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प्रधानमंत्री की शीर्ष प्राथमिकता उप्र विधानसभा चुनाव से पहले जल संकट का समाधान 

जल संसाधनों से संबंधित परियोजनाओं को जल्द शुरू करने के लिए मोदी सरकार उत्तर प्रदेश को 9,000 करोड़ रुपये जारी करेगी

प्रधानमंत्री की शीर्ष प्राथमिकता उप्र विधानसभा चुनाव से पहले जल संकट का समाधान 
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नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से साल भर पहले यानी 2021 तक प्रदेश की 20 करोड़ जनता की प्यास बुझाने के लिए पर्याप्त पानी होगा। जल संरक्षण के लिए उत्तर प्रदेश के ग्राम प्रधानों को पत्र लिखने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को प्रदेश के जल संकट को अगले दो साल में सुलझाने के निर्देश दिए हैं।

जल संसाधनों से संबंधित परियोजनाओं को जल्द शुरू करने के लिए मोदी सरकार उत्तर प्रदेश को 9,000 करोड़ रुपये जारी करेगी। प्रदेश में बुंदेलखंड और विंध्याचल के सूखाग्रस्त क्षेत्र भी हैं।

उत्तर प्रदेश में 2022 के प्रारंभ में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव से पहले बड़ी सिंचाई परियोजनाओं से लेकर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति तक की परियोजनाओं को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर काम करेगी। योजनाओं को तेज गति से चलाने के लिए योगी आदित्यनाथ ने रविवार को गजेंद्र शेखावत के साथ महत्वपूर्ण बैठक की।

दोनों ने बुंदेलखंड पर ध्यान केंद्रित करने पर सहमति जताई, जहां जल संकट के कारण अक्सर कानून-व्यवस्था संबंधित समस्याएं पैदा होती हैं। इसके अलावा, प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र से लगे सोनभद्र और मिर्जापुर के क्षेत्रों में फैली व्यापक जल समस्या से निपटने के लिए चौतरफा प्रयास किए जाएंगे।

उच्चपदस्थ सूत्रों ने आईएएनएस से कहा कि नदियों और नालों में निर्बाध रूप से जल प्रवाह के लिए गंगा एवं यमुना जैसी प्रमुख नदियों की तलहटी की सफाई का काम किया जाएगा। उत्तर प्रदेश में जल संसाधन तीन मंत्रालयों -ग्रामीण विकास, सिंचाई और जल निगम- में बंटे हैं।

इन तीनों मंत्रालयों को भ्रष्टाचार में आकंठ डूबा माना जाता है, जिस कारण परियोजनाएं या तो लंबित रहती हैं या उनका लाभ वास्तविक लाभार्थी को नहीं मिल पाता। सूत्रों ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी ने आश्वासन दिया है कि इन मंत्रालयों में भ्रष्ट इंजीनियरों और अधिकारियों की पहचान करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा और उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।

उत्तर प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार के कारण सत्र 2016-17 में लगभग 700 करोड़ रुपयों का उपयोग नहीं कर पाई। इन विभागों में यह भ्रष्टाचार पिछली समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सरकारों के समय से व्याप्त है। पूर्ववर्ती सरकार में सिंचाई विभाग मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल सिंह यादव, जबकि जल निगम आजम खान के पास था। इन मंत्रालयों में भ्रष्टाचार की कई शिकायतें अब खुल रही हैं।

सूत्रों ने कहा कि इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने शेखावत को उत्तर प्रदेश में जल संकट को उनके मंत्रालय की वरीयता सूची में शीर्ष पर रखने का निर्देश दिया है। प्रधानमंत्री सोचते हैं कि अगर उत्तर प्रदेश की समस्या सुलझ गई तो देश के आधे जल संकट का समाधान हो जाएगा।

प्रधानमंत्री ने योगी को भी सलाह दी है कि उत्तर प्रदेश में जल संकट की स्थिति और बिगड़ने से पहले ही सुधर जानी चाहिए। शेखावत और योगी ने गंगा नदी में प्रदूषण बढ़ने की समस्या पर भी चर्चा की। इस संबंध में उन्होंने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियमों का पालन नहीं करने वाले चमड़ा कारखानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्णय लिया।

हालिया रपटों ने संकेत दिया है कि राज्य के कई प्रमुख शहरों और कस्बों से गुजरने वाली गंगा नदी को कानपुर (और उन्नाव) में चमड़े के कारखाने और अन्य उद्योग बुरी तरह प्रदूषित कर रहे हैं। मंत्रियों ने जल संबंधित कई अन्य परियोजनाओं के अतिरिक्त पूर्वी उत्तर प्रदेश में सरयू, राप्ती और अन्य महत्वपूर्ण नदियों की तलहटी को प्राथमिकता के साथ साफ करने पर चर्चा की, ताकि सिंचाई परियोजनाओं को लागू किया जा सके।


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