं और आपातकालीन सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा है।
बता दें आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल और वर्तमान अध्यक्ष रवि वानखेड़े केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा से मिले थे और विधेयक में व्यापक संशोधन की बात उठाई थी। यह विधेयक लोकसभा में शुक्रवार को पेश किया गया था।
डॉ. वानखेड़े ने कहा कि आईएमए इस विधेयक का विरोध करता है और इस मुद्दे को लेकर लोगों और मरीजों के पास जाने के सिवा कोई चारा नहीं है। हमने अपने सदस्य अस्पतालों एवं स्वास्थ्य संस्थाओं से मंगलवार को 12 घंटे बंद रखने का आह्वान किया है। इस दौरान सभी अस्पतालों में ओपीडी एवं वैकल्पिक सर्जरी की सेवाएं सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक बंद रहेंगी।
आईएमए एक वैधानिक निकाय है और यह राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग गठित करने संबंधी विधेयक का पिछले महीने कैबिनेट की मंजूरी मिलने के समय से ही विरोध करता रहा है और उसमें संशोधन की मांग कर रहा है। आईएमए ने इस विधेयक को 'जन विरोधी और मरीज विरोधी' बताया है। आईएमए का कहना है कि एक तरफ यह विधेयक भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए लाया जा रहा है, जबकि इससे भ्रष्टाचार की बाढ़ आ जाएगी।
आईएमए के बयान में कहा गया है कि यह विधेयक गरीब विरोधी है, इसमें आयुर्वेद सहित भारतीय चिकित्सा पद्धति के चिकित्सकों को ब्रिज कोर्स करने के बाद एलोपैथी की प्रैक्टिस की इजाजत दी गई है।
आईएमए का कहना है कि इससे बड़े पैमाने पर चिकित्सा का स्तर गिरेगा और यह मरीज की देखभाल और सुरक्षा के साथ खिलवाड़ होगा।
आईएमए का कहना है कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति के तहत प्रैक्टिस के लिए एमबीबीएस का मानक बना रहना चाहिए।


