Top
Begin typing your search above and press return to search.

आईपीएस देवांगन को अनिवार्य सेवानिवृत्ति,भ्रष्टाचार के आरोप में केन्द्र सरकार की बड़ी कार्रवाई

रायपुर ! आईजी राजकुमार देवांगन को केन्द्र सरकार के आदेश पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई है। इस आशय के आदेश बुधवार को राज्य शासन ने जारी कर दिए हैं।

आईपीएस देवांगन को अनिवार्य सेवानिवृत्ति,भ्रष्टाचार के आरोप में केन्द्र सरकार की बड़ी कार्रवाई
X

रायपुर ! आईजी राजकुमार देवांगन को केन्द्र सरकार के आदेश पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई है। इस आशय के आदेश बुधवार को राज्य शासन ने जारी कर दिए हैं। राज्य गठन के बाद यह मामला है, जब भ्रष्टाचार के मामले में 16 वर्षों बाद पहली बार किसी दागी अधिकारी पर ऐसी कार्रवाई की गई है।
श्री देवांगन के खिलाफ विभागीय जांच चल रही थी। वे 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। जांजगीर-चाम्पा जिले मेें पुलिस अधीक्षक के पद पर रहते हुए उनके विरूद्ध गंभीर शिकायत की गई थी। यहां उनकी पदस्थापना के दौरान बहुचर्चित बारद्वार डकैती कांड हुआ था। डकैतों की गिरफ्तारी के बाद उनसे रकम की जब्ती हुई थी। जब्त रकम में लाखों रुपए की हेराफेरी की गई थी। इस मामले मेें तत्कालीन थानेदार को बर्खास्त कर दिया गया था। राजकुमार देवांगन पर भी आरोप लगे थे। इस प्रकरण में उनके खिलाफ विभागीय जांच चल रही थी। इसके अतिरिक्त बोस्निया में पदस्थापना के दौरान भी गड़बड़ी को लेकर उनके विरूद्ध शिकायतें मिली थीं। राज्य सरकार ने उनके खिलाफ जांच कर केन्द्र सरकार को रिपोर्ट भेज दी थी। लेकिन राज्य सरकार की अनुशंसा किए बिना केन्द्र ने सीधे कार्रवाई की है।
प्रदेश के प्रमुख सचिव गृह बीबीआर सुब्रमणियम ने बुधवार को श्री देवांगन की सेवानिवृत्ति आदेश जारी कर दिया है। आदेश में कहा गया है कि डीसीआरबी-1958 के नियम 16 (3) के प्रावधानों के तहत जनहित में सेवानिवृत्त किया गया है। ज्ञात हो बाराद्वार में वर्ष 1998 में 65 लाख की डकैती हुई थी। यह रकम शिक्षकों को वेतन देने के लिए ले जाई जा रही थी। रास्ते में कुछ लोगों ने यह रकम लूट ली थी। इसमें से कुछ पैसा तत्कालीन थानेदार नरेन्द्र मिश्रा के घर से बरामद हुआ था। थानेदार ने एसपी पर इस मामले में आरोप लगाए थे। तत्कालीन मप्र सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया था। करीब 14 वर्ष बाद 2012 में देवांगन के खिलाफ चार्जशीट जारी किया गया। उनका जवाब संतोषप्रद नहीं पाए जाने पर विभागीय जांच की अनुशंसा की गई। इसी तरह बोस्निया में शांति सेना में पद स्थापना के दौरान किसी सूचना के वे भारत आ गए थे। इस मामले में वहां की सरकार ने उनके विरूद्ध भारत सरकार से शिकायत की थी।

गृह विभाग मेें 14 वर्ष तक लंबित रही फाइल
दागी अधिकारी राजकुमार देवांगन की फाइल भारतीय सेवा और भारतीय पुलिस सेवा को सामान्य प्रशासन विभाग के हवाले किया गया था। इसके बाद देवांगन की फाइल खुली। मुख्य सचिव सीधे यह विभाग संभालते हैं। उनके सामने जब यह फाइल आई तो उन्होंने इसे तुरंत मुख्यमंत्री को भिजवा दिया। मुख्यमंत्री ने विभागीय जांच की अनुशंसा करने में विलम्ब नहीं किया।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it