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रुपये का भाव गिरा, बयान दें प्रधानमंत्री मोदी : कांग्रेस

रुपया डॉलर के मुकाबले 69.98 रुपये तक गिर चुका है, ऐसे में कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि 'मोदीनोमिक्स' ने भारत की अर्थव्यवस्था पर कहर बरपा दिया है और इसे बर्बाद कर दिया है

रुपये का भाव गिरा, बयान दें प्रधानमंत्री मोदी : कांग्रेस
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नई दिल्ली। रुपया डॉलर के मुकाबले 69.98 रुपये तक गिर चुका है, ऐसे में कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि 'मोदीनोमिक्स' ने भारत की अर्थव्यवस्था पर कहर बरपा दिया है और इसे बर्बाद कर दिया है। रुपये में आई गिरावट मोदी सरकार की असफलताओं और आर्थिक कुप्रबंधन का प्रतीक है। अगर सबकुछ ठीक-ठाक है तो रुपये गिरा क्यों? कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को तत्काल बताएं कि रुपये क्यों गिरा और सरकार अब क्या उपाय करने जा रही है।

अमेरिका की अर्थव्यवस्था में आई मजबूती के साथ ही दुनियाभर में संरक्षणवादी उपायों में वृद्धि के कारण मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया लगभग 70 रुपये प्रति डॉलर के ऐतिहासिक निचले स्तर तक पहुंच गया।

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि 'मोदीनोमिक्स' ने भारत की अर्थव्यवस्था पर कहर बरपा दिया है और इसे कठिनाइयों में फंसाकर छोड़ दिया है।

उन्होंने कहा, "रुपये में गिरावट सरकार की असफलताओं और मोदी सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन का सबसे बड़ा प्रतीक है।"

सुरजेवाला ने कहा, "नोटबंदी, खामियों से भरी जीएसटी, कर आतंकवाद, कम वृद्धि, कम निवेश, नौकरियों का टोटा और अब बढ़ती महंगाई। यह मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की पहचान बन गई है।"

उन्होंने कहा, "रुपया अब ऐतिहासिक स्तर पर गिरकर कारोबार कर रहा है। 60 वर्षों में कांग्रेस ने रुपये की यह दशा नहीं की थी, मगर मोदी और उनकी लापरवाह आर्थिक नीतियों ने 60 महीने में भारतीय मुद्रा की बुरी गत कर दी।"

सुरजेवाला ने कहा कि 2018 में रुपया का मूल्य लगभग 10 फीसदी कम हो गया है। "इस सरकार के तहत रुपया एशिया की सबसे कमजोर मुद्रा बन गया है।"

उन्होंने कहा, "मोदी सरकार रुपये में गिरावट के लिए वैश्विक कारकों पर दोष मढ़ने में व्यस्त है, फिर भी यह याद दिलाना चाहूंगा कि 2008 के बड़े पैमाने पर वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान पिछली कांग्रेस-संप्रग (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) सरकार ने ढेर सारे वैश्विक दबावों के बावजूद अर्थव्यवस्था के प्रबंधन में कामयाब रही थी।"

उन्होंने यह भी कहा कि विदेशी निवेशक लगातार भारत की सरकारी नीतियों में विश्वास खो रहे हैं। वे निवेश के लिए उत्साहित कैसे होंगे, यह चिंता का विषय है। सिर्फ भाषणों से सरकार नहीं चलती।


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