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प्रधानमंत्री मोदी की अपील, ईपीआई संस्कृति अपनाये

प्रधानमंत्री ने लोगों के दिमाग में भीतर तक घुसी वीआईपी संस्कृति को उखाड़ फेंकने की जरूरत पर बल देते हुए वीआईपी संस्कृति के स्थान पर ईपीआई यानी हर व्यक्ति महत्वपूर्ण है वाली संस्कृति अपनाने की अपील की

प्रधानमंत्री मोदी की अपील, ईपीआई संस्कृति अपनाये
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नई दिल्ली| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को लोगों के दिमाग में भीतर तक घुसी वीआईपी संस्कृति को जड़ से उखाड़ फेंकने की जरूरत पर बल देते हुए 'वीआईपी' संस्कृति के स्थान पर 'ईपीआई' यानी 'हर व्यक्ति महत्वपूर्ण है' वाली संस्कृति अपनाने की अपील की। मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में कई मुद्दों पर बात की। उन्होंने साथ ही कहा कि भारत द्वारा पांच मई को छोड़ा जाने वाला दक्षिण एशियाई उपग्रह क्षेत्र की आर्थिक और विकास संबंधी जरूरतों को पूरा करने में अहम भूमिका निभाएगा।

'वीआईपी' संस्कृति की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "पहले वाहनों पर लाल बत्ती लगाई जाती थी, लेकिन धीरे-धीरे यह हमारे दिमाग में घुस गई और हमारी मानसिकता में जमकर बैठ गई। लाल बत्ती का जाना अच्छा है, लेकिन कोई निश्चित तौर पर यह नहीं कह सकता कि यह हमारी मानसिकता से भी चली गई है।"

प्रधानमंत्री ने लोगों से वीआईपी संस्कृति को सामूहिक प्रयास से खत्म करने की अपील करते हुए कहा, "'न्यू इंडिया' के पीछे की अवधारणा यह है कि वीआईपी की जगह ईपीआई लाया जाए। ईपीआई का अर्थ है कि हर व्यक्ति महत्वूपर्ण है। हमें 125 करोड़ भारतीयों के महत्व को स्वीकार करना होगा।"

अंतरिक्ष कूटनीति के बारे में मोदी ने कहा कि दक्षिण एशियाई उपग्रह इस क्षेत्र के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का सूचक है। प्रधानमंत्री ने कहा, "इस उपग्रह की क्षमता और इससे मिलने वाली सुविधाओं से दक्षिण एशिया की आर्थिक और विकास संबंधी जरूरतें पूरी होंगी।"

मोदी ने कहा, "प्राकृतिक संसाधनों का खाका बनाने, टेली मेडिसिन, शिक्षा क्षेत्र, आईटी से लेकर लोगों से लोगों का संपर्क बढ़ाने तक यह उपग्रह पूरे क्षेत्र के लिए एक वरदान साबित होगा।"

यह संचार उपग्रह जीसैट-9 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के रॉकेट, भूस्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी-एफ09) के जरिए छोड़ा जाएगा। पाकिस्तान को छोड़कर सभी दक्षिण एशियाई देश इस परियोजना का हिस्सा हैं।

मोदी ने सैद्धांतिक ज्ञान के साथ ही व्यावहारिक ज्ञान के महत्व पर भी जोर देते हुए युवाओं को अपने आराम के दायरे से निकलकर नए अनुभव और नए कौशल एकत्रित करने का सुझाव दिया।

मोदी ने युवाओं से प्रयोग करने और विभिन्न विषयों में अपनी जिज्ञासा शांत करने का आग्रह करते हुए उन्हें रेल के अनारक्षित डिब्बों में यात्रा करने की सलाह दी।

उन्होंने कहा, "आप एक साल में जो नहीं सीख सकते, वह आप किसी भीड़भाड़ वाली रेलगाड़ी के अनारक्षित डिब्बे में यात्रा करते हुए 24 घंटे में ही सीख सकते हैं।" मोदी ने युवाओं से गरीब बच्चों के साथ खेलने का भी आग्रह किया।

मोदी ने कहा, "क्या आपने कभी सोचा है कि जो बच्चे गरीबी में रहते हैं, उनकी जिंदगी में क्या बदलाव आएगा, जब उन्हें आपके साथ खेलने का मौका मिलेगा। मुझे पूरा विश्वास है कि आप एक बार वहां जाएंगे तो आपका दिल आपको बार-बार वहां जाने के लिए कहेगा। इस अनुभव से आप काफी कुछ सीख पाएंगे।" मोदी ने लोगों के प्रौद्योगिकी में अत्यधिक डूबे रहने को लेकर भी चिंता व्यक्त की।

मोदी ने साथ ही कहा कि जलवायु परिवर्तन का विषय केवल शैक्षणिक क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है, बल्कि रोजमर्रा के जीवन में लोगों को इसके दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि कुदरत अब अपने नियम बदल रही है।

मोदी ने कहा, "हम मई और जून में जो गर्मी महसूस करते थे, वह अब मार्च और अप्रैल में करने लगे हैं।" प्रधानमंत्री ने साथ ही कहा कि सरकार संत रामानुजाचार्य की 1,000वीं जयंती के मौके पर सोमवार को एक डाक टिकट जारी करेगी।

मोदी ने बुद्ध के दर्शनशास्त्र के औचित्य के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा, "आज दुनिया में हिंसा, युद्ध, हथियारों की दौड़ जैसी कई समस्याएं हैं। इस माहौल के बीच बुद्ध का दर्शनशास्त्र बेहद प्रासंगिक है।"


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