प्रधानमंत्री ने संबोधन में कश्मीर के वीरों को सराहा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने और जम्मू एवं कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लिए जाने के बाद गुरुवार को पहली बार देश को संबोधित किया

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने और जम्मू एवं कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लिए जाने के बाद गुरुवार को पहली बार देश को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने राज्य के चार वीर सपूतों के नाम लिए। उन्होंने कहा कि यहां के लोग समय समय पर देश के लिए अपनी बहादुरी का परिचय देते आए हैं। उन्होंने पुंछ जिले के रहने वाले मौलाना गुलाम दीन का जिक्र किया, जिन्होंने 1965 के भारत-पाकिस्तान के युद्ध में घुसपैठ की जानकारी भारतीय सेना को दी थी। उनकी बहादुरी के लिए उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।
लद्दाख के रहने वाले कर्नल सोनम वांगचुक का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने कारगिल की लड़ाई में दुश्मनों को धूल चटाई। अपनी सेवा के लिए उन्हें महावीर चक्र दिया गया था।
इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने राजौरी जिले की रहने वाली कलसियां गांव की एक बहादुर लड़की रुखसाना कौसर के नाम का जिक्र किया, जिसे बहादुरी के लिए कीर्ति चक्र प्रदान किया गया।
रुखसाना कौसर ने 27 सितंबर, 2009 की रात को अपने घर में घुसे लश्कर-ए-तैयबा के एक शीर्ष पाकिस्तानी आतंकवादी को मार गिराया और एक अन्य को घायल कर दिया था।
उसने और उसके भाई बहनों ने मिलकर आतंकवादियों से मुकाबला किया। रुखसाना ने एक आतंकवादी की राइफल छीनकर उसे घटनास्थल पर ही ढेर कर दिया था।
इस घटना में रुखसाना के माता-पिता राशिदा और नूर हुसैन घायल हो गए थे। 27 सितंबर की इस घटना से पहले रुखसाना ने कभी बंदूक नहीं पकड़ी थी, लेकिन उस दिन उसने बहादुरी की मिसाल कायम की।
भारत की राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल तथा गृहमंत्री पी चिदंबरम ने भी उसके बहादुरी की तारीफ की थी।
इसके अलावा, उन्होंने पिछले साल आतंकवादियों द्वारा अपहरण किए जाने के बाद मार दिए गए राइफलमैन औरंगजेब की वीरता को याद किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने उनके परिवारवालों की तारीफ की और कहा कि उनके दोनों भाई अब भारतीय सेना में भर्ती होकर देश की सेवा कर रहे हैं।


